Bihar Lok Sabha Chunav: पहले चरण की इन चार सीटों पर राजनीतिक दलों ने लगाया दम, जानिए कैसे की जा रही हैं गोटियां सेट
पहले चरण के चुनाव के लिए बिहार की चार सीटों पर सभी राजनीतिक दलों ने अपनी ताकत झोंक दी है। खासकर NDA की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को तीसरी दफा बिहार का दौरा किया। इन्होंने 4 अप्रैल को जमुई, 7 अप्रैल को नवादा और 16 अप्रैल को गया व पूर्णिया का दौरा कर राजद के जंगलराज को याद दिलाया है। पूर्णिया में चुनाव 26 अप्रैल को है, लेकिन औरंगाबाद में 19 अप्रैल को वोट पड़ेंगे।
NDA की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ चार सीटों में प्रचार कर गए है। साथ ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद और इनकी टीम प्रचार करने में लगी है। जबकि राजद की तरफ से अकेले तेजस्वी यादव मोर्चा संभाले हुए हैं।
पहले चरण में चार सीटों पर मुकाबला
दरअसल औरंगाबाद, गया जमुई, नवादा चारों सीटों पर 19 अप्रैल को चुनाव है और दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। यहां NDA- RJD की मुख्य टक्कर है। राजद मुकाबले में है। इसलिए राजग नेताओं का जोर जंगलराज लेकर राजद पर प्रहार करना है। हालांकि राजद नेता तेजस्वी यादव बेरोजगारी को लेकर हमलावर हैं और अपने घोषणा पत्र में एक करोड़ बेरोजगारों को रोजगार देने का वायदा किया है।
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इसपर गया से राजग उम्मीदवार व हम पार्टी प्रमुख जीतनराम मांझी ने तंज कसते हुए कहा है कि अब राजद का यही लिखना बाकी रह गया कि अमेरिका को भारत में विलय और समुद्र को मीठा कर देंगे। चुनाव प्रचार का यही तरीका रह गया है। न कहीं पोस्टर है। न कहीं लाउडस्पीकर से प्रचार। राजनीतिक दलों के लिए प्रचार का मुख्य आधार सोशल मीडिया बना है। उम्मीदवार का दल प्रचार, पार्टी बैठक, नेताओं के दौरे, जनसंपर्क इत्यादि का साधन सोशल मीडिया बना है। इसलिए निर्वाचन अधिकारियों की पैनी नजर भी इस ओर गड़ी है।
जमुई में अरुण भारती vs अर्चना रविदास
खैर जो हो, लेकिन कहीं सियासत के खिलाड़ी खड़े हैं। तो कहीं उम्मीदवार पहचान की समस्या से जूझ रहे हैं। जमुई में यह समस्या सबसे ज्यादा है। यहां राजग की तरफ से लोजपा (र) उम्मीदवार अरुण भारती हैं और राजद की प्रत्याशी अर्चना रविदास नए हैं। जमुई सुरक्षित सीट है। निवर्तमान सांसद चिराग पासवान दो दफा जीत दर्ज की है, लेकिन इस बार अपने पिता की सियासी विरासत संभालने के लिए वे हाजीपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां अपने जीजा को उम्मीदवार बनाया है।
इस सीट को बचाने की चुनौती चिराग के सामने है। वहीं अर्चना रविदास राजद के पुराने नेता मुकेश यादव की पत्नी हैं। अंतरजातीय विवाह इन्होंने अर्चना से किया है। जीत जिसकी भी होगी लेकिन जमुई की जनता का प्रतिनिधित्व नया सांसद ही करेगा। वैसे प्रत्याशी नए हों मगर लड़ाने वाले दिग्गज हैं। इसलिए इनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
गया में जीतनराम मांझी vs सर्वजीत कुमार
