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सिद्धारमैया या डीके शिवकुमार नहीं, ये हैं कर्नाटक के रण से उभरे सबसे बड़े विजेता, बीजेपी भी हैरान

Karnataka में जीत के बाद उभरे संकट को सुलझाकर मल्लिकार्जुन खड़गे सबसे बड़े विजेता बनकर उभरे हैं।
Written by: मनोज सीजी | Edited By: Yashveer Singh
Updated: May 21, 2023 21:27 IST
सिद्धारमैया या डीके शिवकुमार नहीं  ये हैं कर्नाटक के रण से उभरे सबसे बड़े विजेता  बीजेपी भी हैरान
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक से सबसे बड़े विजेता बनकर उभरे हैं (Image- Express)
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कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद हर तरफ डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के चर्चे हो रहे हैं। पार्टी ने राज्य में मिली बड़ी जीत का सेहरा इन दोनों नेताओं के सिर ही बांधा है। इन दो दिग्गजों के अलावा एक अन्य नेता जो इस रण से विजेता बनकर उभरे हैं, वो हैं कांग्रेस पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे। अनुसूचित जाति से आने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे का संबंध भी कर्नाटक से ही है।

मल्लिकार्जुन खड़गे सीताराम केसरी के बाद कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले पहले ऐसे नेता हैं, जिनका गांधी परिवार से कोई संबंध नहीं है। ऐसे में खड़गे किसी भी संकट में किसी भी तरह के राहत की उम्मीद नहीं कर सकते। खुद कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं का खड़गे के गांधी परिवार के साथ मामूली मनमुटाव से बचते हुए अपेक्षित निर्णय लेने की उनकी क्षमता को लेकर आशंका थी।

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लेकिन अब कहा जा सकता है कि खड़गे ने उन सभी आशंकाओं को गलत साबित किया है। उन्होंने कर्नाटक में जीत के बाद शुरू हुए संघर्ष से पार्टी को बेहद चतुराई से बाहर निकाला। ऐसा पहली बार नहीं है… इससे पहले वो हिमाचल में भी जीत के बाद उभरे संकट को खत्म करने में सफल रहे थे। इन दोनों ही संकटों का निदान कर खड़गे यह साबित करने में सफल रहे हैं कि वो खुद की सुनते हैं और जरूरत पड़ने पर गांधी परिवार की सलाह लेने में भी गुरेज नहीं करते।

कांग्रेस पर कड़े नियंत्रण और पार्टी के लगातार गिरते ग्राफ की वजह से बदनाम गांधी परिवार ने भी मल्लिकार्जुन खड़गे को अपनी तरफ से फ्री हैंड दिया। इतना ही नहीं, गांधी परिवार की तरफ से ऐसा कोई भी संकेत सामने नहीं आया जिससे यह लगे की मल्लिकार्जुन खड़गे एक रबर स्टैंप अध्यक्ष हैं। कर्नाटक में जीत के बाद उभरी स्थिति से सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी ने खुद को दूर दिखाने में सफल रही हैं। गांधी परिवार के ये दोनों चेहरे इस दौरान शिमला ट्रिप पर थे जबकि दिल्ली में वार्ताओं का दौर जारी थी। इस दौरान राहुल गांधी बातचीत के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे के घर गए थे।

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इसके बाद मल्लिकार्जुन खड़गे एक तस्वीर में डीके और सिद्धारमैया का हाथ थामे नजर आए। इस तस्वीर से उन्होंने कर्नाटक में उपजे विवाद को सुलझाने के संकेत दिए। संसद में सत्ता पक्ष पर हमलों के बाद कर्नाटक चुनाव में भी उनका एग्रेसिव रूप देखने को मिला। इस चुनाव में उन्होंने करीब 1 महीने अपने गृह राज्य में कैंप किया अपनी उम्र के बाद भी पूरे राज्य में प्रचार किया औऱ बीजेपी को 66 सीटों पर समेट दिया। शायद ही भगवा दल ने खड़गे का ऐसा रूप देखने की कभी उम्मीद भी की हो।

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कर्नाटक चुनाव से हटकर अगर बात करें तो पिछले दिनों बिहार के सीएम नीतीश कुमार और उनके डिप्टी तेजस्वी यादव भी विपक्षी एकता के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर पहुंचे थे। वहां राहुल गांधी भी मौजूद थे। मार्च महीने में मल्लिकार्जुन खड़गे ने विपक्ष के नेताओं को अपने आवास पर डिनर पर भी आमंत्रित किया था। यहां सोनिया और राहुल गांधी भी पहुंचे थे।

कर्नाटक में डीके और सिद्धारमैया को एक नतीजे पर लेकर आना खड़गे के लिए एक 'बिटरस्वीट मोमेंट' है। वर्तमान में कर्नाटक के सबसे पुराने नेताओं में से मल्लिकार्जुन खड़गे खुद तीन बार सीएम की रेस में होने के बाद भी अपने साथी प्रतिद्वंदियों से हार चुके हैं। साल 2013 में तो उनके बजाय सिद्धारमैया को कर्नाटक का सीएम चुना गया। इस बार खुद खड़गे ने भी सिद्धारमैया को सीएम चुनाव। खड़गे जैसे पुराने कांग्रेस के लिए शायद आज भी सिद्धारमैया पार्टी में एक आउटसाइडर ही हों, जिन्होंने 2008 में एंट्री की है।

माना जाता है कि खड़गे के दिल में शिवकुमार के लिए एक सॉफ्ट कार्नर भी है। कुछ लोगों का तो यह तक मानना है कि खड़गे डीके शिवकुमार में अपने छवि देखते हैं। वो डीके को एक ऐसा 'रणवीर' मानते हैं, जो हर पायदान पर काम कर आगे बढ़ा है। हालांकि इस सब के बाद भी सिद्धारमैया के चयन में खड़गे ने अतीत को सामने आने नहीं दिया। उन्होंने खुद ही दोनों प्रतिद्वंदियों के बीच वार्ता की पहल की और दोनों पर एक मत पर लेकर आए।

खुद राहुल गांधी भी जानबूझकर इन दोनों नेताओं से पहले ही नहीं मिले, दोनों ही नेताओं को पहले खड़गे के निवास पर बुलाया गया। हालांकि गांधी परिवार को हर फैसले के बारे में लूप में रखा गया। राहुल गांधी की तरफ से मिले फ्री हैंड के बाद खड़गे ने खुद के लिए सभी विधायकों से CLP लीडर चयन का एक लाइन का रेजोल्यूशन पारित करवाया। इसके बाद जो हुआ, वह पूरे देश को पता है।

कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि कर्नाटक को लेकर वह किसी भी समय वह तनाव में नहीं दिखे। उन्होंने न तो कोई अल्टीमेटम दिया और न ही कठोर लहजे में बात की। वास्तव में, पूरे समय उनका मिजाज सौहार्दपूर्ण और वास्तव में आनंदमय था। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कर्नाटक के AICC इंचार्ज रणदीप सुरजेवाला ने हिंट दिया कि खड़गे एक बार को लेकर बहुत क्लियर थे कि किसी एक व्यक्ति को पॉवर सेंटर बनने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।

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