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वोट देते समय EVM खराब हो जाए या पर्ची पर अलग न‍िशान छप कर आए तो क्‍या करना है, जान‍िए

EVM and VVPAT Machine Full Form, Rules & Regulations: ईवीएम में हेरफेर के मामले में सजा के बारे में पूछे जाने पर चुनाव आयोग ने अदालत को बताया कि एक प्रावधान के तहत सजा दो साल थी, जबकि प्रक्रियाओं का पालन नहीं करने पर एक अलग प्रावधान के तहत छह महीने की सजा थी।
Written by: shrutisrivastva
नई दिल्ली | Updated: April 17, 2024 14:10 IST
वोट देते समय EVM खराब हो जाए तो क्या करता है चुनाव आयोग (Source- Express Archive)
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लोकसभा चुनाव 2024 के बीच इलेक्‍ट्रॉन‍िक वोट‍िंंग मशीन (EVM) के बजाय मतपत्रों से मतदान कराने की मांग कराने वाले को सुप्रीम कोर्ट से न‍िराशा हाथ लगी है। 16 अप्रैल को सुनवाई के दौरान जजों ने ईवीएम से चुनाव नहीं कराए जाने की राय नहीं मानी। इसके पक्ष में द‍िए गए तर्कों को भी कुछ सवालों के साथ कोर्ट ने एक तरह से खार‍िज ही कर द‍िया। जज ने यह जानना चाहा क‍ि ईवीएम में अगर कोई गड़बड़ी की जाती है तो ऐसा करने वालों के ल‍िए सजा का क्‍या प्रावधान है? ऐसे में हम ईवीएम से जुड़े कुछ कानूनी सवालों के जवाब जानते हैं।

अगर वोट‍िंंग के दौरान ईवीएम खराब हुई तो?

1951 के जनप्रत‍िन‍िध‍ित्‍व कानून (Representation of the People Act, 1951) के सेक्शन 58 में कहा गया है क‍ि-

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अगर किसी चुनाव में किसी मतदान केंद्र पर कोई भी मतपेटी गैरकानूनी तरीके से पीठासीन अधिकारी या रिटर्निंग अधिकारी की कस्टडी से ले ली जाती है, या फिर गलती से या जानबूझकर नष्ट कर दी जाती है या बैलेट बॉक्स खो जाता है या क्षतिग्रस्त हो जाती है या उसके साथ पर‍िणाम को प्रभाव‍ित करने के स्‍तर की छेड़छाड़ की जाती है या किसी भी वोटिंग मशीन में वोटों की रिकॉर्डिंग के दौरान कोई मैकेनिकल एरर हो जाती है या कोई भी ऐसी एरर या अनियमितता जिससे मतदान प्रभावित होने की आशंका हो, तो रिटर्निंग ऑफिसर तुरंत चुनाव आयोग को मामले की रिपोर्ट करेगा।

उसके बाद चुनाव आयोग सभी भौतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखने के बाद या तो उस मतदान केंद्र पर मतदान को रद घोषित कर सकता है या फिर उस मतदान केंद्र पर नए सिरे से मतदान का द‍िन/वक्‍त/जगह तय कर सकता है।

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अगर चुनाव आयोग इस बात से संतुष्ट है कि उस मतदान केंद्र पर दोबारा वोटिंग पूरे चुनाव परिणाम को प्रभाव‍ित नहीं करेगा या क‍ि वोटिंग मशीन की खराबी या प्रक्रिया में त्रुटि या अनियमितता इतनी महत्वपूर्ण नहीं है, तो चुनाव आयोग (ECI) रिटर्निंग ऑफिसर को ऐसे निर्देश जारी करेगा जो चुनाव के आगे संचालन के लिए सही होगा।

बूथ कैप्चरिंग पर क्या हैं नियम?

