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Kalki 2898 AD: अस्त्रों की दुनिया Vs पौराणिक किरदार… ब्रह्मास्त्र और कल्कि ने शुरू की बॉलीवुड-साउथ की असल जंग

ब्रह्मास्त्र अगर बॉलीवुड के लिहाज से कीर्तिमान स्थापित करने वाली पिक्चर रही है तो दूसरी तरफ कल्कि ने दक्षिण भारत में नए बेंचमार्क सेट कर दिए हैं।
Written by: Sudhanshu Maheshwari
नई दिल्ली | Updated: June 28, 2024 23:18 IST
कल्कि बनाम ब्रह्मास्त्र की लड़ाई
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पहले जब फिल्में रिलीज होती थीं, हम उन्हें इंडियन सिनेमा का तमगा देते थे, किसी भी भाषा में बने, किसी भी राज्य में शूट हो, वो इंडिया की फिल्म हुआ करती थी, तब यह बॉलीवुड बनाम टॉलीवुड वाली जंग नदारद थी। लेकिन समय के साथ और बढ़ते कॉम्टीशन ने इस नजरिए को बदलना शुरू कर दिया। इतना ज्यादा बदल दिया कि दक्षिण बनाम बॉलीवुड की खाई बढ़ती चली गई। अब आलम यह हो चुका है कि सोशल मीडिया पर हर दूसरे दिन बॉलीवुड बनाम साउथ की चर्चा होती दिख जाती है। कभी साउथ बाजी मारता है, कभी बॉलीवुड वापसी करता है, लेकिन चर्चा का केंद्र इसी के इर्द-गिर्द घूमता है। तैयार हो जाइए, एक बार फिर ऐसा ही माहौल बनने वाला है और यह बड़े लेवल पर होगा।

भारत के उपनिषदों को मिला मॉर्डन टच

नाग अश्विन की फिल्म कल्कि 2898 रिलीज हो चुकी है। मेगा बजट में बनी इस फिल्म में साउथ सुपरस्टार प्रभास को लिया गया है। वैल्यू बढ़ाने के लिए महानायक अमिताभ बच्चन को भी अहम किरदार दे रखा है। अब बड़े-बड़े स्टारों से सजी इस फिल्म का एक कॉन्सेप्ट है जो इसे दूसरी कई फिल्मों से अलग बनाता है। पिछले कुछ सालों में इंडियन सिनेमा की एक अलग खासियत देखने को मिली है, इसे इंडियन इसलिए कह रहे हैं क्योंकि यह पैटर्न दोनों बॉलीवुड और टॉलीवुड ने शिद्दत से फॉलो किया है। भारत की संस्कृति को, उसके ग्रंथों को मॉर्डन टच देकर कहानियों में पिरोने का काम किया गया है। ज्यादा पीछे जाने की जरूरत नहीं है, रणबीर कपूर की फिल्म ब्रह्मास्त्र इसका बड़ा उदाहरण है। अब कल्कि 2898 ने भी उसी कॉन्सेप्ट को आगे बढ़ाते हुए एक नई कहानी गढ़ने का काम किया है।

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कल्कि में थोड़ा इतिहास, थोड़ा फिक्शन

महाभारत का बैकग्राउंड है, अश्वथामा को मिला कभी ना मरने वाला श्राप है और कलयुग के अंत के बाद फिर भगवान के धरती पर आने का एक विश्वास है। अब यह सारी बातें उन कथाओं पर आधारित हैं जो आपने-हमने सुनी हैं, ग्रंथों में पढ़ी हैं। कल्कि के मेकर्स ने बस दर्शकों के उसी विश्वास को एक काल्पनिक कहानी में तब्दील कर दिया है। कहा गया है कि 6000 साल बाद 2898 AD में कलयुग अपने चरम पर पहुंच चुका है, अधर्म की सारी हदें पार हो चुकी हैं, ऐसे में भगवान विष्णु के 10वें अवतार के अवतरित होने का समय भी आ गया है।

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ब्रह्मास्त्र ने दिखाई अस्त्रों की दुनिया

