45 मिनट बाद का रहस्य... सबकुछ चल रहा था ठीक और फिर ईरानी राष्ट्रपति का हेलिकॉप्टर क्रैश
ईरान के राष्ट्रपति ईब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई है। इस दुर्घटना को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ मुल्क इसमें साजिश की बूंह भी देख रहे हैं तो कुछ सिर्फ खराब मौसम को जिम्मेदार बता रहे हैं। लेकिन इस बीच ईरान खुद इस पूरे हादसे को लेकर क्या सोचता है, ये समझना जरूरी है। अब ईरान का बयान भी इस हादसे पर आ गया है, उस बयान से ही इस घटना की Inside Story पता चलती है।
आखिर हुआ क्या था 45 मिनट बाद?
असल में ईरान के राष्ट्रपति के चीफ ऑफ स्टाफ गुलाम हुसैन इस्माइली ने एक इंटरव्यू में बताया है कि जब रईसी की तरफ से उड़ान भरी गई थी, मौसम एकदम ठीक था। उनके साथ दो हेलिकॉप्टर और उड़ रहे थे। राष्ट्रपति एक बांध का उद्घाटन करने के बाद वापस लौट रहे थे, लेकिन 45 मिनट की उड़ान के बाद सामने घना कोहरा आ गया था। रईसी वाले हेलिकॉप्टर का जो पायलट था, उसने दूसरे दो हेलिकॉप्टरों के पायलटों को भी हाईट बढ़ाने को कहा। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में बीच उड़ रहा रईसी का हेलिकॉप्टर ही गायब हो गया।
काफी देर तक किसी को कुछ नहीं पता चला
हैरानी की बात ये है कि काफिले दोनों ही दूसरे हेलिकॉप्टरों को काफी देर तक इस बात की भनक नहीं लगी कि उनके राष्ट्रपति वाला हेलिकॉप्टर गायब है। करीब तीस मिनट बाद अहसास हुआ कि उनके काफिले का मेन हेलिकॉप्टर गायब चल रहा है। ऐसे में दोनों पायलटों ने अपने हेलिकॉफ्टर को वापस घुमाया और तलाश शउरू कर दी। रेडियो डिवाइस के जरिए सिग्नल भी भेजे गए, संपर्क साधने का प्रयास दिखा, लेकिन कोई फायदा नहीं। काफी देर बाद दोनों हेलिकॉप्टरों ने कॉपर माइन में ही लैंड किया। उसके बाद राष्ट्रपति के हेलिकॉप्टर पर जो प्रभारी कैप्टन थे, उनसे बात करने की कोशिश हुई, लेकिन वहां भी संपर्क किसी और से हुआ जिसने जानकारी दी कि हेलिकॉप्टर क्रैश हो चुका है।
कौन थे रईसी?
अब इस समय ईरान के इजरायल से खराब रिश्ते हैं, अमेरिका के साथ भी तल्खी चल रही है, इसी वजह से कॉन्सिपिरिसी थ्योरी जन्म ले रही हैं। मामले की जांच जारी है, उसके बाद ही कुछ साफ हो पाएगा। वैसे रईसी की बात करें तो उनका करियर ईरानी न्यायपालिका से शुरू हुआ था। उन्होंने साल 1989 से 1994 के बीच तेहरान के प्रोसीक्यूटर जनरल के तौर पर काम किया था।
कितनी संपत्ति के मालिक रईसी?
साल 1994 में उन्होंने सरकार में जनरल इन्स्पेक्शन ऑफिस में काम किया था। 2017 में राष्ट्रपति के चुनाव में उन्हें मौलवी हसन रुहानी से मात मिली थी। 2021 में दोबारा चुनाव में उतरे रईसी को 2.89 करोड़ मतों में से लगभग 62 प्रतिशत वोट मिले थे। इस चुनाव में उनके सभी संभावित बड़े विरोधियों को ईरान की जांच प्रणाली के तहत चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था। इस चुनाव में ईरान के इतिहास का सबसे कम मतदान हुआ था। राष्ट्रपति बनने के बाद से ही इब्राहिम रईसी ने मिडिल ईस्ट में ईरान के प्रभुत्व को बढ़ाने पर काम किया।