भागलपुर संसदीय सीट पर कांग्रेस और जदयू आमने- सामने, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा दांव पर
भागलपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन तलाश रही है। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए भागलपुर सीट को बचाना प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। मंगलवार को नीतीश कमार ने यहां पर रोड शो भी किया। यहां जद(एकी)के निवर्तमान सांसद अजय मंडल एक दफा फिर चुनाव मैदान में हैं।
इनके मुकाबले भागलपुर के कांग्रेसी विधायक अजित शर्मा दमखम के साथ मैदान में जमे हुए हैं। अपनी अभिनेत्री बेटी नेहा शर्मा को लेकर कहलगांव, पीरपैंती, बिहपुर में रोड शो कर चुके हैं। बुधवार को भागलपुर शहरी क्षेत्र में रोड शो किया। स्वयं भी गांव-गांव जाकर अपना जनसंपर्क कर रहे हैं। राहुल गांधी की सभा इनके पक्ष में हो चुकी है। राजद नेता तेजस्वी यादव और वीआईपी प्रमुख मुकेश साहनी सभाएं कर रहे हैं। 28 साल के बाद भागलपुर संसदीय सीट पर कांग्रेस मजबूती से चुनाव लड़ती नजर आ रही है।
दरअसल 1996 में कांग्रेस ने रामेश्वर ठाकुर को उम्मीदवार बनाया था। लेकिन पहचान की समस्या होने के बावजूद उन्हें 115100 मत मिले थे। और वे तीसरे स्थान पर रहे थे। उस वक्त विजयश्री जनता दल प्रत्याशी चुनचुन यादव को मिली थी। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के प्रभाष चंद्र तिवारी को पराजित किया था।
इसके बाद कांग्रेस ने 2009 में अपनी किस्मत सदानंद सिंह को उम्मीदवार बनाकर आजमाया था। मगर वे मात्र 52 हजार मत हासिल कर पाए थे। भाजपा उम्मीदवार शाहनबाज हुसैन दो लाख 28 हजार से अधिक मतों से चुनाव जीत गये थे। और राजद के शकुनि चौधरी एक लाख 72 हजार से अधिक मत लाकर दूसरे स्थान पर रहे थे।
यदि राजद और कांग्रेस के मतों को जोड़ दिया जाए तो जीत महागठबंधन की होती। इस दफा यही सोचकर कांग्रेस अपनी खोई जमीन तलाशने के लिए मजबूती से चुनावी जंग में उतरी है। कांग्रेस ने एक तरह से 1996 के बाद भागलपुर का चुनावी मैदान छोड़ दिया था। 1999, 2004 का आम चुनाव 2006 का उपचुनाव और 2014 व 2019 का आम चुनाव नहीं लड़ा। जबकि भागलपुर कांग्रेस का गढ़ रहा है। 1977 को छोड़ दें तो 1984 तक भागलपुर सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। मसलन 1989 के भागलपुर दंगे के बाद कांग्रेस पिछड़ गई । जबकि 2015 और 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में भागलपुर शहरी सीट पर कांग्रेस का पंजा फिर से ऊपर हुआ था।
हालांकि भागलपुर सीट 2019 और इस दफा भी राजग के सीट बंटवारे में जद(एकी) के हिस्से में गई है। अजय मंडल 2019 के संसदीय चुनाव में पौने तीन लाख से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की थी। उन्होंने राजद के शैलेश कुमार उर्फ वुलो मंडल को पराजित किया था। उस वक्त भी कांग्रेस -राजद का महागठबंधन था। इस बार फर्क यह है कि राजद के उम्मीदवार की जगह कांग्रेस के प्रत्याशी सामने है।
राजद व वामदलों का कांग्रेस को समर्थन है। वहीं जद(एकी)के अजय मंडल के पक्ष में एक बात है कि राजद छोड़कर जद(एकी) का तीर थामने वाले बुलो मंडल इस बार अजय के साथ हैं। ये भी गंगोता हैं। वहीं गोपालपुर विधायक गोपाल मंडल इनके लिए रोड़ा साबित हो सकते हैं। दूसरी ओर भाजपा कार्यकर्ता खगड़िया के लोजपा(र) के प्रत्याशी राजेश वर्मा के लिए भागलपुर से चले गए हैं। भाजपा समर्थक मतों के भितरघात करने का खतरा भी है। हालांकि मंगलवार को राजनाथ सिंह और बुधवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सभा कर गए हैं।
जद(एकी) का पूरा कुनबा यहां जमा है। भाजपा के उपमुख्यमंत्री विजय सिंहा, मंत्री प्रेम कुमार और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सह उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी समेत कई भाजपा नेता सभाएं कर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार अजित शर्मा निवर्तमान सांसद अजय मंडल से सोशल मीडिया पर पूछ रहे हैं कि संसद में पांच साल तक चुप क्यों रहे। सवाल भी नहीं के बराबर पूछे हैं। भागलपुर की एनएच 80 अभी तक क्यों नहीं बनी।
अलबत्ता भागलपुर में दूसरे चरण के चुनाव यानी 26 अप्रैल को मतदान होना है। भागलपुर के डीएम सह निर्वाची अधिकारी नवल किशोर चौधरी बताते हैं कि भागलपुर संसदीय सीट पर 23 लाख से ज्यादा मतदाता हैं। जिनमें तीन लाख से ज्यादा वोट सुल्तानगंज विधानसभा क्षेत्र में है। इस क्षेत्र के मतदाता बांका संसदीय क्षेत्र के लिए मतदान करेंगे। लोकतंत्र का यह महापर्व है। इसे भयमुक्त माहौल में संपन्न कराया जाएगा। सभी तरह की तैयारियां कर ली गई है। लेकिन इंडिया और राजग गठबंधन के लिए भागलपुर सीट प्रतिष्ठा की बात बन गई है।