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NEET 2024 Result Row: NTA ने 1,563 नीट उम्मीदवारों को दिए गए ग्रेस मार्क्स वापस क्यों लिए ? जानें इस विवाद की पूरी कहानी

NEET-UG 2024 Controversy: एनटीए नीट यूजी रिजल्ट जारी होने के बाद ग्रेस मार्क्स को लेकर छात्रों के आरोपों से शुरू हुए विवाद को सुप्रीम कोर्ट पहुंचने से लेकर जांच कमेटी गठित होने तक, यहां जानें ग्रेस मार्क्स पर हो रहे विवाद की पूरी डिटेल।
Written by: भरत सिंह दिवाकर
नई दिल्ली | Updated: June 14, 2024 12:49 IST
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Why NTA withdrew grace marks: एनटीए द्वारा ग्रेस मार्क्स दिए जानें और उनको वापस लिए जानें की पूरी डिटेल जानें यहां।
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NEET UG 2024 Result Row: नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने नीट रिजल्ट 2024 विवाद की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होने के बाद अब ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1563 उम्मीदवारों के लिए 23 जून को स्नातक चिकित्सा अध्ययन (NEET UG) के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा फिर से आयोजित करने की घोषणा की है। जिन उम्मीदवारों को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे उनके सामने एनटीए ने दो विकल्प रखे हैं। पहला विकल्प एनईईटी-यूजी की तरफ से दिए गए अंकों को स्वीकार करें जो उन्हें उन्हें मूल रूप से (ग्रेस मार्क्स के बिना) दिए गए थे। दूसरा विकल्प 23 जून को होने वाली परीक्षा में शामिल होना है। इस परीक्षा को उन्हीं शहरों में अलग अलग परीक्षा केंद्रों पर आयोजित किया जाएगा।

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NEET Result 2024 को लेकर छात्रों की आपत्ति के बाद से विरोध के स्वर तेज हुए और ये मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा। इस आर्टिकल में आप जान लीजिए ग्रेस मार्क्स से जुड़े हर पहलू की का एकदम बारीक विश्लेषण।

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NEET-UG 2024 Controversy: पहली रैंक पर क्यों दिए गए ग्रेस मार्क्स ?

5 मई को परीक्षा के बाद, कई उम्मीदवारों ने पंजाब और हरियाणा, दिल्ली और छत्तीसगढ़ के उच्च न्यायालयों के समक्ष रिट याचिका दायर की, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्हें परीक्षा पूरी करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। चुनिंदा केंद्रों पर परीक्षाएं देर से शुरू हुईं, जिसमें छत्तीसगढ़ में दो, और मेघालय, सूरत, हरियाणा के बहादुरगढ़ और चंडीगढ़ में एक-एक केंद्र शामिल है।

इन आरोपों पर गौर करने के लिए एनटीए द्वारा गठित एक शिकायत निवारण समिति (जीआरसी) ने छात्रों की शिकायतों को सही पाया और सुझाव दिया कि प्रभावित उम्मीदवारों को बर्बाद हुए समय के लिए मुआवजा दिया जाना चाहिए। उन्होंने सलाह दी कि वही सामान्यीकरण फॉर्मूला अपनाया जाए जिसे 2018 में CLAT परीक्षा के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी थी, जब कुछ ऐसा ही हुआ था।

इसके आधार पर, एनटीए ने 1,563 उम्मीदवारों को ग्रेस मार्क्स दिए। हालांकि, उनमें से छह को इसके कारण परफेक्ट 720/720 अंक मिले, जिससे वे NEET-UG ऑल-इंडिया टॉपर बन गए। परिणाम घोषित होने के बाद, कई छात्रों और अन्य हितधारकों ने एनटीए और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और आरोप लगाया कि यह स्थिति से निपटने का उचित तरीका नहीं है।

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एनटीए के खिलाफ कोर्ट गए छात्रों की याचिकाओं पर संज्ञान लेते हुए शिक्षा मंत्रालय और एनटीए ने 8 जून को 1,563 उम्मीदवारों के परिणामों की समीक्षा के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) का गठन किया।

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NEET-UG 2024 Controversy: एचपीसी क्या सिफारिश करती है?

