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निर्देशन ही नहीं, एक्टिंग में भी किस्मत आजमा चुके हैं इम्तियाज अली, बचपन में चोरी-चोरी देखते थे फिल्में

Imtiaz Ali: इम्तियाज अली सिनेमा जगत में प्यार का फलसफा कहने में सफल रहे हैं लेकिन आप जानते हैं कि वो निर्देशक नहीं बल्कि एक्टर बनना चाहते थे और एक फिल्म में काम भी किया था? मगर, सफलता हाथ नहीं लगी। चलिए बताते हैं।
Written by: एंटरटेनमेंट डेस्‍क | Edited By: Rahul Yadav
नई दिल्ली | July 05, 2024 16:49 IST
निर्देशन ही नहीं  एक्टिंग में भी किस्मत आजमा चुके हैं इम्तियाज अली  बचपन में चोरी चोरी देखते थे फिल्में
इम्तियाज अली करियर। (Photo- Jansatta)
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बॉलीवुड में प्यार का पाठ पढ़ाने वले इम्तियाज अली द इंडियन एक्सप्रेस के शो ‘एक्सप्रेसो’ में नजर आने वाले हैं। वो एक्ट्रेस तापसी पन्नू के साथ इस शो का हिस्सा बनने वाले हैं। दोनों स्टार्स शो में करियर और लाइफ से जुड़ी दिलचस्प बातें करने वाले हैं। ऐसे में आपको इम्तियाज अली के बारे में बता रहे हैं। इम्तियाज आज के समय के सक्सेसफुल डायरेक्टर हैं। वो पर्दे पर प्यार का फलसफा कहने में कामयाब रहे हैं। लेकिन, उनके बारे में बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि इम्तियाज कभी निर्देशक नहीं बनना चाहते थे। वो बचपन से ही एक्टिंग के सपने देखा करते थे और चोरी-छिपे फिल्में भी देखने जाया करते थे।

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इम्तियाज अली झारखंड के जमशेदपुर से ताल्लुक रखते हैं। उनका जन्म 16 जून 1971 को बुआ था। आज वो किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। इसके पीछे उनकी लगन और कड़ी मेहनत है। डायरेक्शन में आने से पहले इम्तियाज थिएटर किया करते थे। थिएटर ही वो हथियार है, जिसने उनके करियर में जान फूंका है। थिएटर की वजह से ही वो फिल्मी दुनिया में कदम रख पाए हैं लेकिन, उनकी चाह कभी फिल्में बनाने की नहीं रही है बल्कि वो तो एक्टर बनना चाहते थे। लेकिन, किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था।

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इम्तियाज अली ने लांघी थी सख्ती की दीवार

इम्तियाज अली की मां हाउस वाइफ थीं, जबकि पिता सिंचाई विभाग में इंजीनियर थे। जमशेदपुर में जन्मे इम्तियाज बाद में पटना चले गए थे और वहां सेंट जेवियर्स में 8वीं तक पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई जमशेदपुर में ही की। उनका परिवार सिनेमा के मामले में जरा सख्त रहा है। वो अपने फूफा के यहां रहते थे और उन्हें जरा भी पसंद नहीं था कि कोई पढ़ने लिखने वाला बच्चा टॉकीज में जाए। वहीं, उनके घर से सटी एक थिएटर की दीवार भी थी, जिसे लांघने का काम इम्तियाज ने किया था। घर की खिड़की से टॉकीज के पर्दे का छोटा-सा हिस्सा दिखता था। यहीं से इम्तियाज चोरी-छिपे फिल्में देखा करते थे।

कॉलेज में किया नाटक लिखने का काम और निर्देशन

पटना और जमशेदपुर के बाद आगे की पढ़ाई के लिए इम्तियाज अली दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज पहुंचे। यहां उन्होंने थिएटर में हिस्सा लिया। यहां उन्होंने नाटक लिखने और निर्देशन का काम संभाला। बाद में फिल्मों में काम करने का सपना पूरा करने के लिए वो मुंबई चले गए थे। मुंबई में पहले वो गुजर-बसर करने के लिए काम खोज रहे थे तो इस दौरान फिल्म मेकिंग में असिस्टेंट का काम मिला तो किया। उन्होंने फिल्मों से पहले 'कुरुक्षेत्र' और 'महाभारत' जैसे सीरियल्स का निर्देशन किया है।

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2007 में बदली थी किस्मत

इम्तियाज अली ने फिल्मों में अपने करियर की शुरुआत साल 2005 में बतौर निर्देशक 'सोचा न था' से की थी। फिल्म कुछ खास कमाल नहीं कर सकी थी लेकिन, बाद में काफी पसंद किया गया था। इसके बाद उन्होंने साल 2006 में आई अगली फिल्म 'आहिस्ता आहिस्ता' बनाया। इसे भी खास प्रतिक्रिया नहीं मिली। हालांकि, इम्तियाज अली की किस्मत साल 2007 में फिल्म 'जब वी मेट' से बदली थी। इसके बाद 'रॉकस्टार', 'हैरी मेट सेजल', 'हाइवे' और 'लव आज कल' जैसी फिल्में बनाई और खूब नाम कमाया।

एक्टिग में आजमाई किस्मत, नहीं मिली सफलता

गौरतलब है कि इम्तियाज अली ने डायरेक्शन के अलावा एक्टिंग में भी किस्मत आजमाई है। वो पहली बार एक्टिंग करते हुए अनुराग कश्यप की फिल्म 'ब्लैक फ्राइडे' में नजर आए थे। इसमें उनका रोल याकूब मेनन का था। याकूब मेमन मुंबई बम धमाकों के मुख्य आरोपी टाइगर मेमन का छोटा भाई था। याकूब सरकारी गवाह बना था, लेकिन बाद में उसे फांसी दे दी गई थी।

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