CineGram: इस एक सीन के लिए 7 घंटे तक एक जगह बैठी रही थीं मनीषा कोईराला, कैंसर सर्वाइवर होने के कारण खा रही थी सेहत की चिंता
मनीषा कोइराला इस वक्त 'हीरामंडी' में अपने किरदार मल्लिका जान को लेकर खूब सुर्खियां बटोर रही हैं। इस किरदार में उन्होंने अपनी एक्टिंग और डायलॉग बोलने के अंदाज से जान फूंक दी है। हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है, लेकिन मनीषा कोइराला की मानें तो इसके लिए उन्हें खूब पापड़ बेलने पड़े हैं। उर्दू सीखना और उसे सही से बोलना काफी मुश्किल हो रहा था। संजय लीला भंसाली के सामने परफेक्शन के साथ काम करना हर किसी के बस की बात नहीं होती, मनीषा कोइराला को भी एक सीन को परफेक्ट बनाने के लिए सात घंटे तक बैठना पड़ा था।
जूम को दिए इंटरव्यू में 53 साल की मनीषा कोइराला ने ये खुद बताया है कि उनके लिए इस सीरीज में कुछ सीन शूट करना आसान नहीं था। खासकर उनका शुरुआत वाले सीन शूट करना काफी मुश्किल था। उन्होंने सीन के बारे में याद करते हुए कहा, "शुरुआत के सीन सबसे ज्यादा मुश्किल थे, जब मैं सही सुर ही नहीं पकड़ पा रही थी। मैं किरदार के लहजे को समझने की कोशिश कर रही थी। मैंने बहुत होमवर्क किया था और मल्लिका जान की चाल-ढाल और तौर-तरीकों के बारे में भी पढ़ा था।"
उर्दू सीखने के लिए बेले पापड़
बता दें कि मनीषा कोइराला नेपाल से हैं और ऐसे में उनके लिए हिंदी बोलना ही काफी मुश्किल रहा है, लेकिन इस सीरीज में उन्हें उर्दू बोलनी थी। मनीषा कोइराला ने इसके बारे में कहा, "जब मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी मुझे लगा मल्लिका जान के डायलॉग लंबे हैं और मुझे उर्दू नहीं आती थी। मैं हिंदुस्तानी जानती हूं लेकिन उर्दू पर मुझे काम करना था।" मनीषा ने इस वेब सीरीज के लिए उर्दू टीचर की मदद ली, जिससे उनके लहजे और बोली में सुधार आया।
दादी से सीखी मल्लिका जान ने अदाएं
मनीषा ने बताया कि उनकी दादी एक डांसर थीं, उन्होंने अपनी दादी से प्रेरणा ली और मल्लिका जान की अदाएं सीखीं। मल्लिका जान को पूरी तरह निभाने के लिए सबसे पहले उन्होंने उसके बचपन के ट्रॉमा, उसकी हार, उसके डर, सपने और इच्छाओं को समझने की कोशिश की। मनीषा ने बताया, "मैंने ये समझने की कोशिश की उसके बचपन का ट्रॉमा क्या था, उसकी निराशाएं क्या थीं, वह कहां डरी हुई है, उसके सपने और महत्वाकांक्षाए क्या हैं, वह क्या चाहती है।"
सात घंटे तक एक सीन शूट करने के लिए बैठी रही थीं मनीषा कोइराला
मनीषा ने बताया कि एक सीन के लिए वह 7 घंटे तक एक जगह बैठी रहीं। उन्होंने कहा, "मैं इसलिए नहीं उठी क्योंकि मैं चाहती थी कि सीन परफेक्ट हो और मैं सात घंटे तक बैठी रही क्योंकि मैं किरदार के बारे में जानना चाहती थी और उसे समझना चाहती थी।" मनीषा एक कैंसर सर्वाइवर हैं और अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए ही उन्हें काम करना था और ये वो पहला सीन है, जिसमें मल्लिका जान के हाथ और पांव में मेहंदी लग रही होती है।
12 घंटे के बाद बंद कर देते थे शूटिंग
एक्ट्रेस ने कहा, "मुझे पता था कि यह कठिन होगा और मैं इससे पूरी तरह थक जाऊंगी और मैं ऐसा चाहती थी, लेकिन मैं अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना चाहती थी। मुझे नहीं पता था कि मैं यह कर पाऊंगी या मेरा शरीर ये सहन कर पाएगा। इस बात को मेकर्स समझ रहे थे। 12 घंटे की शूटिंग के बाद हम रुक जाते थे।"