एचपीसी, जिसे सात दिनों के भीतर उचित सिफारिशें प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था, में चार वरिष्ठ विशेषज्ञ शामिल थे: एनटीए अध्यक्ष प्रोफेसर प्रदीप कुमार जोशी, प्रोफेसर टीसीए अनंत, प्रोफेसर सीबी शर्मा, और डॉ (प्रो) बी श्रीनिवास।

10, 11 और 12 जून को बैठकें आयोजित करने के बाद, पैनल ने सिफारिश की कि सभी 1,563 उम्मीदवारों के सामान्यीकृत स्कोर को रद्द कर दिया जाए और वापस ले लिया जाए। इसमें कहा गया है कि प्रभावित छात्रों को उनके पंजीकृत ईमेल आईडी के माध्यम से उनके वास्तविक अंकों (ग्रेस मार्क्स के बिना) के बारे में सूचित किया जाना चाहिए, और उन्हें परीक्षा में दोबारा बैठने का अवसर भी दिया जाना चाहिए।

जो उम्मीदवार इस परीक्षा में दोबारा शामिल नहीं होना चाहते हैं उन्हें 5 मई को आयोजित परीक्षा में मिले मूल अंकों से संतोष करना होगा। इसके अलावा जो उम्मीदवार दोबारा परीक्षा में शामिल होंगे उनके पिछले अंकों को रद्द कर दिया जाएगा। एचपीसी की इन सिफारिशों को एनटीए ने स्वीकार कर लिया।

NEET-UG 2024 Controversy: इन सिफारिशों के पीछे एचपीसी का तर्क क्या था?

एचपीसी ने निष्कर्ष निकाला कि जीआरसी CLAT 2018 सुप्रीम कोर्ट के फैसले के सामान्यीकरण फार्मूले को अपनाते समय कुछ बिंदुओं पर विचार करने में विफल रही थी। एनटीए को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में, एचपीसी का कहना है कि जीआरसी ने इस तथ्य पर विचार नहीं किया कि कंप्यूटर-आधारित परीक्षाओं के विपरीत, एनईईटी-यूजी जैसी ओएमआर-आधारित परीक्षाएं ऑटोमैटिक नहीं थीं।

एनटीए ने परीक्षा पर्यवेक्षकों, कर्मचारियों, पर्यवेक्षकों की जांच रिपोर्ट और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर उम्मीदवारों द्वारा दिए गए समय (एनटीए पर्यवेक्षकों और कर्मचारियों की ओर से देरी के कारण) का निर्धारण किया। समिति ने महसूस किया कि इसने छह केंद्रों में बर्बाद हुए समय का निर्धारण करने में समान अवसर प्रदान नहीं किया।

इसके अलावा, एचपीसी ने पाया कि उम्मीदवारों के बर्बाद हुए समय के मुआवजे के लिए जीआरसी के प्रस्तावित फॉर्मूले में इस बात पर ध्यान नहीं दिया गया कि मुआवजा केवल अनुत्तरित प्रश्नों के लिए किया जाना था। इसके परिणामस्वरूप एक "विषम स्थिति" उत्पन्न हुई जिसमें कई उम्मीदवार बहुत अधिक अंक प्राप्त करने में सफल रहे।

इस प्रकार, एचपीसी ने निष्कर्ष निकाला कि "इस मुद्दे का सबसे उपयुक्त, निष्पक्ष और उचित समाधान 1563 उम्मीदवारों को जल्द से जल्द दोहरी परीक्षा से गुजरना होगा।"

NEET-UG 2024 Controversy: अब क्या होता है?

एनटीए अब इन 1,563 उम्मीदवारों और अन्य छात्रों के लिए पुनः: परीक्षा आयोजित करेगा जिनके लिए व्यक्तिगत मामलों में अदालतों द्वारा पुन: परीक्षा के निर्देश जारी किए गए हैं/जारी किए जाएंगे। आधिकारिक कम्युनिकेशन प्रभावित छात्रों के साथ उनके रजिस्टर्ड ईमेल आईडी के माध्यम से साझा किया जाएगा और नए प्रवेश पत्र जल्द ही जारी किए जाएंगे। पुन: परीक्षा परिणाम 30 जून या उससे पहले घोषित किए जाएंगे।

NEET-UG 2024 Controversy: एनटीए बना रहा है नई योजना

एनटीए अगले साल से NEET-UG के लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस शुरू करने की भी योजना बना रहा है। एनटीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, इस बार हमने प्रक्रिया एक महीने पहले शुरू की थी, लेकिन अब हम यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत जल्दी शुरू करेंगे कि हमारे पास रजिस्ट्रेशन और परीक्षा के दिन के बीच पर्याप्त बफर समय है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जहां तक ​​​​परीक्षा केंद्रों के चयन के संबंध में है, एक बेहतर योजना बनाई जा सकती है।

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि एनटीए इस वर्ष छह परीक्षा केंद्रों पर देरी से बचने के लिए इसमें शामिल सभी पर्यवेक्षकों और अधिकारियों के लिए बेहतर प्रशिक्षण पर अधिक ध्यान केंद्रित करेगा। उन्होंने कहा, “हम हर साल प्रशिक्षण आयोजित करते हैं, लेकिन अब हम इस पर अधिक ध्यान केंद्रित करेंगे। "एनटीए का ध्यान यह सुनिश्चित करने पर है कि भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो।"

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