जब पहली बार चुने गए थे सांसद तो अपनी ही पार्टी के लोगों ने उठाए थे सवाल, राजनीति में गोविंदा ने की वापसी; क्या लड़ेंगे चुनाव?
Vallabh Ozarkar, Alaka Sahani
फिल्म अभिनेता गोविंदा एक बार फिर से राजनीति में आ रहे हैं। करीब 15 साल बाद वह राजनीति में वापसी कर रहे हैं। गुरुवार को गोविंदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गए और उन्हें टिकट मिलने के साथ-साथ पार्टी के स्टार प्रचारकों में भी शामिल होने की संभावना है। काफी समय से गोविंदा फ़िल्मी करियर में वह स्ट्रगल कर रहे थे।
हालांकि गोविंदा के राजनीति में आने की उम्मीद कम थी। 2004 में जब गोविंदा कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए तो संसद में उनकी कम उपस्थिति को लेकर उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। उन्होंने उस समय यह कहते हुए राजनीति में कभी नहीं लौटने की कसम खाई थी कि यह उनके बस की बात नहीं है। 2013 में गोविंदा ने इस बात को दोहराते हुए राजनीति में शामिल होने को अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती बताया और उसके बाद अपने फ़िल्मी करियर के ढलान पर जाने का अफसोस जताया।
गुरुवार को शिवसेना में शामिल होने के बाद गोविंदा ने शिंदे सरकार के कामों की प्रशंसा की। हिट लव 86 के साथ उनके धमाकेदार बॉलीवुड डेब्यू की तरह, 2004 में उनकी राजनीतिक शुरुआत भी वास्तव में एक ब्लॉकबस्टर थी। मुंबई नॉर्थ से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए गोविंदा ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पांच बार के सांसद राम नाइक को 50,000 वोटों से हराया था। चर्चा है कि शिंदे सेना उन्हें दोबारा उसी सीट से मैदान में उतार सकती है। दिलचस्प बात यह है कि जब गोविंदा से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि सीएम फैसला करेंगे। वहीं एकनाथ शिंदे ने जोर देकर कहा कि गोविंदा ने शामिल होने के लिए कोई शर्त नहीं रखी है, और वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं।
गोविंदा का जन्म अरुणा आहूजा के घर हुआ था, जो 1940 के दशक के दौरान एक छोटे अभिनेता थे। गोविंदा की मां निर्मला आहूजा एक अभिनेत्री और गायिका थीं। 1987 में गोविंदा ने अपनी दूर की रिश्तेदार सुनीता से गुपचुप तरीके से शादी कर ली और इस रिश्ते को चार साल तक छुपाए रखा।
इससे उनकी फिल्म परियोजनाओं को प्राथमिकता देते हुए लंबे समय तक संसद से अनुपस्थित रहने की आलोचना बढ़ गई। गोविंदा ने बाद में दावा किया कि 2009 में कांग्रेस पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व उन्हें मुंबई उत्तर से फिर से उम्मीदवार बनाना चाहता था, लेकिन राज्य इकाई ने उन्हें नहीं बताया। उनका कहना था कि तभी उन्होंने राजनीति में आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया और कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा था कि मुझे सचमुच मेरी ही पार्टी और लोगों ने घेर लिया था।