'पहले वो ऐसी नहीं थीं, अभी लगता है वो कोई और इंसान हैं…', कंगना रनौत के पॉलिटिक्स ज्वाइंन करने पर बोले 'पंचायत' के प्रहलाद चा
'पंचायत 3' इस साल की मोस्ट अवेटेड सीरीज में से एक है। दो साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार ये सीरीज 28 मई को प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो गई है। सीरीज को लोगों का जबरदस्त रिस्पॉन्स मिल रहा है। तीसरे सीजन में कुल 8 एपिसोड हैं, जिन्हें देखकर कुछ लोग इमोशनल भी हो रहे हैं। इस वक्त ‘पंचायत 3’ काफी ट्रेंड कर रही है।
इस सीरीज में जितेंद्र कुमार, नीना गुप्ता, फैसल मलिक, रघुबीर यादव और चंदन रॉय जैसे स्टार्स काम करते दिख रहे हैं। सीरीज में हर किरदार के अभिनय को काफी पसंद किया जा रहा है। पंचायत 3 में सचिव जी के अलावा प्रहलाद चा का किरदार निभाने वाले फैसल मलिक ने अपनी एक्टिंग से सभी का दिल जीत लिया है। अब हाल ही में दिए इंटरव्यू में फैजल ने कंगना रनौत के पॉलिटिक्स ज्वाइन करने को लेकर खुलकर बात ही है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि एक्टर्स को राजनीति में नहीं आना चाहिए।
कंगना रनौत के राजनीति में जाने पर क्या बोले प्रहलाद चा
फैजल मलिक ने हाल ही में टीवी 9 को दिए इंटरव्यू में कहा कि 'कंगना रनौत जी बहुत अच्छी महिला हैं। पहले वो ऐसी नहीं थीं। अभी लगता है वो कोई और इंसान हैं। मुझे लगता है एक्टर का काम एक्टिंग है तो वही करना चाहिए, बाकी चीजें नहीं करना चाहिए। उनकी बहन रंगोली जी मुझे अच्छे से जानती हैं। हमने साथ में काम किया है। एक-डेढ़ साल ऑफिस में काम किया है। अच्छा एक्सपीरियंस था।'
वहीं एक्टर ने आगे कहा कि 'कंगना रनौत का एक्टिंग में कोई तोड़ नहीं है। मुझे लगता है कि एक्टर ने इतनी मेहनत से जो सीखा है, उसे उसी पर फोकस करना चाहिए। वहीं कंगना रनौत के एक्टिंग छोड़ने के सवाल पर फैजल ने कहा कि बॉलीवुड छोड़ना गलत होगा। उनको और काम करना चाहिए।'
एक्टर्स को राजनीति में नहीं आना चाहिए
फैजल मलिक ने आगे कहा कि 'एक्टर्स को राजनीति नहीं आना चाहिए। क्योंकि राजनीति करना राजनेताओं का काम है। पॉलिटिक्स 24X27 काम है। उसके लिए बेचारा एक कार्यकर्ता सालों साल काम करता है और उसे हटाकर आप किसी मुंबई के आदमी को ले आते हैं। तो उसका दिल तो टूटता ही है। उस शहर में उन लोगों के बीच तो वही बैठा हुआ है न जो उन लोगों का कार्यकर्ता है। पब्लिक से गाली कौन खा रहा है, कार्यकर्ता खा रहा है…फिर आप हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से किसी को ले आते हैं और उससे कहते हैं तुम सांसद बन जाओ। ये सब ठीक नहीं है। उनका सांसद कार्यकर्ताओं को ही बनना चाहिए, जो उनकी समस्याएं सुनता है।'