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Team India Coach: 1990 से पहले मैनेजर से चलता था काम, कपिल-चैपल के विवादित कार्यकाल; ये है भारतीय क्रिकेट टीम के कोचिंग का इतिहास

1990 के बाद से भारतीय टीम मैनेजर से फुल टाइम कोच की ओर बढ़ी। भारतीय कोच के तौर पर कपिल देव और ग्रेग चैपल का कार्यकाल सबसे विवादित रहा।
Written by: खेल डेस्‍क | Edited By: Tanisk Tomar
नई दिल्ली | Updated: June 20, 2024 16:57 IST
team india coach  1990 से पहले मैनेजर से चलता था काम  कपिल चैपल के विवादित कार्यकाल  ये है भारतीय क्रिकेट टीम के कोचिंग का इतिहास
कपिल देव, गैरी कर्स्टन, ग्रैग चैपल और राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले। (फोटो - Express Archive)
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टी20 वर्ल्ड कप 2024 के बाद भारतीय टीम को नया कोच मिल जाएगा। राहुल द्रविड़ के उत्तराधिकारी बनने की रेस में गौतम गंभीर सबसे आगे चल रहे हैं। भारतीय महिला टीम के पूर्व कोच डब्ल्यूवी रमन ने भी इंटरव्यू दिया है। जल्द ही भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) इसकी घोषणा करेगा। 1990 के दशक से पहले, भारतीय टीम के दौरे के आधार पर तदर्थ टीम मैनेजर ( ad hoc team managers) होते थे। 1983 वर्ल्ड कप चैंपियन टीम के पास कोई कोचिंग स्टाफ नहीं था। पीआर मान सिंह मैनेजर थे।

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1990 में बिशन सिंह बेदी की नियुक्ति के बाद भारतीय टीम मैनेजर से फुल टाइम कोच की ओर बढ़ी। उनके कार्यकाल के दौरान दोनों मैनेजर और कोच दोनों का उपयोग किया गया। अब्बास अली बेग, 1991-92 में भारतीय टीम के साथ ऑस्ट्रेलिया गए। तब 1992 का विश्व कप हुआ था। इसके बाद से भारत की सीनियर मेंस टीम के पास फुल टाइम कोच रहा है। 2007 में कुछ समय के लिए ऐसा नहीं था, जब लालचंद राजपूत ने थोड़े समय के लिए मैनेजर का पद संभाला था। तब महेंद्र सिंह धोनी की अगुआई में भारत टी20 वर्ल्ड कप जीता था।

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अजीत वाडेकर (1992-96)

भारतीय टीम के मैनेजर से कोच की तरफ शिफ्ट होने के बाद अजीत वाडेकर पहले शख्स थे, जिनका कार्यकाल लंबा रहा था। अपने चार साल के कार्यकाल में, वाडेकर ने कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन के साथ एक मजबूत कामकाजी रिश्ता बनाया। इस अवधि के अधिकांश समय में भारत ने घरेलू मैदान पर दबदबा बनाए रखा। 1992 और 1994 के बीच 14 टेस्ट मैचों में भारत अपराजित रहा। इसमें इंग्लैंड की एक मजबूत टीम का 3-0 से सूपड़ा साफ भी शामिल था। उन्होंने सीमित ओवरों के क्रिकेट में भी सफलता का स्वाद चखा। हीरो कप जैसे मल्टी नेशन टूर्नामेंट भी जीते। हालांकि, उपमहाद्वीप के बाहर इस सफलता को दोहराने में संघर्ष करना पड़ा।

संदीप पाटिल (1996)

इससे पहले संदीप पाटिल, भारत ए टीमों के कोच थे और उनकी नियुक्ति उस समय हुई जब भारत को इंग्लैंड दौरे पर जाना था। यह खराब दौरा रहा और पाटिल को इसके अंत में बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद वह बतौर कोच केन्या और ओमान के साथ बेहद सफल रहे।

मदन लाल (1996-97)

मदन लाल ने भारत की 1983 विश्व कप विजेता टीम के अपने साथी पाटिल की जगह ली, जिन्होंने 1996 में उपमहाद्वीप में हुए विश्व कप में यूएई की टीम को कोचिंग दी थी। उनका कार्यकाल एक साल तक चला। इस दौरान भारत ने ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका को सभी प्रारूपों में घरेलू मैदान पर हराया। फिर वेस्टइंडीज दौरे पर वह तीसरा टेस्ट मैच हआ, जिसमें टीम चौथी पारी में सिर्फ 120 रनों का पीछा करते हुए 81 रनों पर आउट हो गई थी। इसके कुछ महीने बाद, लाल का कार्यकाल समाप्त हो गया।

