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Cyber Scamming: अच्छे भविष्य के लिए गये थे विदेश, एजेंट ने डाल दिया 'नरक में'; ओडिशा के दीनबंधु ने बताए रोंगटे खड़े कर देने वाले अनुभव

महत्वाकांक्षा उन्हें कंबोडिया ले गई, जहां उनका सपना पूरा होना तो दूर, उन्होंने अपनी पत्नी के आभूषणों सहित सब कुछ खो दिये। चार लोगों के अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए साहू अब एक स्थानीय फ्यूल स्टेशन पर काम करते हैं। पढ़ें सुजीत बिसोयी, किरण पाराशर की रिपोर्ट।
Written by: न्यूज डेस्क | Edited By: संजय दुबे
नई दिल्ली | Updated: April 07, 2024 10:48 IST
cyber scamming  अच्छे भविष्य के लिए गये थे विदेश  एजेंट ने डाल दिया  नरक में   ओडिशा के दीनबंधु ने बताए रोंगटे खड़े कर देने वाले अनुभव
कंबोडिया में फंसे भारतीयों को साइबर अपराध में धकेल दिया गया है।
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पिछले कुछ महीनों में अच्छे भविष्य की उम्मीद में वियतनाम और कंबोडिया आदि देशों में काम करने गए तमाम लोगों को बेहद खराब हालातों से गुजरना पड़ा। ओडिशा के गंजम जिले के दीनबंधु साहू का हैदराबाद में एक कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में काम करने से बड़ी मुश्किल गुजारा हो पाता था। वे अपने इलाके के कई अन्य युवाओं की तरह विदेश जाने, अच्छी कमाई करने और गांव लौटकर अपना कुछ नया शुरू करने का एक सपना संजोए थे। उनकी महत्वाकांक्षा उन्हें कंबोडिया ले गई, जहां उनका सपना पूरा होना तो दूर, उन्होंने अपनी पत्नी के आभूषणों सहित सब कुछ खो दिये। चार लोगों के अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए साहू अब एक स्थानीय फ्यूल स्टेशन पर काम करते हैं।

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कंबोडिया में पांच हजार भारतीय युवक फंसे हैं

बिस्वनाथपुर गांव निवासी साहू कंबोडिया में जबरन साइबर अपराध करने को विवश किए गये करीब 5,000 भारतीयों में से एक हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के विदेश मंत्रालय के समक्ष उनका मामला उठाए जाने के बाद वह वापस लौट पाए हैं। वह वहां करीब डेढ़ महीने तक थे और पिछले साल सितंबर में वापस लौटे हैं।

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द इंडियन एक्सप्रेस की 5,000 से अधिक भारतीयों की परिस्थितियों को उजागर करने वाली एक रिपोर्ट के बाद विदेश मंत्रालय ने पिछले हफ्ते कहा था कि केंद्र कंबोडियाई अधिकारियों के साथ मामले को उठाया है और अब तक लगभग 250 भारतीयों को बचाया और वापस लाया गया है।

पीड़ितों के पासपोर्ट और वीजा भी जब्त किए गये

साहू के अलावा द इंडियन एक्सप्रेस ने कर्नाटक के दो लोगों से बात की जो लौटने में कामयाब रहे। उन सभी के पास बताने के लिए एक जैसी कहानियां हैं। घर पर अवसरों की कमी, बेबसी का फायदा उठाने वाले एजेंट, एक नौकरी जिसमें दुनिया भर में लोगों को धोखा देने के अलावा और कुछ नहीं थी, और नौकरी देने वाला, जिसने उनके पासपोर्ट और वीजा को जब्त कर लिया। यानी एक तरह से उन्हें बंधक बना लिया। कर्नाटक के एक युवक ने विरोध किया तो उसकी पिटाई भी की गई और बिजली के झटके दिए गये।

