गर्मी मे बॉडी को तर करते हैं ये लाल और हरा फल, सेहत के लिए उपयोगी ये फ्रूट बन सकते हैं Food Poisoning का कारण, एक्सपर्ट से जानिए कैसे
गर्मी में बॉडी को हाइड्रेट रखना बेहद जरूरी है। गर्मी में बॉडी को हाइड्रेट रखने के लिए सिर्फ पानी का सेवन काफी नहीं है बल्कि पानी से भरपूर फल और सब्जियों का सेवन करना भी जरूरी है। गर्मी में बॉडी को हाइड्रेट रखने के लिए कुदरत ने हमें पानी से भरपूर कुछ ऐसे फल दिए हैं जो हमारी बॉडी को हाइड्रेट रखते हैं साथ ही बॉडी में इलेक्ट्रोलाइट को भी बैलेंस करते हैं। खरबूजा और तरबूज दोनों ऐसे फल है जिसका सेवन करने से गर्मी में बॉडी पानी से तर रहती है। तरबूज में विटामिन ए, विटामिन बी1, विटामिन बी5 भरपूर होता है जो सेहत के लिए उपयोगी है। वहीं खरबूजे में विटामिन सी, विटामिन बी6 और विटामिन K भरपूर मात्रा में मौजूद होता है जो बॉडी को हेल्दी रखता है और पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है।
हाल ही में सोशल मीडिया पर खरबूजे और तरबूजे से जुड़े मैसेज खूब देखने को मिल रहे हैं। कई वीडियो में बताया गया है कि खऱबूजा और तरबूज का सेवन करने से फूड पॉइजनिंग का खतरा अधिक रहता है। अब सवाल ये उठता है कि क्या सोशल मीडिया पर किए गए ये दावे सच हैं, क्या सच में इन दो फलों का सेवन फूड प्वाइजनिंग कर सकता है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं सच्चाई।
खरबूजा और तरबूज क्या फूड प्वाइजनिंग कर सकते हैं?
जनरल फिजिशियन और कंटेंट क्रिएटर डॉ. कोमल कुलकर्णी ने बताया कि हां खरबूजा और तरबूज फूड प्वाइजनिंग का कारण बन सकते हैं। इन फलों से फूड प्वाइजनिंग होने का सबसे बड़ा कारण फलों का रंग और स्वाद है जिसे बढ़ाने के लिए रंगों और चीनी की चाशनी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन दोनों फलों से फूड प्वाइजनिंग होने का दूसरा कारण मिट्टी है जिसमें फल उगाए जाते हैं। इस मिट्टी में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया फलों को दूषित करते हैं।
एक इंस्टाग्राम रील में हेल्थ कोच मिरुना बश्कर ने तरबूज खाने के बाद फूड पॉइजनिंग होने के बारे में बताया कि तरबूज में इस्तेमाल होने वाले एरीथ्रोसिन जैसे जहरीले रंग इसे टॉक्सिक बनाते हैं जो फूड प्वाइजनिंग का कारण बनते हैं। एक्सपर्ट ने बताया कि तरबूज को रंगने के लिए उसमें लाल और गुलाबी रंग का इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे तरबूज रसदार और ताजा बनाया जा सके।
आर्टिफिशियल रंगों से भरपूर तरबूज और खरबूजे से होने वाले हेल्थ जोखिम
कंसल्टेंट डायटीशियन और डायबिटीज एजुकेटर कनिका मल्होत्रा ने बताया कि खरबूजा और तरबूज में एरीथ्रोसिन जैसे रंगों का उपयोग बाजारों में बेहद किया जा रहा है जो पूरी तरह गलत है। तरबूज़ का नेचुरल लाल रंग लाइकोपीन से मिलता है, जो एक फायदेमंद एंटीऑक्सीडेंट है। बाजार में तरबूज और खरबूज के रंग और स्वाद को बढ़ाने के लिए जिन औद्योगिक रंगों का इस्तेमाल किया जा रहा है उसमें सीसा या मेथनॉल जैसे हानिकारक रसायन होते हैं, जिससे फूड प्वाइजनिंग, पाचन संबंधी समस्याएं और यहां तक कि कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का जोखिम अधिक रहता है।
दूषित मिट्टी भी खरबूजे और तरबूज को बनाती है दूषित
कनिका मल्होत्रा ने बताया कि खरबूजा और तरबूज दूषित मिट्टी में उगते हैं जिससे वो मिट्टी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया से दूषित हो सकते हैं। ये बैक्टीरिया छिलके पर लग सकते हैं और काटने के दौरान फ्रूट के अंदर प्रवेश करके उसे दूषित बना सकते हैं। साल्मोनेला, ई कोलाई, लिस्टेरिया ऐसे बैक्टीरिया है जो इन फ्रूट्स को दूषित करते हैं और फूड प्वाइजनिंग का कारण बनते
हैं।