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अंशुमान गायकवाड़ (1997-99, 2000)

अंशुमान गायकवाड़ ने भारत के कोच के रूप में दो अलग-अलग कार्यकाल बिताए। सचिन तेंदुलकर की कप्तानी के दौर में टीम बदलाव से गुजरी तब वह इस भूमिका में थे। इसके बाद कपिल देव के इस्तीफे और मैच फिक्सिंग की घटना सामने आने के बाद थोड़े समय के लिए कोच रहे। उनके कार्यकाल के दौरान भारतीय टीम इंडिपेंडेंस कप जीती। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2-1 की घरेलू श्रृंखला जीती। अनिल कुंबले ने पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट मैच की एक पारी में 10 विकेट लिए और न्यूजीलैंड में एकदिवसीय श्रृंखला ड्रा रहा। वे तत्कालीन बीसीसीआई अध्यक्ष एसी मुथैया के अनुरोध पर वापस आए थे। टीम 2000 में आईसीसी नॉकआउट के फाइनल में में कीवी टीम से हारी थी।

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कपिल देव (1999-2000)

कपिल देव का छोटा सा कार्यकाल उथल-पुथल भरा रहा। भारतीय टेस्ट टीम को ऑस्ट्रेलिया में और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू मैदान पर वाइटवॉश सामना करना पड़ा। इससे पहले 1999 के दूसरे भाग में न्यूजीलैंड के खिलाफ भारतीय टीम सफल रही। दुख की बात है कि उनके कार्यकाल को सबसे ज्यादा इसके अंत के लिए याद किया जाता है, क्योंकि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 3-2 की एकदिवसीय सीरीज की जीत के बाद मैच फिक्सिंग के आरोपों ने क्रिकेट जगत को हिलाकर रख दिया था। कपिल पर खुद उनके पूर्व साथी मनोज प्रभाकर ने मैच हारने का आरोप लगाया था और कई जगहों से अत्यधिक दबाव के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।

जॉन राइट (2000-05)

भारत के पहले विदेशी कोच जॉन राइट भी सबसे लंबे समय तक सेवा देने वालों में से थे। नवनियुक्त कप्तान सौरव गांगुली के साथ साझेदारी में उन्होंने भारतीय क्रिकेट को मैच फिक्सिंग की खाई से बाहर निकाला। अपने क्रिकेट इतिहास में पहली बार, भारतीय टीम ने उपमहाद्वीप में लगातार सफलता का स्वाद चखा। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट जीते। इसके अलावा 1983 के बाद से 2003 विश्व कप में फाइनल खेले। राइट के कार्यकाल को 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में शानदार वापसी और 2004 में पाकिस्तान दौरे पर वनडे और टेस्ट सीरीज में जीतने के लिए याद किया जाता है। आखिरकार, भारत का फॉर्म गिरा और राइट ने पद छोड़ दिया और 2005 में ग्रेग चैपल ने उनकी जगह ली।

ग्रेग चैपल (2005-07)

भारत के कोच के तौर पर ग्रेग चैपल का कार्यकाल विवादित रहा। इसकी शुरुआत कारण सौरव गांगुली के कप्तानी से हटने और र टीम से बाहर होने से हुई। भारत ने तीन साल में पाकिस्तान के अपने दूसरे दौरे पर टेस्ट सीरीज हारी। वनडे सीरीज जीतने में सफल रहा। दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर ठीक ठाक प्रदर्शन रहा। जहां टीम पहली बार टेस्ट जीती और फिर 2-1 से सीरीज हार गई 2007 के विश्व कप से ग्रुप-स्टेज से बाहर होने के बाद चैपल की विदाई हो गई।

गैरी कर्स्टन (2007-11)

गैरी कर्स्टन एकमात्र भारत के फुलटाइम कोच हैं, जिन्होंने वर्ल्ड कप खिताब दिलाया है। एमएस धोनी के साथ उनकी साझेदारी, साथ ही आईपीएल और एज ग्रुप फॉर्मेट से तेजी से उभर रहे युवा प्रतिभाओं को विकसित करने पर उनके जोर ने भारत को इन चार वर्षों में मजबूती से आगे बढ़ाया। उनके नेतृत्व में भारत ने दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका में टेस्ट सीरीज ड्रॉ कराई, एशिया कप सहित मल्टी नेशन टूर्नामेंट के फाइनल में जगह बनाई। 2011 वर्ल्ड कप के बाद उन्होंने अपने कार्यकाल को आगे नहीं बढ़ाया।

