Indore: कांग्रेस की उम्मीदवारी छोड़ BJP शामिल हो गए थे अक्षय बम, मर्डर केस में अब जारी हुआ अरेस्ट वॉरंट
मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को पिछले दिनों बड़ा झटका लगा था, जब इंदौर से पार्टी के लोकसभा चुनाव के लिए घोषित हुए प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने ही अपना नामांकन अचानक वापस ले लिया था। अक्षय कांति बम बीजेपी विधायक और मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के साथ नामांकन वापस लेने के लिए कलेक्ट्रेट ऑफिस गए थे।
नामांकन वापस लेने के बाद अक्षय बीजेपी में शामिल हो गए थे लेकिन आज उन्हें एक बड़ा झटका लगा है क्योंकि अक्षय कांति और अन्य चार लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया गया है, जिसके चलते उनकी मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं। उन्हें कभी-भी गिरफ्तार किया जा सकता है।
17 साल पुराने केस में दर्ज हुआ था मुकदमा
दरअसल, मध्य प्रदेश की एक अदालत ने हत्या के प्रयास के मामले में बीजेपी में शामिल हुए नेता अक्षय कांति बम और अन्य चार लोगों के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया है। दिलचस्प बात यह भी है कि कांग्रेस से लोकसभा का टिकट मिलने के बाद ही अक्षय के खिलाफ यह केस दर्ज किया गया था। अक्षय के खिलाफ 17 साल पुराने जमीन हड़पने के मामले में कोर्ट के निर्देश पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया गया था।
सियासी तौर पर माना जा रहा है कि अक्षय बम ने बीजेपी की चाल के तहत अपना नामांकन वापस लिया था। कांग्रेस के पूर्व उम्मीदवार ने दावा किया था कि चुनाव प्रचार के लिए पार्टी संगठन की ओर से सहयोग न मिलने के कारण उन्हें चुनाव की दौड़ से बाहर होना पड़ा है।
चुनाव प्रचार में सपोर्ट न मिलने का लगाया था आरोप
इतना ही नहीं, अक्षय बम ने कहा था कि उन्हें चुनाव प्रचार के लिए प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं का कोई सहयोग भी नहीं मिल रहा है।बता दें की अक्षय बम पेशे से एक बिजनेसमैन हैं और पार्टी छोड़ने को लेकर उन्होंने कहा था कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर वोट पाने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की थी, लेकिन इतना बड़ा चुनाव केवल स्थानीय नेता के दम पर नहीं लड़ा जा सकता है।
अक्षय ने यह भी दावा किया कि उन्होंने मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को इस बारे में जानकारी विधि थी लेकिन उन्होंने भी चुनाव के लिए उनका कोई खास साथ नहीं दिया। अक्षय कांति बम ने यह भी आरोप लगाया था कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता 2 घंटे तक इंदौर हवाई अड्डे पर मौजूद थे लेकिन कांग्रेस पार्टी ने उनकी कोई रैली आयोजित नहीं करवाई, जो बताता है कि पार्टी उनका चुनाव में कोई सहयोग नहीं कर रही थी।