बिहार की पांच सीटों पर दूसरे चरण में पचास उम्मीदवारों की किस्मत का कल होगा फैसला, जनता मौन, नेता पस्त
दूसरे चरण में बिहार की पांच सीटों पर लड़ रहे पचास उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा। भागलपुर,बांका, कटिहार, पूर्णिया जद(एकी) के निवर्तमान सांसद हैं। किशनगंज के फिलहाल सांसद कांग्रेस के हो लेकिन इनके सामने जद(एकी) ही चुनाव लड़ रही है। राजग गठबंधन के सभी नेता और इंडिया गठबंधन के नेताओं ने मतदाताओं को लुभाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। लेकिन जनता मौन है। न पोस्टर, न झंडे, न लाउडस्पीकर और न दीवारों पर नारे हैं। नेताओं और कार्यकर्ताओं में जोश जरूर है। लेकिन प्रचंड गर्मी और चिलचिलाती धूप सबको पस्त किए है। राम मंदिर बन जाने का कोई न गुणगान है और न महंगाई की चर्चा। सभी ज्वलंत मुद्दे उड़न खटोले के झोंके में हवा हवाई है।
लेकिन सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए नेताओं को पसीना बहाना पड़ रहा है। राजग की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा आकर सभा कर गए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, शिक्षा मंत्री सुनील कुमार समेत प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय सिंहा सरीखे नेताओं को गांव- गांव घूमना पड़ रहा है। वहीं इंडिया गठबंधन की तरफ से कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राजद नेता तेजस्वी यादव , वीआईपी पार्टी के मुकेश साहनी जोर लगा गए हैं। यहां तक कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने दल के नेताओं के साथ भागलपुर में अपने उम्मीदवार अजय मंडल के पक्ष में रोड शो के लिए सड़कों पर उतरना पड़ा।
वहीं भागलपुर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस 2009 के बाद उतरकर बतौर अजित शर्मा कड़ी टक्कर दे रहे हैं। वे अपनी बेटी अभिनेत्री नेहा शर्मा को लेकर रोड शो कर रहे हैं। उमड़ी भीड़ यदि जीत का पैमाना मान लिया जाए तो अजित शर्मा अजय मंडल से आगे नजर आ रहे हैं। मगर टक्कर कांटे की है। वैसे पिछले चुनाव में जद(एकी) के अजय मंडल ने पौने तीन लाख से ज्यादा मतों से राजद के बुलो मंडल को शिकस्त दी थी। बुलो मंडल ने इस दफा राजद की लालटेन छोड़ जद(एकी) का तीर थाम लिया है। लेकिन जद(एकी) के ही विधायक गोपाल मंडल इनकी जीत में रोड़ा बन सकते हैं। दूसरी शंका भाजपा कार्यकर्ताओं को लेकर भी है। ज्यादातर कार्यकर्ता खगड़िया में लोजपा(र) के प्रत्याशी व भागलपुर के पूर्व उपमहापौर राजेश वर्मा के पक्ष में काम करने वहां चले गए हैं।
बांका में चुनावी रण दो यादव महारथियों के बीच है। निवर्तमान सांसद जद(एकी) के गिरधारी यादव और राजद के नेता पूर्व सांसद जयप्रकाश नारायण यादव फिर से जंग में उतरे हैं। 2019 के चुनाव में गिरधारी को चार लाख से ज्यादा मत मिले थे। और जीत इनकी हुई थी। जयप्रकाश को दो लाख 39 हजार से ज्यादा मत मिले थे। इस बार जनता एक दम शांत है। और नेताओं के उड़न खटोले उड़ते देख रही है।
वहीं पूर्णिया में पप्पू यादव के निर्दलीय चुनाव मैदान में डट जाने से राजद प्रत्याशी बीमा भारती की जीत पर संशय होने लगी है। तभी राजद नेता तेजस्वी ने यहां एक चुनावी सभा में साफ कह दिया कि यदि आप अपना मत बीमा भारती को नहीं देना चाहते हैं तो राजग गठबंधन के प्रत्याशी को दीजिए। दो गठबंधनों की लड़ाई है। जाहिर है पप्पू यादव बीमा की जीत में रोड़ा है। यों 2019 के चुनाव में जद(एकी) उम्मीदवार संतोष कुमार को छह लाख से ज्यादा मत हासिल हुए थे। इन्होंने कांग्रेस के उदय सिंह को पराजित किया था। इनको तीन लाख 69 हजार से ज्यादा मत प्राप्त हुए थे। इस दफा भी जद(एकी) ने संतोष कुमार पर ही भरोसा जताया है।
कटिहार लोकसभा क्षेत्र से जद(एकी) के दुलाल चंद्र गोस्वामी और कांग्रेस के कद्दावर नेता तारिक अनवर में सीधी लड़ाई है। बीते चुनाव में आमने-सामने यही दोनों थे। और जद(एकी) के दुलाल चंद्र गोस्वामी को पांच लाख 59 हजार मतों से ज्यादा और इनके मुकाबले तारिक अनवर को पांच लाख से अधिक वोट मिले थे। तारिक अनवर पहले भी कटिहार सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। किशनगंज संसदीय सीट कांग्रेस के कब्जे वाली है। यहां से मो.जावेद निवर्तमान सांसद हैं। कांग्रेस ने फिर से इनपर भरोसा जताया है। 2019 चुनाव में इन्हें तीन लाख 67 हजार से ज्यादा मत मिले थे।
वहीं जद(एकी) के महमूद अशरफ को तीन लाख 32 हजार से अधिक मत हासिल हुए थे। और एआईएमआईएम के अनवारुल ईमान को दो लाख 95 हजार मत मिले थे। इस दफा जद(एकी) ने अपना उम्मीदवार के तौर पर मुजाहिद आलम को उतारा है। कांग्रेस और एआईएमआईएम के प्रत्याशी पुराने हैं। किशनगंज बिहार में ऐसा संसदीय क्षेत्र है जहां 68 फीसदी अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र है। इसलिए सभी दल इसी समुदाय से उम्मीदवार उतारते हैं।
बहरहाल इन पांचों सीटों पर चुनाव 26 अप्रैल को है। मतदान का प्रतिशत बढाने के लिए प्रशासनिक तौर पर कोशिश की जा रही है। भागलपुर के डीएम डा. नवल किशोर चौधरी ने मतदान के प्रति जागरूकता लाने के लिए कैंडल मार्च निकाला है। कभी नुक्कड़ नाटक तो कभी रैलियां। बिहार की पहले चरण की चार सीटों पर मतदाताओं का मत डालने का उदासीन रवैया इनके मन की धड़कन बढ़ा दी है। खैर जो भी हो दूसरे चरण की पांचों सीटों पर जीत के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपना भरपूर प्रयास कर रहे हैं।