होमताजा खबरराष्ट्रीयमनोरंजन
राज्य | उत्तर प्रदेशउत्तराखंडझारखंडछत्तीसगढ़मध्य प्रदेशमहाराष्ट्रपंजाबनई दिल्लीराजस्थानबिहारहिमाचल प्रदेशहरियाणामणिपुरपश्चिम बंगालत्रिपुरातेलंगानाजम्मू-कश्मीरगुजरातकर्नाटकओडिशाआंध्र प्रदेशतमिलनाडु
वेब स्टोरीवीडियोआस्थालाइफस्टाइलहेल्थटेक्नोलॉजीएजुकेशनपॉडकास्टई-पेपर

Alert: बारिश की बूंदों के साथ बिलबिलाने लगते हैं ये वायरस, सीजनल बुखार समझ न करें नजरअंदाज, इन लक्षणों से रहें सतर्क

मानसून के समय में आमतौर पर मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, लेप्टोस्पाइरोसिस, टाइफायड, फ्लू, मंप्स जैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है, इनमें सबसे ज्यादा सांसों से संबंधित परेशानियां बढ़ जाती है। इन सब बीमारियों में बुखार ही पहला लक्षण है।
Written by: Shahina Noor
नई दिल्ली | Updated: July 02, 2024 17:47 IST
क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक कोल्ड एंड कफ के लिए 200 से ज्यादा वायरस जिम्मेदार हो सकते हैं।
Advertisement

मानसून के साथ बारिश की बूंदों से ही वातावरण में वायरस, फंगस, बैक्टीरिया बिलबिलाने लगते हैं। हवा में बढ़ती आद्रता और नमी के कारण इन सूक्ष्मजीवों के ब्रीडिंग के लिए उपयुक्त समय मिल जाता है और इसके बाद ये असंख्य की संख्या में विभिन्न माध्यमों से लोगों को शरीर में अपना बसेरा बसाने लगते हैं। ये सूक्ष्मजीव शरीर में घुसकर कई तरह की परेशानियों का कारण बनते हैं। इसमें बुखार पहला संकेत है। बेशक आप इसे सीजनल बुखार मानें लेकिन अगर यह दो-तीनों से ज्यादा रह गया तो इसे नजरअंदाज न करें। यह भी जान लें कौन-कौन से माइक्रो ऑर्गेनिज्म कौन-कौन सी बीमारियां फैलाते हैं और इसके क्या-क्या लक्षण हैं।

सीजनल बुखार के लिए कारण

मानसून के समय में आमतौर पर मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, लेप्टोस्पायरोसिस, टाइफाइड, फ्लू, मंप्स जैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है, इनमें सबसे ज्यादा सांसों से संबंधित परेशानियां बढ़ जाती है। इन सब बीमारियों में बुखार ही पहला लक्षण है। दूसरी ओर फ्लू जैसी कई बीमारियों के लिए वायरस ही जिम्मेदार होता हैं। कॉमन कोल्ड एंड कफ के लिए मुख्य रूप से राइनोवायरस जिम्मेदार होता हैं।

Advertisement

वहीं इसके अलावा रेस्पिरेटरी सिनिशियल वायरस भी इसके कारण हो सकते हैं। कोल्ड एंड कफ के मामले में करीब 20 प्रतिशत मामले इन्हीं से संबंधित होते हैं। क्लीवलैंड क्लिनिक के मुताबिक हालांकि कोल्ड एंड कफ के लिए 200 से ज्यादा वायरस जिम्मेदार हो सकते हैं।

मॉनसुनी बुखार के लक्षण

जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि इन सब सीजनल सूक्ष्म जीवाणुओं से संबंधित बीमारियों के लिए बुखार पहला लक्षण है, लेकिन इससे शरीर में डिहाइड्रेशन भी हो जाता है जिससे पानी की कमी हो जाती है। बीमारी गंभीर होने पर शरीर में कमजोरी, थकान, जी मिचलाना, उल्टी होना, लूज मोशन, चक्कर आना जैसी समस्याएं रहती हैं। कुछ इंफेक्शन में पेट में दर्द भी हो सकता है। अगर चिकनगुनिया हो जाए तो यह पैरासाइट के माध्यम से शरीर में घुसता है और इसमें ज्वाइंट पेन और इंटरनल ब्लीडिंग भी हो सकती है। अगर फीवर हाई ग्रेड में पहुंच गया है कि तो इसमें मरीज बेहोश होकर गिर भी सकता है।

किन लोगों को है ज्यादा खतरा

बच्चों और बुजुर्गों में मौसमी बुखार का ज्यादा खतरा है। वहीं जो लोग किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, उन्हें भी इन इंफेक्शन का ज्यादा खतरा है। अगर किसी की इमयुनिटी कमजोर है तो उन्हें भी इसका खतरा ज्यादा है।

मौसमी बुखार से बचने के लिए क्या करें

Advertisement
Tags :
Monsoon
विजुअल स्टोरीज
Advertisement
Jansatta.com पर पढ़े ताज़ा एजुकेशन समाचार (Education News), लेटेस्ट हिंदी समाचार (Hindi News), बॉलीवुड, खेल, क्रिकेट, राजनीति, धर्म और शिक्षा से जुड़ी हर ख़बर। समय पर अपडेट और हिंदी ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए जनसत्ता की हिंदी समाचार ऐप डाउनलोड करके अपने समाचार अनुभव को बेहतर बनाएं ।
Advertisement