रामायण पर बनी इस देश की फिल्म को भारत में करना पड़ा था बैन, जानें क्या थी वजह
भगवान श्रीराम के भक्त भारत ही नहीं अन्य देशों में भी हैं। इस बात का सबूत आज दुनियाभर में देखने को मिल रहा है। न्यूयॉर्क के टाइम स्क्वायर पर राम लला छाए हुए हैं। भारत में रामायण के प्रति लोगों का अलग प्यार है, इसपर तमाम नाटक और फिल्में बनी हैं। ये ही प्यार एक बार जापान में भी देखने को मिला था, जब वहां के फिल्ममेकर ने रामायण पर फिल्म बनाई थी। हालांकि भारत में उस फिल्म को लेकर खूब बवाल हुआ और उसे बैन भी कर दिया गया। आज रामलला के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन हम आपको उसी फिल्म के बारे में जानकारी देने वाले हैं।
जापानी डायरेक्टर युको सको 1983 में भारत आए थे और यहां उन्हें रामायण के बारे में पता चला। उन्होंने रामायण को गहराई से जानने की कोशिश की। उन्होंने रामायण के 10 अलग-अलग वर्जन पढ़े और सालों रिसर्च करने के बाद इसपर एक फिल्म बनाना शुरू किया।
फिल्म का नाम था, 'रामायण-द लीजेंड ऑफ प्रिंस रामा' और ये एक एनिमेटेड रामायण थी, जिसे लेकर भारत में विश्व हिंदू परिषद ने विरोध किया। वह नहीं चाहते थे कि भगवान को कार्टून के रूप में दिखाया जाए। यूगो साको ने विश्वास दिलाया कि वह किसी भी तरह भारतीयों की भावनाओं को आहत नहीं करेंगे और इसके बाद उन्हें फिल्म बनाने की परमिशन मिली।
ये एक बड़ी फिल्म थी, 450 आर्टिस्ट्स के साथ फिल्म को बनाया गया था। रामानंद सागर की रामायण में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल को वॉयस ओवर के लिए अप्रोच किया गया। उन्होंने जापानी फिल्म में राम के किरदार को अपनी आवाज दी। ये फिल्म बनकर तैयार हुई और भारत में बाबरी मस्जिद को लेकर विवाद खड़ा हो गया। जिसका खामियाजा यूगो साको को भुगतना पड़ा।
आपको बता दें कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस फिल्म को सिनेमाघरों में रिलीज करवाया था। साल 2022 में पीएम मोदी ने यूगो साको से मुलाकात की और फिर फिल्म को सिनेमाघरों में रिलीज करने को कहा। इस फिल्म को जापानी भाषा के अलावा अंग्रेजी और हिंदी में बनाया गयाथा।