NEET-NET Paper leak row: शिक्षा मंत्रालय ने गठित किया एक उच्च स्तरीय पैनल, सरकार को 2 महीने में सौंपेगा रिपोर्ट
नीट यूजी और यूजीसी नेट परीक्षा को लेकर मचे घमासान के बीच केंद्र सरकार ने परीक्षाओं के पारदर्शी होने की दिशा में एक और अहम कदम उठाया है। दरअसल, शनिवार को शिक्षा मंत्रालय ने पेपर लीक के आरोपों के बीच एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जिसकी अध्यक्षता पूर्व इसरो चीफ डॉ. के राधाकृष्णण को सौंपी गई है। इस पैनल की अध्यक्षता में कई अन्य एक्सपर्ट भी शामिल होंगे।
क्या काम होगा इस पैनल का?
इस पैनल का काम ना सिर्फ ये होगा कि भविष्य में होने वाली परीक्षाओं का कैसे पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष संचालन किया जाए बल्कि मौजूदा विवाद को भी सुलझाना इस पैनल का काम होगा। शिक्षा मंत्रालय ने इस कमेटी को ये जिम्मेदारी सौंपी है कि पेपर लीक मामले की जांच की जाए। ये पैनल अगले दो महीने में सरकार को रिपोर्ट सौंपेगा। ये समिति परीक्षा प्रक्रिया के तंत्र में सुधार, डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल में सुधार और एनटीए की संरचना और कार्यप्रणाली पर सिफारिशें करेगी।
पैनल में कुल 6 मेंबर हैं
शिक्षा मंत्रालय की ओर बनाए गए इस पैनल में छह सदस्य शामिल हैं। इसमें एम्स दिल्ली के पूर्व डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया का नाम भी शामिल है। इसके अलावा हैदराबाद केंद्रीय यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर बी.जे. राव, आईआईटी मद्रास सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर एमेरिटस, प्रो. राममूर्ति के भी समिति के सदस्य है। पंकज बंसल, सह-संस्थापक, पीपल स्ट्रॉन्ग और बोर्ड सदस्य- कर्मयोगी भारत भी इस कमिटी में शामिल हैं। प्रो. आदित्य मित्तल, डीन स्टूडेंट अफेयर्स, आईआईटी दिल्ली भी इस समिति में मौजूद हैं। शिक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव गोविंद जायसवाल मेंबर सचिव के तौर पर शामिल किए गए हैं।
शुक्रवार को लागू हुआ एंटी पेपर लीक कानून
बता दें कि केंद्र सरकार ने पेपर लीक को रोकने के लिए पिछले 24 घंटे में दूसरा ये बड़ा स्टेप उठाया है। इससे पहले शुक्रवार को ही सरकार ने एंटी पेपर लीक कानून लागू किया था। शुक्रवार देर रात इस कानून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दी थी। इस कानून के लागू होने के बाद पेपर लीक के दोषियों को तीन साल से 10 साल तक की सजा और 10 लाख से एक करोड़ तक के जुर्माने का प्रावधान है।