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किताबों से भी गायब बाबरी मस्जिद! NCERT में 4 की जगह सिर्फ 2 पन्नों में अयोध्या का जिक्र

12वीं कक्षा की पॉलिटिकल साइंस की किताब से बाबरी मस्जिद का नाम हटा दिया गया है। इस किताब में मस्जिद की जगह 'तीन गुंबद वाला ढांचा' लिखा गया है।
Written by: एजुकेशन डेस्क | Edited By: kapiltiwari
Updated: June 16, 2024 12:39 IST
किताबों से भी गायब बाबरी मस्जिद  ncert में 4 की जगह सिर्फ 2 पन्नों में अयोध्या का जिक्र
एनसीईआरटी 12वीं की राजनीतिक विज्ञान की किताब से बाबरी मस्जिद का नाम हटा दिया गया है।
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NCERT कक्षा 12वीं की पॉलिटिकल साइंस की किताब में कुछ बड़े बदलाव किए गए हैं। पिछले सप्ताह मार्केट में आई किताब के अंदर अयोध्या मामले को अब बदल दिया गया है। उस किताब के अंदर से बाबरी मस्जिद का नाम हटाकर उसकी जगह 'तीन गुंबद वाला ढांचा' कर दिया गया है। साथ ही अयोध्या मामले को भी 4 पेज से कम कर अब सिर्फ 2 पेट में समेट दिया गया है। पहले की किताब के मुकाबले अब नई किताब से अयोध्या मामले से जुड़े कई महत्वपूर्ण विवरण हटा दिए गए हैं।

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नई किताब से हटे ये तथ्य

एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 12वीं पॉलिटिकल साइंस की किताब से जिन तथ्यों को हटाया गया है उनमें सोमनाथ से अयोध्या तक भाजपा की रथ यात्रा, कारसेवकों की भूमिका, 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद सांप्रदायिक हिंसा, भाजपा शासित राज्यों में राष्ट्रपति शासन और बीजेपी के द्वारा अयोध्या में हुई घटनाओं पर खेद व्यक्त करने जैसे तथ्यों को हटा दिया गया है।

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Rewrite of Ayodhya dispute in NCERT Book

एनसीईआरटी की किताब में हुए ये बदलाव

1. 12वीं कक्षा राजनीतिक विज्ञान की पुरानी किताब में अयोध्या मामले का जिक्र 4 पन्नों में था, लेकिन नई किताब में अयोध्या विवाद की जगह अयोध्या विषय कर दिया गया है और इस पूरे मामले को सिर्फ 2 पेज में समेट दिया गया है।

2. पुरानी किताब में बाबरी मस्जिद को मुगल सम्राट बाबर के जनरल मीर बाक़ी द्वारा निर्मित 16वीं शताब्दी की मस्जिद के रूप में पेश किया गया है। वहीं नई किताब में इसे “श्री राम के जन्मस्थान पर 1528 में निर्मित एक तीन-गुंबद वाला ढांचा के रूप में संदर्भित किया गया है। नई किताब में कहा गया है कि इस ढांचे की संरचना के आंतरिक और बाहरी हिस्सों में हिंदू प्रतीकों और अवशेषों के स्पष्ट प्रदर्शन थे।

3. नई किताब में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी जिक्र है जिसमें विवादित जमीन हिंदू पक्ष को देने की बात कही थी। इसमें कहा गया है, "किसी भी समाज में संघर्ष होना तय है, लेकिन एक बहु-धार्मिक और बहुसांस्कृतिक लोकतांत्रिक समाज में ऐसे संघर्षों को कानून की उचित प्रक्रिया के बाद हल किया जाता है।" इसके बाद किताब में अयोध्या विवाद पर 9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के 5-0 के फैसले का जिक्र किया गया है।

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4. पुरानी किताब के अंदर फैजाबाद (अब अयोध्या) जिला न्यायालय के आदेश पर फरवरी 1986 में मस्जिद के ताले खोले जाने के बाद “दोनों तरफ” हुई लामबंदी का वर्णन किया है। साथ ही सांप्रदायिक तनाव, सोमनाथ से अयोध्या तक आयोजित रथ यात्रा, दिसंबर 1992 में राम मंदिर निर्माण के लिए स्वयंसेवकों द्वारा की गई कार सेवा, मस्जिद का विध्वंस और उसके बाद जनवरी 1993 में हुई सांप्रदायिक हिंसा का जिक्र पुरानी किताब में है, लेकिन नई किताब में यह सब बातें गायब हैं।

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5. पुरानी किताब के अंदर बाबरी विध्वंस के बाद अयोध्या में हुई घटनाओं पर भाजपा ने खेद व्यक्त किया था जिसे नई किताब से हटा दिया गया है। नई किताब में लिखा गया है कि 1986 में तीन गुंबद वाले ढांचे के बारे में स्थिति ने एक महत्वपूर्ण मोड़ ले लिया जब फैजाबाद (अब अयोध्या) जिला न्यायालय ने उस ढांचे को खोलने का फैसला सुनाया, जिससे लोगों को वहां पूजा करने की अनुमति मिल गई। यह विवाद कई दशकों से चला क्योंकि ऐसा माना जाता था कि तीन गुंबद वाली संरचना श्री राम के जन्मस्थान पर एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनाई गई थी।

6. इसके अलावा पुरानी किताब के अंदर बाबरी विध्वंस से लेकर उसके बाद की घटनाओं से जुड़े अखबारों में छपे लेख की तस्वीरें इस चैप्टर में थी, लेकिन नई किताब में उन सभी तस्वीरों को हटा दिया गया है। पुरानी किताब में 7 दिसंबर, 1992 को छपा एक लेख भी शामिल था, जिसका शीर्षक था 'बाबरी मस्जिद ढहाई गई, केंद्र ने कल्याण सरकार को बर्खास्त किया।'। उसे नई किताब से हटा दिया गया है।

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