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क्या सही में राहुल नहीं कर रहे अडानी-अंबानी का जिक्र? मोदी के दावों का FACT CHECK

अब चुनाव है तो दावे अपनी जगह हैं, लेकिन उन दावों में कितनी सच्चाई है, ये समझना भी जरूरी है।
Written by: Asad Rehman | Edited By: Sudhanshu Maheshwari
नई दिल्ली | Updated: May 09, 2024 08:03 IST
पीएम मोदी और उनके दावों की पड़ताल
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी चुनाव में कांग्रेस पार्टी पर आक्रमक अंदाज में हमला कर रहे हैं। कई मुद्दों को लेकर फिर सीधे-सीधे राहुल गांधी पर निशाना साध रहे हैं। इसी कड़ी में उनकी तरफ से बुधवार को तेलंगाना में एक रैली के दौरान अडानी-अंबानी का जिक्र किया गया। पीएम मोदी ने आरोप लगा दिया कि पिछले कई दिनों से राहुल गांधी द्वारा कहीं भी अडानी-अंबानी का जिक्र तक नहीं किया जा रहा। पीएम ने सवाल पूछा कि क्या अडानी-अंबानी से माल उठाया गया?

हर रैली में राहुल ने किया जिक्र

अब चुनाव है तो दावे अपनी जगह हैं, लेकिन उन दावों में कितनी सच्चाई है, ये समझना भी जरूरी है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस दावे का भी फैक्ट चेक किया गया है जहां वे कह रहे हैं कि राहुल गांधी अब अडानी-अंबानी का जिक्र नहीं करते। अब सबसे पहले पीएम मोदी के दावे को लेकर बता दें कि ये पूरी तरह गलत है। गलत इसलिए क्योंकि अभी भी राहुल गांधी का पसंदीदा मुद्दा अडानी-अंबानी ही है। उनकी हर रैली में इन दोनों उद्योगपतियों का जिक्र हो रहा है। उदाहरण से ही समझने की कोशिश करते हैं-

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सात मई को राहुल गांधी ने झारखंड में एक रैली के दौरान कहा कि बीजेपी तो आप लोगों को वनवासी कहती है, वो आपके जंगलों को अडानी को सौंप देगी। 24 घंटे लगातार अडानी को जंगल सौंपे जा रहे हैं, मोदी जो भी काम करते हैं वो सिर्फ उद्योगपतियों के लिए होते हैं। उनके 22-2ू5 दोस्त हैं अडानी जैसे जिनके लिए वे काम कर रहे हैं। इस समय जमीन उनकी हैं, जंगल उनके हैं, मीडिया भी उनकी है, पेट्रोल भी उनका है, सबकुछ उनके लिए है।

इसी कड़ी में 6 मई को मध्य प्रदेश के खरगोन में राहुल ने कहा कि पूरे पब्लिक सेक्टर को ही तबाह करने की तैयारी है, सिर्फ 22-25 लोग पूरे देश पर राज करेंगे, ये लोग कौन हैं? ये भारत के चुनिंदा उद्योगपति हैं और अडानी जैसे लोग हैं जो आपकी जमीन, जंगल पर नजर रखते हैं। ये आप से ये सब छीनना चाहते हैं। ये नरेंद्र मोदी के खास दोस्त हैं। मध्य प्रदेश के ही रतलाम में भी 6 मई को राहुल ने अडानी का जिक्र किया था।

उन्होंने कहा था कि मीडिया तो कभी भी आदिवासियों का जिक्र नहीं करती। वो तो अंबानी की शादी दिखाती है, नाचता बॉलीवुड दिखाती है। लेकिन जब आदिवासियों पर अत्यचार होता है, जब आपकी जमीन ले ली जाती है, वो नहीं दिखाते। नरेंद्रर मोदी ने अमीर उद्योगपतियों का कर्जा माफ कर दिया है। अगर ये लोग अमीरों को पैसा दे सकते हैं, हम भी दलित, पिछड़े लोगों को ये पैसा जनरल कैटेगरी से लेकर दे सकते हैं।

रणनीति पुरानी, कांग्रेस नेता भी असहज

अब राहुल गांधी के लिए अडानी-अंबानी का मुद्दा कोई अभी का नहीं है, बल्कि साल 2015 से ही उनकी रणनीति का हिस्सा रहा है। कभी सूट बूट की सरकार कहना, कभी राफेल का मुद्दा उठाना, कभी कर्ज माफी का जिक्र होना, केंद्र में हमेशा से ही अडानी-अंबानी रहे हैं। कांग्रेस के अंदर भी इस तेवर को लेकर विवाद की स्थिति बन जाती है, लेकिन फिर भी हाईकमान और खास तौर पर राहुल गांधी की तरफ से लगातार इसी अंदाज में हमला किया गया है। इंडिया गठबंधन के कुछ नेता भी राहुल की इस रणनीति से ज्यादा खुश नहीं रहते हैं। लेकिन अगर ये कह दिया जाए कि अब राहुल ऐसा नहीं कर रहे हैं, ये गलत होगा क्योंकि उनके तमाम भाषण इस बात की गवाही दे रहे हैं।

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