CineGram: देव आनंद के लिए दीवानी थीं सुरैया, शादी नहीं हुई तो तन्हाई में अकेले गुजार दी उम्र, नानी बनी थीं प्यार में रोड़ा
गुजरे जमाने में हिंदी सिनेमा में एक से बढ़कर एक अभिनेत्रियों का बोलबाला रहा है। फिर चाहे वो मधुबाला रही हों या फिर मुमताज। इसी में से एक और नाम रहा है, जिसने स्क्रीन पर सालों तक राज किया। पर्दे पर राज करने वाली इस अभिनेत्री के नसीब में करियर की सफलता तो जरूर थी मगर निजी जिंदगी में प्यार नहीं लिखा था। ये कोई और नहीं बल्कि एक्ट्रेस सुरैया थीं। करियर के टॉप पर उन्हें देव आनंद से प्यार हुआ था। लेकिन, उनका प्यार कभी मुकम्मल ना हो सका। डायरेक्टर और एक्टर की पहली पसंद रहने वाली सुरैया ताउम्र अकेली रहीं। तन्हाई में उन्होंने जिंदगी गुजारी। ऐसे में चलिए बताते हैं एक्ट्रेस की अधूरी प्रेम कहानी के बारे में…
दरअसल, सुरैया की आज बर्थ एनिवर्सरी है। उनका जन्म 15 जून, 1929 को लाहौर के अजीज जमाल शेख और मुमताज शेख के घर हुआ था। एक्ट्रेस का पूरा नाम सुरैया जमाल शेख था। लेकिन, उन्हें सुरैया के नाम से ही जाना गया। जब वो एक साल की थीं तो उनका परिवार मुंबई आकर बस गया था और यहीं एक्ट्रेस की पढ़ाई लिखाई सब हुई। उन दिनों सुरैया के मामा एम जहूर हिंदी सिनेमा के जाने-माने विलेन हुआ करते थे। ऐसे में उनका भी फिल्म इंडस्ट्री में आसान हो गया। स्कूल की छुट्टी में सुरैया मामा के साथ ताजमहल की शूटिंग देखने मोहन स्टूडिया जाया करती थीं। वहां प्रोड्यूसर नानु भाई वकील की नजर उन पर पड़ी। उन्हें सुरैया की सादगी इस कदर लुभा गई कि उन्होंने फिल्म में उन्हें मुमताज महल के लिए चुन लिया। उन्हें एक्टिंग के साथ गाना भी आता था। वो बचपन में ही रेडियो पर बच्चों के लिए प्रसारित होने वाले प्रोग्राम में गाना गाया करती थीं। सुरैया ने अपने करियर में कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया। उन्होंने 1946 में फिल्म 'अनमोल घड़ी', 1947 में 'दर्द' और 1948 में 'प्यार की जीत' में काम किया। इन सभी फिल्मों ने उन्हें बहुत पॉपुलैरिटी दिलाई।
फिर बदल गई सुरैया की जिंदगी
इसके बाद सुरैया की जिंदगी साल 1948 में बदल गई। ये वो समय था जब उन्होंने पहली बार देव आनंद के साथ काम किया था। दोनों की साथ में पहली फिल्म 'विद्या' थी। इसी फिल्म के दौरान ही दोनों की पहली मुलाकात हुई थी। इसके बाद इनकी दोस्ती हुई और रोज मुलाकातें होने लगी तो गहरी दोस्ती हो गई थी। इसी बीच वो एक-दूसरे को पसंद भी करने लगे थे। सेट पर दोनों की आंखे एक-दूसरे को ढूंढती रहती थीं। देव आनंद उन्हें प्यार से नोजी बुलाते थे और सुरैया उन्हें स्टीव कहती थीं। इनके बीच अच्छा बॉन्ड बनता चला गया। लेकिन, इस बीच सुरैया की नानी को इनका मिलना-जुलना जरा भी पसंद नहीं था। नानी पुराने ख्यालों की थीं तो उन्हें बिल्कुल भी मंजूर नहीं था कि एक्ट्रेस किसी दूसरे धर्म में शादी करें।
नानी बन गईं देव आनंद और सुरैया के प्यार का रोड़ा
उधर देव आनंद सुरैया से मिलने के लिए उनके घर भी जाते थे। घूमना-फिरना साथ था। अब नानी को लगी इन सबकी भनक तो उन्होंने देव आनंद का आना-जाना बंद करा दिया था। इस घटना के बाद नानी सुरैया के साथ रहने लगीं। 1950 में देव आनंद और सुरैया ने साथ में दो फिल्में 'सनम' और 'जीत' साइन की। नानी, नातिन को सेट पर अकेली नहीं छोड़ती थीं। वो हर वक्त उनके साथ रहने लगी थीं। यहां तक कि वो डायरेक्टर को उनके रोमांटिक सीन्स तक को हटाने के लिए कहा करती थीं। नानी की वजह से मुश्किलें बढ़ गई थीं तो फोन पर भी बात करना मुश्किल हो गया था। ऐसे में दोनों ने चारा निकाला कि खत से बात करने लगे।
भागकर शादी करने को तैयार थे देव आनंद
अंत में देव आनंद और सुरैया का प्यार इतना परवान चढ़ चुका था कि वो दोनों एक-दूसरे से अलग नहीं रह सकते थे। नानी के राज़ी ना हो जाने की वजह से एक्टर उनसे भागकर शादी करने को भी तैयार हो गए थे। साल 1949 में देव आनंद एक्ट्रेस सुरैया के साथ भागने को भी तैयार हो गए थे लेकिन उन्होंने शादी से मना कर दिया था क्योंकि वो कभी भी परिवार के खिलाफ जाकर अपना घर नहीं बसाना चाहती थीं। इसके बाद उन्होंने देवा आनंद से हमेशा के लिए दूरी बना ली थीं। लेकिन, सुरैया ने अपने प्यार की लाज रखी और उन्होंने किसी और के साथ शादी नहीं की थी। वो ताउम्र अकेली रहीं। उन्होंने देव आनंद की याद में तन्हाई में सारी उम्र गुजार दी थी।
देवानंद के साथ सुरैया की फिल्में
देवानंद और सुरैया की जोड़ी पर्दे पर हिट थी और उन्होंने साथ में कई फिल्मों में काम किया था। इसमें 'विद्या', 'शायर', 'जीत', 'अफसर' और 'सनम' जैसी फिल्मों के नाम शामिल हैं।