जनप्रत‍िन‍िध‍ित्‍व कानून के सेक्‍शन 135A के मुताबिक, जो कोई भी बूथ कैप्चरिंग का अपराध करेगा उसे जेल की सजा होगी। यह अवधि एक साल से कम नहीं होगी, जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है और साथ ही जुर्माना भी लगेगा। अगर ऐसा अपराध किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा किया गया हो तो उसे कम से कम तीन साल की सजा होगी, जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। बूथ कैप्चरिंग में यह गतिविधियां भी शामिल हैं।

*किसी मतदान केंद्र या मतदान के लिए निर्धारित स्थान पर किसी के द्वारा कब्ज़ा करना।
*मतदान अधिकारियों को मतपत्र या वोटिंग मशीनें सरेंडर करने के लिए मजबूर करना या ऐसा कोई काम करना जो चुनावों के संचालन को प्रभावित करता है।
*किसी मतदान केंद्र या मतदान के लिए निर्धारित स्थान पर किसी व्यक्ति या कई व्यक्तियों द्वारा कब्ज़ा कर लेना और केवल अपने या अपने समर्थकों को वोट देने के अधिकार का प्रयोग करने की अनुमति देना और मतदान को रोकना।
*किसी भी निर्वाचक को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मजबूर करना या डराना या धमकाना और उसे वोट डालने के लिए मतदान केंद्र या मतदान के लिए निर्धारित स्थान पर जाने से रोकना।
*किसी व्यक्ति या कई व्यक्तियों द्वारा वोटों की गिनती के लिए किसी स्थान पर कब्ज़ा करना, मतगणना अधिकारियों को मतपत्र या वोटिंग मशीनों को सरेंडर करने के लिए कहना और ऐसा कुछ भी करना जो वोटों की काउंटिंग को प्रभावित करता हो।

Election Commission क्‍यों नहीं करता सौ फीसदी VVPAT पर्चियों की गिनती, क्‍यों ग‍िनी जाती हैं केवल पांच बूथ की ही पर्च‍ियां, पूरी खबर पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें-

पेपर स्लिप पर प्रिंटेड किसी विवरण के बारे में शिकायत के मामले में किन प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा?

जहां पेपर ट्रेल के लिए प्रिंटर का इस्तेमाल किया जाता है अगर कोई मतदाता नियम 49M के तहत अपना वोट दर्ज करने के बाद आरोप लगाता है कि प्रिंटर द्वारा जेनरेट की गई पेपर स्लिप में जिस उम्मीदवार को उसने वोट दिया उसकी जगह किसी और कैंडीडेट का नाम या सिंबल दिखाया गया है तो पीठासीन अधिकारी को इस आरोप के संबंध में वोटर से एक लिखित डिक्लेरेशन लेना होगा। इससे पहले उसे झूठा शपथपत्र देने के पर‍िणाम से भी आगाह कर देना होगा।

अगर वोटर उप-नियम (1) में निर्दिष्ट लिखित डिक्लेरेशन देता है तो पीठासीन अधिकारी फॉर्म 17A में उस वोटर से संबंधित दूसरी प्रविष्टि करेगा और वोटर को वोटिंग मशीन में एक टेस्ट वोट रिकॉर्ड करने की अनुमति देगा। यह उसकी उपस्थिति और उम्मीदवारों या मतदान एजेंटों की उपस्थिति में होगा और प्रिंटर द्वारा जेनरेट की गयी पेपर स्लिप का निरीक्षण किया जाएगा। अगर आरोप सही पाया जाता है, तो पीठासीन अधिकारी तुरंत रिटर्निंग अधिकारी को रिपोर्ट करेगा और उस वोटिंग मशीन में आगे की वोट रिकॉर्डिंग रोक देगा।

वहीं, अगर आरोप झूठा पाया जाता है और पेपर स्लिप वोटर द्वारा दर्ज किए गए टेस्ट वोट से मेल खाता है तो पीठासीन अधिकारी उस वोटर से संबंधित दूसरी प्रविष्टि के आशय की जानकारी देगा। इसके साथ ही फॉर्म 17A में उस उम्मीदवार की क्रम संख्या और नाम का उल्लेख करना होगा जिसके लिए ऐसे टेस्ट वोट दर्ज किए गए हैं। साथ ही उस वोटर के हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान लिया जाएगा और आइटम 5 और फॉर्म 17C के पार्ट 1 में ऐसे टेस्ट वोट के संबंध में जरूरी एंट्री की जाएंगी।

2019 लोकसभा चुनाव से पहले की शुरुआती जांच में 30 फीसदी तक EVM पाई गई थीं खराब, पूरी खबर पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें

वोटों की गिनती के संबंध में क्या हैं नियम?