दूसरी सुरक्षित सीट गया है। यहां से राजग गठबंधन की तरफ से हम पार्टी के प्रमुख जीतनराम मांझी हैं। और राजद की तरफ से बिहार के पूर्व मंत्री सर्वजीत कुमार को उतारा है। वे सांसद के लिए पहली दफा चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि जीतनराम मांझी चौथी बार सांसद का चुनाव लड़ रहे है। यह संयोग की बात है कि पिछले चुनावों में इनको सफलता हाथ नहीं लगी।
ये बिहार के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। कई दफा से विधायक हैं। 72 वर्षीय जीतनराम मांझी राजनीति में मंझे हुए माने जाते हैं। और गठबंधन भी बदलते रहे हैं। तभी पिछला चुनाव महागठबंधन से लड़े और हारे। अबकी राजग से लड़ रहे हैं। लेकिन टक्कर राजद उम्मीदवार तगड़ी दे रहे हैं। ये पासवान बिरादरी से हैं और सुलझे हुए नेता हैं।
नवादा में विवेक ठाकुर vs श्रवण कुशवाहा
नवादा सीट पर डा. सीपी ठाकुर के बेटे विवेक ठाकुर भाजपा टिकट पर लड़ रहे है। ये राज्यसभा सांसद है। इससे पहले यह सीट लोजपा के हिस्से गई थी। 2019 चुनाव में लोजपा के चंदन सिंह को विजयश्री मिली थी। इससे पहले गिरिराज सिंह 2014 के चुनाव में जीत हासिल की थी। 2019 में इन्हें इस सीट के बदले बेगूसराय सीट से भाजपा ने उतारा था। जो कन्हैया कुमार को वाममोर्चा उम्मीदवार की हैसियत से हराकर निर्वाचित हुए थे। अबकी भी गिरिराज सिंह को बेगूसराय से ही लड़वाकर भाजपा ने बाजी लगाई है। लेकिन नवादा सीट पर भाजपा के विवेक ठाकुर से राजद उम्मीदवार श्रवण कुशवाहा से मुकाबला है।
औरंगाबाद में सुशील कुमार सिंह vs अभय कुशवाहा
औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र पारंपरिक कांग्रेस का रहा है। लेकिन भाजपा के सुशील कुमार सिंह चार दफा से चुनाव जीतते रहे है। इस बार भी इन्हीं पर भाजपा ने भरोसा जताया है। यह इलाका चित्तौड़गढ़ के नाम से जाना जाता है। यहां राजपूतों का वर्चस्व है। यहां से कांग्रेस के निखिल कुमार लड़ना चाहते थे। लेकिन राजद ने यह सीट अपने पास रख ली है। सत्येंद्र नारायण सिंह और इनकी पत्नी श्यामा देवी भी सांसद रह चुकी है। इनके पुत्र निखिल कुमार भी सांसद रहे है। राजद ने जद(एकी) छोड़कर आए अभय कुशवाहा को चुनावी जंग में उतार किस्मत आजमाई है।
वैसे नवादा में श्रवण कुशवाहा और औरंगाबाद में अभय कुशवाहा राजद ने उतार कुशवाहा कार्ड खेला है।यहां कुर्मी, कोइरी , धानुक जाति के वोट बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जद(एकी) के माने जाते है। लेकिन मुंगेर से अशोक महतो की धर्मपत्नी अनिता देवी को राजद ने टिकट देकर जद(एकी) के मतों में सेंध लगाने की कोशिश है। कहते है अशोक महतो जेल से फरार होने पर 2001 में अदालत से सजा हुई थी। बीते साल भागलपुर जेल से रिहा हुए है। और इसी खरमास में शादी रचाई है। इन्हीं के भतीजे प्रदीप महतो दो बार वारसलीगंज से जद(एकी) टिकट पर चुनाव जीते है। यहां के राजेन्द्र महतो कहते है कि कोइरी, कुर्मी, धानुक, यादव, मुसलमान यदि राजद के पक्ष में मतदान किया तो बाजी पलट सकते है। मगर चारों सीटों पर राजग और राजद की कड़ी टक्कर है। जीत के लिए लोहे के चने चबाने पड़ेंगे।