साथियों को देखकर बाहर निकलने का मन बनाया था

साहू ने बताया, “ग्रेजुएट होने के बाद मैंने कई शहरों - गुड़गांव, बेंगलुरु और हैदराबाद में एक कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में काम किया, और 20,000-25,000 रुपये कमाए। मेरे इलाके से कई युवा सऊदी और अन्य मध्य पूर्व और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में चले जाते हैं, इसलिए मैंने भी अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया।” साहू पारंपरिक रूप से शराब बेचने वाली सुंडी जाति से आते हैं। उन्होंने कहा कि वह और उनके बड़े भाई इस प्रथा को छोड़कर बड़े शहरों में नौकरी करना चाहते थे।

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हैदराबाद में एक परिचित के कहने पर एंजेंट से मिले थे

उन्होंने कहा, “हैदराबाद में काम करने के दौरान एक परिचित ने मुझे वडोदरा में एक कंसल्टेंसी के बारे में बताया जो लोगों को विदेश में नौकरी दिलाने में मदद करती है। उन्होंने मुझे एक व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा और अवसर आने का इंतजार करने को कहा। तीन-चार महीनों के बाद वियतनाम में एक अवसर आने की बात बताई। मेरा इंटरव्यू हुआ, उसको मैंने पास कर लिया।”

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साहू को वीजा फीस के रूप में 1.5 लाख रुपये जमा करने के लिए कहा गया। इसके लिए उसने अपनी पत्नी के गहने गिरवी रख दिए। उन्होंने 25 जुलाई, 2023 को कोलकाता से वियतनाम के हो ची मिन्ह के लिए उड़ान भरी। यह उनकी कठिन परीक्षा की शुरुआत थी। वहां उतरने के बाद उसे एक व्यक्ति से मिलवाया गया, जो उसे उसके तय स्थान पर ले गया। करीब 6-7 घंटे की सड़क यात्रा के बाद उसने खुद को कंबोडिया की सीमा पर पाया।

साहू ने कहा, “मैंने भारत में अपने एजेंट को फोन किया, जिसने कहा कि जिस कंपनी ने शुरू में मुझे वियतनाम में नौकरी की पेशकश की थी, उसने मुझे अस्वीकार कर दिया है। उन्होंने कंबोडिया में एक नौकरी की व्यवस्था की है, और मुझे इसे स्वीकार कर लेना चाहिए, क्योंकि मैंने पहले ही पैसे दे दिए है।”

साहू ने बताया कि कंबोडिया पहुंचने के बाद एक अन्य एजेंट उन्हें दूसरी जगह ले गया, जहां उनकी मुलाकात तेलंगाना, तमिलनाडु और पंजाब के रहने वाले तीन अन्य भारतीयों से हुई। उन्होंने कहा, “मैं डरा हुआ था और वापस लौटना चाहता था। वे मुझे प्रति माह 700 डॉलर की पेशकश कर रहे थे, जबकि मुझसे 900 डॉलर देने का वादा किया गया था। मेरी झिझक के बावजूद, मुझे थाईलैंड सीमा के करीब पोइपेट ले जाया गया, जहां मुझे काम करने को कहा गया।”

पहले 10 दिनों तक मुझे फेसबुक, व्हाट्सएप और कुछ अन्य सोशल मीडिया साइटों पर फर्जी नामों के तहत नए एकाउंट खोलने की ट्रेनिंग दी गई। उन्होंने कहा, "मैं इस तरह के काम को करने में असहज महसूस कर रहा था। मैंने भारत में एजेंट से संपर्क किया, लेकिन उसने मुझसे वही करने को कहा जो मुझसे कहा गया था, और मुझे आश्वासन दिया कि काम में अच्छा इंसेटिव मिलेगा।"

इस नौकरी में नकली प्रोफाइलों के माध्यम से दूसरों के साथ चैट करना और उनका विश्वास जीतना शामिल था। साहू ने बताया, “यह स्कैमर वाला काम था। चैटिंग से हम बिल्कुल फ्रेंडली होकर उन लोगों को धोखाधड़ी वाले व्यवसायों में निवेश करने के लिए कहना पड़ता था, और भुगतान करने के बाद उनके एकाउंट को ब्लॉक कर देना था। मुझे फिलीपींस के लोगों के साथ ऐसा करने को कहा गया।”

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