इसके ऊपर फिल्म में प्रभास को महाभारत के किरदार कर्ण से प्रेरित बताया गया है। संभाला नगरी का भी जिक्र है जिसके महाभारत कनेक्शन कई बार सामने आ चुके हैं। ऐसे में कहानी खुद की है, लेकिन किरदार सारे पौराणिक। लोगों को सिनेमा घरों में खीचने की यह एक खास ट्रिक है जहां पर एक्शन लवर्स के साथ-साथ इतिहास में दिलचस्पी रखने वालों को भी साथ में ही साधा जाता है। कुछ साल पहले ही अयान मुखर्जी की ब्रह्मास्त्र आई थी, उसने हमे अस्त्रों की दुनिया दिखाई थी। नंदी, अग्नि, वायु जैसे तमाम अस्त्रों की कहानी बताई गई थी। वहां भी कहानी काल्पनिक थी, लेकिन जिन अस्त्रों का जिक्र रहा, वो सभी भारतीय उपनिषद-पुराणों में एक खास जगह रखते हैं।

ब्रह्मास्त्र का बढ़ेगा यूनिवर्स, कल्कि भी फिर तैयार

फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे ऋषियों ने काफी तप कर शक्तिशाली अस्त्रों को हासिल किया है और फिर कैसे उन अस्त्रों की रक्षा की जाती है। यहां भी माइथोलॉजी और फिक्शन का तगड़ा कॉम्बो देखने को मिला था जिसने एक बड़े वर्ग को एंटरटेन किया। कुछ ऐसा ही काम कल्कि कर रही है। लेकिन एक बात जो नोटिस करने लायक है वो यह कि अगर ब्रह्मास्त्र का संसार बढ़ा होने वाला है, उसकी दुनिया को और ज्यादा एक्सप्लोर करते हुए दो फिल्में लाने की तैयारी है तो दूसरी तरफ कल्कि भी अश्वथामा और कर्ण के सहारे एक और पार्ट लाने वाली है।

दोनों की यूएसपी VFX- बेहतर कौन

अब इन्हें सिर्फ दो फिल्मों के रूप में देखना गलत होगा क्योंकि एक अगर बॉलीवुड के लिहाज कीर्तिमान स्थापित करने वाली पिक्चर रही है तो दूसरी ने दक्षिण भारत में नए बेंचमार्क सेट कर दिए हैं। इसके ऊपर दोनों ही फिल्में VFX पर जरूरत से ज्यादा निर्भर हैं। अगर ब्रह्मास्त्र ने हॉलीवुड लेवल का वीएफएक्स दिखाया था, कल्कि देख भी लोगों के होश उड़े हैं। इसी तरह अगर ब्रह्मास्त्र ने पैन इंडिया फिल्म बनने के लिए खुद को पांच भाषाओं में रिलीज किया, कल्कि ने खुद को नॉर्थ इंडिया स्थापित करने के लिए हिंदी में भी रिलीज किया। ऐसे में कॉम्टीशन काफी तगड़ा रहा है। इन दोनों ही फिल्मों के साथ एक दिलचस्प बात यह भी है कि इन्होंने बॉलीवुड बनाम साउथ की लड़ाई को एक नया कलेवर देने का काम किया है।

ऐसा इसलिए क्योंकि अभी तक तो कहा जा रहा था कि साउथ हमने ज्यादा अच्छा कंटेंट जनरेट कर रहा है, उसकी कहानियां दर्शकों को ज्यादा रिलेट कर रही हैं। लेकिन यहां पर बात जब ब्रह्मास्त्र और कल्कि की होती है तो दोनों ही माइथोलॉजिकल कहानियों का सहारा लेती हैं, दोनों VFX वाली फिल्में हैं, इसके ऊपर दोनों में अमिताभ बच्चन भी हैं। ऐसे में यहां लड़ाई सिर्फ इस बात की है कि कौन ज्यादा बेहतर साबित हो सकती है, बॉलीवुड वाली ब्रह्मास्त्र या साउथ वाली कल्कि?

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brahmastraPrabhas
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