डंकन फ्लेचर (2011-15)

डंकन फ्लेचर उस समय टीम की कमान संभाल रहे थे जब भारत को 2011 में इंग्लैंड और 2011-12 ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर 4-0 से शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था। भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज भी गंवाई। इससे पहले 2013 में इंग्लैंड के खिलाफ चैंपियंस ट्रॉफी जीती। एक साल बाद इंग्लैंड में एक और टेस्ट हार के बाद बीसीसीआई ने कोचिंग विभाग में फ्लेचर के कोच रहते रवि शास्त्री को टीम डायरेक्टर नियुक्त किया। इस जोड़ी ने नवनियुक्त सहायकों संजय बांगर, बी. अरुण और आर. श्रीधर के साथ मिलकर टीम को पुनर्जीवित करने का काम किया। फ्लेचर का कार्यकाल 2015 विश्व कप में भारत के सेमीफाइनल तक पहुंचने के साथ खत्म हुआ।

रवि शास्त्री (2014-16)

रवि शास्त्री को 2015 विश्व कप के बाद अंतरिम कोच बनाया गया। इस दौरान भारत ने 1-0 से पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए श्रीलंका में टेस्ट सीरीज जीती। दक्षिण अफ्रीका को घरेलू मैदान पर 3-0 से हराया और सामान्य तौर पर सभी प्रारूपों में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया। इस अवधि में टी20 में भी बेहतरीन नतीजे देखने को मिले। भारत ने एशिया कप जीता और ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में हराया, लेकिन घरेलू मैदान पर विश्व टी20 के सेमीफाइनल में हार गए।

अनिल कुंबले (2016-17)

अनिल कुंबले की नियुक्ति कुछ मायनों में आश्चर्यजनक थी। रवि शास्त्री इस रेस में प्रबल दावेदार थे। कुंबले को तेंदुलकर, गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण की क्रिकेट सलाहकार समिति ने भारत के मुख्य कोच के रूप में एक साल का अनुबंध देने की पेशकश की। इस अवधि के दौरान, भारत ने वेस्टइंडीज में एक टेस्ट सीरीज जीती और घर पर जो भी टीम आई उसको हराया। 13 में से केवल एक टेस्ट हारा जबकि न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया को हराया। इस साल चैंपियंस ट्रॉफी से पहले, कुंबले की कोचिंग शैली के बारे में कुछ सीनियर खिलाड़ियों की आपत्ति के बारे में रिपोर्ट सामने आईं, जिसे कप्तान विराट कोहली ने "डराने वाला" बताया था। कुंबले ने चैंपियंस ट्रॉफी 2017 के बाद इस्तीफा दे दिया।

रवि शास्त्री (2017-21)

विराट कोहली की कप्तानी और रवि शास्त्री की कोचिंग में भारत ने विदेश में सफलता का स्वाद चखा। ऑस्ट्रेलिया में 2 बार सीरीज जीती। इंग्लैंड में शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन आईसीसी टूर्नामेंट जीतने में असफल रही। 2019 वनडे वर्ल्ड कप में टीम सेमीफाइनल में हारी। 2021 में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के पहले फाइनल में न्यूजीलैंड से हारी। 2021 टी20 वर्ल्ड कप में ग्रुप स्टेज से बाहर हुई। इसके बाद शास्त्री का कार्यकाल समाप्त हो गया।

राहुल द्रविड़ (2021-24)

राहुल द्रविड़ ने भारतीय टीम के कोच बनने से पहले जूनियर लेवल पर बतौर कोच सफलता का स्वाद चखा था। उनसे काफी उम्मीदें थीं, लेकिन 2023 वनडे वर्ल्ड कप और उससे पहले एशिया कप छोड़ दें तो टीम कुछ खास नहीं कर पाई। 2023 में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हारी। 2022 में टी20 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड से सेमीफाइनल में हारी। 2023 वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में हारने से पहले 11 मैचों में टीम ने शानदार प्रदर्शन किया। इसके बाद उनका कार्यकाल टी20 वर्ल्ड कप 2024 तक बढ़ा दिया गया।

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