CineGram: फिल्मों में आने से पहले काजी हुआ करते थे ये कॉमेडी एक्टर, मस्जिद में हुई दिलीप कुमार से मुलाकात ने बदली किस्मत
कहते हैं कि अगर किस्मत में कुछ बड़ा होना लिखा हो तो इसे होने से कोई नहीं रोक सकता। किसने सोचा था कि आम सा दिखने वाला एक काजी, जो बच्चों को कुरान पढ़ाया करता था, कभी हिंदी सिनेमा जगत में छा जाएगा। जिसके आगे अमिताभ बच्चन और दिलीप कुमार जैसे अभिनेता भी नहीं टिक पाएं। हम बात कर रहे हैं कॉमेडी एक्टर मुकरी की, जिन्हें लोग नत्थूलाल के नाम से भी जानते हैं। उनका कद भले ही 5 फुट का था, लेकिन बुलंदियां उनके कदम चूमा करती थी।
मुकरी ने 6 दशक तक फिल्म इंडस्ट्री में काम किया, कभी उन्होंने तैय्यब अली बनकर लोगों को हंसाया तो कभी नत्थूलाल बनकर उन्होंने अपनी छाप छोड़ी। उस वक्त फिल्म इंडस्ट्री का कोई बड़ा स्टार नहीं था, जिसके साथ मुकरी ने काम न किया हो। हीरो से ज्यादा उनकी फिल्मों में डिमांड होने लगी थी। हर फिल्म में उनका कोई न कोई किरदार जरूर होता था। उनके रोल चाहे छोटे हो, लेकिन फिल्म की सारी लाइमलाइट वो छीन ले जाते थे।
कम ही लोग जानते हैं कि उनका बैकग्राउंड फिल्मों से जुड़ा नहीं था, बल्कि वो एक आम इंसान की तरह जीवन जीते थे। उनका जन्म हिसामुद्दीन उमर मुकरी के घर हुआ, जो बच्चों को कुरान पढ़ाया करते थे। मुकरी का पूरा नाम मोहम्मद उमर मुकरी था, लेकिन इंडस्ट्री में उन्हें केवल मुकरी के नाम से जाना जाता था।
दिलीप कुमार के साथ स्कूल पढ़ा करते थे मुकरी
अपने एक इंटरव्यू में मुकरी ने जीवन से जुड़े खास पहलुओं के बारे में बात की थी। उन्होंने बताया था कि स्कूल के दिनों में ही वह एक्टिंग में दिलचस्पी लेने लगे थे। हालांकि उन्हें कभी नहीं लगा था कि वो कभी इतने बड़े कॉमेडियन बन पाएंगे। उनके बड़े भाई मुंबई रहा करते थे तो उनका दाखिला भी वहीं करवा दिया गया। जिस स्कूल में उनका एडमिशन हुआ उसका नाम था 'अंजुमन इस्लाम' और इसी में यूसुफ खान यानी दिलीप कुमार भी पढ़ा करते थे।
स्कूल में हो गई थी दिलीप कुमार से दोस्ती
दिलीप कुमार, मुकरी के सीनियर थे और उनके भाई मुकरी की क्लास में पढ़ा करते थे। हालांकि अपने क्लासमेट से दोस्ती होने की बजाय मुकरी की दोस्ती दिलीप कुमार से हो गई। स्कूल में ही मुकरी को एक नाटक में भाग लेने का मौका मिला। उनकी एक्टिंग को सबने खूब पसंद किया और तभी मुकरी ने ठान लिया कि उन्हें एक्टर बनना है।
परिवार के दबाव में बने काजी
मुकरी को कॉमेडियन एक्टर बनने देने के बजाय उनके परिवार ने उन्हें काजी बना दिया। परिवार के दबाव में आकर वह भी पिता की तरह काजी बन गए और मदरसे में बच्चों को कुरान पढ़ाने लगे। वह इस काम से खुश नहीं थे और फिर उन्होंने कुछ समय सरकारी नौकरी भी की। एक दिन दिलीप कुमार से उनकी मुलाकात हुई और उनका एक्टर बनने का सपना पूरा हो गया।
दिलीप कुमार और मुकरी एक दिन मस्जिद में एक दूसरे से टकरा गए। बस फिर क्या था यहीं से मुकरी के अच्छे दिन शुरू हो गए। उस वक्त दिलीप कुमार भी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह नहीं बना पाए थे, लेकिन उन्होंने मुकरी को काम दिलवाने की पूरी कोशिश की। उन्होंने मुकरी को बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम दिलवाया। ऐसे ही मुकरी ने फिल्मों में अपनी जगह बनाना शुरू कर दिया और उन्हें सबसे पहले दिलीप कुमार के साथ ही फिल्म में काम करने का मौका मिला।
600 फिल्मों में किया काम
मुकरी की किस्मत ऐसी चमकी की एक के बाद एक फिल्मों में उन्हें रोल मिलने लगे। उन्होंने अपने करियर में पूरी 600 फिल्मों में काम किया। वह अमिताभ बच्चन की सभी बड़ी फिल्मों में भी नजर आए। 'शराबी', 'नसीब', 'मुक़द्दर का सिकंदर', 'लावारिस', 'महान', 'कुली', 'अमर अकबर एन्थॉनी' समेत कई फिल्मों में उन्होंने काम किया। साल 2000 में हार्ट अटैक और किडनी फेल होने से उनका निधन हो गया था।