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स्मार्ट इन्वेस्टर्स हैं तो बचत खाते की जगह स्वीप-इन एफडी का करें इस्तेमाल, जब जरूरत निकालें पैसा, रिटर्न भी ज्यादा

Sweep-in FD : बचत खाते की बजाए लोग फिक्स्ड डिपॉजिट में अपना पैसा रखना चाहते हैं, ताकि ज्यादा ब्याज का फायदा मिल सके. लेकिन इसमें एक दिक्कत आती है कि इमरजेंसी में एफडी से पैसा निकालना नुकसान करा देता है.
Written by: Sushil Tripathi
Updated: July 01, 2024 15:57 IST
स्मार्ट इन्वेस्टर्स हैं तो बचत खाते की जगह स्वीप इन एफडी का करें इस्तेमाल  जब जरूरत निकालें पैसा  रिटर्न भी ज्यादा
How Sweep-in FD Works : स्वीप-इन एफडी के तहत आप बैंक खाते में पड़ी अतिरिक्त धनराशि को एफडी अकाउंट में ट्रांसफर कर सकते हैं.
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What is Sweep-In FD : बचत खाते की बजाए लोग फिक्स्ड डिपॉजिट में अपना पैसा रखना चाहते हैं, ताकि ज्यादा ब्याज का फायदा मिल सके। लेकिन इसमें एक दिक्कत आती है कि इमरजेंसी में एफडी से पैसा निकालना नुकसान करा देता है। इसलिए बहुत से लोग अपनी बचत का ए​क हिस्सा सेविंग्स अकाउंट में रखते हैं, जिस पर सिर्फ 3.5 फीसदी से 4 फीसदी ब्याज मिल रहा है। लेकिन अगर आप स्मार्ट इन्वेस्टर हैं तो बचत खाते की जगह स्वीप-इन एफडी (Sweep-in FD) का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह काम तो सेविंग्स अकाउंट की तरह करता है, लेकिन ब्याज एफडी के बराबर यानी 7 से 7.5 फीसदी सालाना देता है।

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इमरजेंसी फंड क्यों जरूरी

जब भी हम फाइनेंशियल प्लानिंग की शुरुआत करते हैं और अपना पैसा निवेश करते हैं, तो यह बहुत जरूरी है कि अपना पूरा फंड किसी स्‍कीम में लॉक न करें। बल्कि इमरजेंसी फंड बनाने की भी प्लानिंग करें जो जरूरत पर आपके काम आ सके। कई बार फाइनेंशियल इमरजेंसी आ सकती है तो यह इमरजेंसी फंड आपकी टेंशन वहां दूर कर सकता है। यह एक रिजर्व फंड होता है जो जिसकी आपको रेगुलर खर्चे की बजाय, संकट के समय में जरूरत पड़ती है। इमरजेंसी फंड के लिए स्वीप-इन एफडी आकर्षक विकल्प है. इसमें लिक्विडिटी (Liquidity Benefits) की सुविधा होती है।

क्या है स्वीप-इन-एफडी

स्वीप-इन एफडी के तहत आप बैंक खाते में पड़ी अतिरिक्त धनराशि को एफडी अकाउंट में ट्रांसफर कर सकते हैं। स्वीप-इन-एफडी एक ऑटो-स्वीप सर्विस होती है. इसके तहत आपके सेविंग्स अकाउंट में जो भी एक्स्ट्रा पैसे होते हैं, उन्हें एफडी में ट्रांसफर कर दिया जाता है। यानी यह एक प्रकार का फिक्स्ड डिपॉजिट है जो निवेशकों को अपने बचत खाते से अतिरिक्त धनराशि को आटोमैटिक रूप से एफडी खाते में ट्रांसफर करने की अनुमति देता है। इसमें जहां एफडी के बराबर ब्याज मिलता है, वहीं इमरजेंसी में भी तुरंत आप अपने फंड तक पहुंच सकते हैं।

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बचत खाते की लिमिट आप खुद तय करें

बचत खाते में कितना पैसा पड़े रहना चाहिए और उससे अधिक का फंड एफडी में ट्रांसफर हो, यह लिमिट आप खुद तय कर सकते हैं। आपको पहले एक थ्रेसहोल्ड लिमिट तय करनी होगी। इस लिमिट से ज्यादा पैसे एक्स्ट्रा पैसे माने जाएंगे, जो एफडी में ट्रांसफर हो जाएंगे।

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मान लिया कि आपके खाते में 1.50 रुपये हैं। आपने 50 हजार रुपये थ्रेसहोल्ड लिमिट तय की है। इस कंडीशन में 50 हजार रुपये बचते खाते में रहेंगे और 1 लाख रुपये यानी लिमिट से एक्स्ट्रा फंड फिक्स्ड डिपॉजिट मान लिया जाएगा। थ्रेसोल्ड लिमिट, वह सीमा है, जिससे अधिक पैसे होने पर वह खुद ही एफडी अकाउंट में ट्रांसफर हो जाएंगे। सेविंग अकाउंट से लिंक एफडी 1-5 साल तक की होती है।

कम से कम निवेश

स्वीप-इन एफडी की अवधि 1 साल से 5 साल की होती है। वहीं बैंक आम तौर पर बचत खाते से स्वीप-इन एफडी में 1 हजार रुपये के मल्टीपल में रकम ट्रांसफर करते हैं। कुछ बैंक निवेशकों के निर्देश के अनुसार 1 रुपये से 1000 रुपये की रेंज में ट्रांसफर की भी अनुमति देते हैं।

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स्पीप-इन एफडी पर ब्याज

स्वीप-इन एफडी खाते के लिए ब्याज दर किसी भी सामान्य एफडी के समान ही होती है। यह निवेश की अवधि पर भी निर्भर करता है।

एक्सिस बैंक : 5.75%-7.00%
एसबीआई : 4.75%-6.50%
एचडीएफसी बैंक: 4.50%-7.00%
आईसीआईसीआई बैंक: 4.50%-6.90%
केनरा बैंक: 5.50%-6.70%
बैंक आफ बड़ौदा: 5.50%-6.50%
पंजाब नेशनल बैंक: 4.50%-6.50%
इंडियन बैंक: 3-50%-6.10%
IDBI: 4.50%-4.80%
येस बैंक: 4.75%-7.00%
डाकघर: 6.90%-7.50%

(Source : Groww)

पैसे निकालने का नियम

मैच्योरिटी से पहले आपके स्वीप-इन एफडी से पैसा निकालते समय लास्ट इन फर्स्ट आउट (LIFO) मेथड का उपयोग करते हैं। अगर आपके बैंक बचत खाते में बैलेंस चेक या एसआईपी के भुगतान के लिए जरूरी धनराशि से कम है, तो LIFO मेथड का उपयोग करके स्वीप-इन एफडी से राशि निकाल ली जाती है। अगर आप अक्सर स्वीप-इन एफडी से पैसा निकालते हैं, तो निकाली गई राशि पर उतना ही ब्याज मिलेगा, जितने दिन वह निवेश रहा है।

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