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CineCrime: बेसमेंट में हुआ धमाका और उठने लगी थीं आग की लपटें; जब सनी देओल की फिल्म देखने गए 59 लोगों की हुई थी दर्दनाक मौत

13 जून 1997 को सनी देओल की फिल्म 'बॉर्डर' रिलीज हुई थी। इस फिल्म की रिलीज के साथ ही एक दर्दनाक हादसा हुआ था, जिसमें 59 लोगों की मौत हुई थी। दिल्ली के उपहार सिनेमा में आग लग गई थी, जिसमें कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे और 59 की मौत हो गई थी।
Written by: एंटरटेनमेंट डेस्‍क | Edited By: Gunjan Sharma
नई दिल्ली | Updated: April 19, 2024 16:48 IST
'बॉर्डर' की रिलीज पर उपहार सिनेमा में लगी थी आग (फोटो-IE)
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CineCrime: 13 जून 1997 एक ऐसा दिन है, जिसे लोग भूल नहीं पाते। इस दिन कई परिवारों ने अपनों को खोया था। जब लोग घर से फिल्म देखने निकले और लौटकर वापस नहीं आए। हम बात कर रहे हैं दिल्ली के उपहार सिनेमा कांड की। जिसमें आग लगने से 59 लोगों की जान चली गई थी। जिस वक्त वो हादसा हुआ था तब थिएटर में सनी देओल की फिल्म 'बॉर्डर' लगी थी। कोई नहीं जानता था कि वो शाम इतने लोगों के जीवन में नासूर बन जाएगी।

उपहार सिनेमा कांड को भारतीय इतिहास की सबसे बड़े हादसों में से एक माना जाता है। उस दिन शुक्रवार था और 'बॉर्डर' रिलीज हुई थी और दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमा में करीब 900 लोग फिल्म देखने गए थे। उपहार सिनेमा उस वक्त का सबसे बड़ा पिक्चर हॉल था, इसलिए फिल्म की रिलीज पर वहां सैकड़ों लोगों की भीड़ थी।

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रिपोर्ट्स में बताया जाता है कि अचानक बेसमेंट में रखे जनरेटर में आग लगी और देखते ही देखते आग की ऊंची-ऊंची लपटें उठने लगी। आग पूरे सिनेमा हॉल में फैल गई और वहां अफरातफरी मच गई। लोग अपने जान बचाने के लिए भागने लगे और इसी में 103 लोग घायल हो गए। कई लोग बाहर निकलने में सफल रहे और जो नहीं निकल पाए वो उसी आग में जलकर राख हो गए। मरने वालों में 23 बच्चे भी थे, जिनके घरवाले आज भी उनके लिए तड़प रहे हैं।

दम घुटकर मर गए कई लोग

बताया जाता है कि सिनेमा हॉल में सही इंतजाम न होने के कारण लोगों की जानें गई थी। कई लोग अपनी जान बचाने के लिए बालकनी में चले गए थे, लेकिन वहां बाहर जाने का कोई इंतजाम नहीं था और धुएं की घुटन से उनकी वहीं मौत हो गई। आग लगने से सिनेमा हॉल में लाइट भी चली गई और अंधेरा होने के कारण लोग बाहर जाने का रास्ता भी नहीं खोज पाए, कुछ लोगों की जान इस कारण भी गई।

समय पर नहीं पहुंची थी फायर ब्रिगेड

कहा जाता है कि अगर फायर ब्रिगेड समय पर पहुंच जाती तो शायद कुछ लोगों को बचाया जा सकता था। लेकिन ग्रीन पार्क इलाके में बहुत ट्रैफिक था और फायर ब्रिगेड भी समय पर नहीं पहुंच पाई, जब तक अग्निशामक दल पहुंचा बहुत देर हो चुकी थी।

थिएटर वालों की थी लापरवाही

इस कांड में सबसे बड़ी लापरवाही सिनेमाघर प्रबंधन की मानी जाती है। न थिएटर में एग्जिट गेट पर भागने की जगह थी, न इमरजेंसी एग्जिट थी, न वहां इमरजेंसी लाइट थी और न ही आग लगने पर कोई अनाउंसमेंट किया गया और लोगों से बाहर निकलने को कहा गया। थिएटर के अंदर जो खाली जगह थी वहां दुकाने लगी थीं, जिससे रास्ते ब्लॉक थे। जनरेटर में आग भी लंबे समय से उसकी मेंटेनेंस न होने के कारण लगी थी।

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