नियम 56C के तहत रिटर्निंग ऑफिसर के इस बात से संतुष्ट होने के बाद कि वोटिंग मशीन के साथ वास्तव में कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है, वह उसमें दर्ज किए गए वोटों की गिनती कंट्रोल यूनिट में उपलब्ध 'रिजल्ट' बटन दबाकर करेगा। जिस पर कुल डाले गए वोट और किसी उम्मीदवार को मिले वोट उसके नाम के सामने डिस्प्ले पैनल पर दिखाई देंगे। चूंकि प्रत्येक उम्मीदवार को प्राप्त वोट कंट्रोल यूनिट पर दिखाई देते हैं, ऐसे में रिटर्निंग अधिकारी फॉर्म 17C के पार्ट II में प्रत्येक उम्मीदवार को अलग-अलग मिले वोटों की संख्या दर्ज करेगा।

रिटर्निंग ऑफिसर फॉर्म 17C को पूरा करेगा और काउंटिंग सुपरवाइजर और उपस्थित उम्मीदवारों या उनके चुनाव एजेंटों के हस्ताक्षर लेगा। नियम 56D के तहत जहां पेपर ट्रेल के लिए प्रिंटर का उपयोग किया जाता है, परिणाम शीट में की गई प्रविष्टियों की घोषणा के बाद कोई भी उम्मीदवार या उसकी अनुपस्थिति में उसका चुनाव एजेंट या उसका कोई भी काउंटिंग एजेंट किसी भी मतदान केंद्र के संबंध में प्रिंटर के ड्रॉप बॉक्स में प्रिंटेड पेपर स्लिप की गिनती की जांच के लिए रिटर्निंग ऑफिसर को लिखित रूप में आवेदन कर सकता है।

ऐसे आवेदन किए जाने पर रिटर्निंग अधिकारी, चुनाव आयोग द्वारा जारी किए जाने वाले ऐसे सामान्य या विशेष दिशानिर्देशों के अधीन, मामले का फैसला करेगा और आवेदन को पूर्ण या आंशिक रूप से अस्वीकार कर सकता है अगर वह उसे अनुचित लगता है। सब-रूल (2) के तहत रिटर्निंग अधिकारी का प्रत्येक निर्णय लिखित रूप में होगा और उसके कारण बताए जाएंगे।

अगर रिटर्निंग अधिकारी सब-रूल (2) के तहत पेपर स्लिप की पूरी या आंशिक गिनती की अनुमति देने का निर्णय लेता है, तो वह- चुनाव आयोग द्वारा निर्देशित तरीके से गिनती करेगा। अगर कंट्रोल यूनिट और पेपर यूनिट की गिनती अलग-अलग है तो वह परिणाम को पेपर स्लिप के तहत फॉर्म 20 में संशोधित करें और रिजल्ट शीट पर साइन करे।

सुप्रीम कोर्ट में EVM पर सुनवाई

चुनाव में बैलेट पेपर के इस्तेमाल को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) पर सवाल उठाने वाली याचिका पर सुनवाई की। ईवीएम में हेरफेर के मामले में सजा के बारे में पूछे जाने पर चुनाव आयोग ने अदालत को बताया कि एक प्रावधान के तहत सजा दो साल थी, जबकि प्रक्रियाओं का पालन नहीं करने पर एक अलग प्रावधान के तहत छह महीने की सजा थी।

अदालत ने यह भी पूछा कि क्या सभी मतदान केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। जिसके जवाब में अदालत को बताया गया कि 50 फीसदी मतदान केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। ईवीएम से छेड़छाड़ पर सजा के बारे में ईसीआई के वकील ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 132 (मतदान केंद्र में कदाचार) और 132A (मतदान की प्रक्रिया का पालन करने में विफल रहने पर जुर्माना) का उल्लेख किया। जिस पर जस्टिस खन्ना ने कहा, "यह प्रक्रिया से कहीं अधिक गंभीर है। इसके लिए कोई विशिष्ट प्रावधान नहीं है? आईपीसी के कुछ ऑफेंस अवश्य होंगे।"

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