पहली फिल्म के लिए कार्तिक आर्यन को मिले थे 63 हजार रुपये, काट लिया गया था TDS, अब चार्ज करते हैं इतने करोड़
कार्तिक आर्यन इस वक्त अपनी अपकमिंग फिल्म 'चंदू चैंपियन' को लेकर खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी फीस को लेकर बात की और बताया कि पहली फिल्म के लिए उन्हें कितने रुपये मिले थे। कार्तिक आर्यन की पहली फिल्म 'प्यार का पंचनामा' थी और इसके लिए कार्तिक को 70,000 रुपये दिए गए थे। जबकि आज वह एक-एक फिल्म के करोड़ों चार्ज करते हैं।
कार्तिक ने बताया कि उन्हें पैसे कमाने की बहुत जरूरत थी। उन्होंने अपने घर में पैसों की तंगी देखी है, एक वक्त था जब उनके माता-पिता पर कर्ज था। राज शमानी के पॉडकास्ट में कार्तिक से उनके स्टारडम के बारे में सवाल किया था। उनसे पूछा गया कि इन पांच सालों में उन्होंने 1 करोड़ रुपये से 40 करोड़ चार्ज करने शुरू कर दिए हैं?
इस सवाल को सुनकर पहले कार्तिक मुस्कुराए और फिर उन्होंने कहा, "प्यार का पंचनामा के लिए 1 करोड़ रुपये नहीं मिले थे, केवल 70,000 रुपये मिले थे।" उनसे पूछा गया कि क्या 'सोनू के टीटू की स्वीटी' के लिए उन्हें 1 करोड़ रुपये मिले थे, इसपर कार्तिक ने कहा कि इस फिल्म के लिए भी उन्हें 1 करोड़ नहीं मिले, लेकिन इस फिल्म के बाद उन्होंने पैसा कमाना शुरू किया।
कार्तिक ने कहा, "उन दिनों मुझे टीडीएस की बहुत चिंता रहती थी। मेरे पे चेक से टैक्स पहले ही कट जाता था। 'प्यार का पंचनामा' के लिए टैक्स कटने के बाद मुझे 63,000 रुपये ही मिले थे। मुझे याद है मैं अपने पहले विज्ञापन से 1,500 रुपये कमाए थे और पहली फिल्म से 70 हजार और अब मैं इस नंबर तक पहुंच चुका हूं।" मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कार्तिक आर्यन अपनी एक फिल्म के लिए अब 30 से 40 करोड़ चार्ज करते हैं
इस फिल्म के लिए नहीं ली फीस
शोशा को दिए इंटरव्यू में कार्तिक ने बताया था कि 'शहजादा' के लिए उन्होंने अपनी फीस नहीं ली थी। उन्होंने कहा था, "मुझे फिल्म में निर्माता का श्रेय मिला क्योंकि मैंने अपनी फीस छोड़ दी। मैंने ऐसा तब किया जब कोई इन चीजों के बारे में बात नहीं कर रहा था। क्योंकि उनके पास पैसे की कमी हो रही थी, इसलिए मैंने अपनी मेहनताना छोड़ दिया। स्टार्स के बारे में ऐसा कोई नहीं लिखता। यह सिर्फ मैं ही नहीं, बहुत सारे स्टार्स ऐसा करते हैं और इससे भी बड़ी चीजें।
एक सीधा सा गणित है, निर्देशकों, अभिनेताओं से लेकर निर्माताओं तक, हर कोई चाहता है कि उनकी फिल्में चलें। कोई भी अपनी फिल्में लोड नहीं करना चाहता। मुझे नहीं लगता कि कोई यह सोचता है, 'नहीं, नहीं, मैं जो चाहूं चार्ज करूंगा, फिल्म जाएगी भाड़ में।"