Tax Rules for Mutual Funds: म्यूचुअल फंड के मुनाफे पर कितना लगता है टैक्स? किस कैटेगरी की स्कीम के लिए क्या हैं नियम
How are mutual fund earnings are taxed: किसी म्यूचुअल फंड के रिटर्न यानी उससे होने वाले मुनाफे पर कितना इनकम टैक्स देना पड़ेगा, यह उस फंड की कैटेगरी के आधार पर तय होता है. मिसाल के तौर पर इक्विटी फंड और डेट फंड से होने वाला मुनाफा भले ही एक बराबर हो, लेकिन उस पर टैक्स अलग-अलग हिसाब देना होगा. एक निवेशक के तौर पर आपको इस टैक्स देनदारी की जानकारी पहले से होनी चाहिए, तभी आप अपने इनवेस्टमेंट के संभावित नेट रिटर्न का सही अनुमान लगाकर सही फैसला कर पाएंगे। इस मसले को ठीक से समझने के लिए सबसे पहले टैक्स के लिहाज से म्यूचुअल फंड्स की अलग-अलग कैटेगरी को समझना जरूरी है।
टैक्स के हिसाब से म्यूचुअल फंड की कैटेगरी
2023 के केंद्रीय बजट में सरकार ने म्यूचुअल फंड के लिए कुछ नए नियम पेश किए थे, जो 1 अप्रैल 2023 से लागू हो चुके हैं। इन नए रूल्स के तहत म्यूचुअल फंड को टैक्स के लिहाज से तीन अलग-अलग श्रेणियों में बांट दिया गया है।
1. पहली कैटेगरी में ऐसे म्यूचुअल फंड शामिल हैं, जिनके कॉर्पस का 65 प्रतिशत या उससे अधिक हिस्सा इक्विटी में इनवेस्ट किया गया है। ऐसे फंड्स को इक्विटी ओरिएंटेड फंड (EOF) कहते हैं। इन फंड्स के लिए लागू इनकम टैक्स के नियमों की चर्चा हम बाद में करेंगे।
2. स्पेसिफाइड म्यूचुअल फंड्स : 1 अप्रैल 2023 से लागू रूल्स में ऐसे म्यूचुअल फंड को अलग श्रेणी में रखा गया है, जिनका इक्विटी इनवेस्टमेंट 35 परसेंट या उससे कम है। सेक्शन 50AA के तहत आने वाले ऐसे फंड्स को स्पेसिफाइड म्यूचुअल फंड (specified mutual fund) का नाम दिया गया है। इन फंड में किए गए निवेश पर कोई टैक्स छूट नहीं मिलती, भले ही उन्हें कितने भी समय के लिए होल्ड किया गया हो। ऐसे फंड से एग्जिट करने या यूनिट बेचने पर हुआ पूरा प्रॉफिट आपके इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्सेबल होगा।
3. 35% से अधिक लेकिन 65% से कम इक्विटी इनवेस्टमेंट वाले फंड : जिन म्यूचुअल फंड का इक्विटी में निवेश 35 प्रतिशत से अधिक लेकिन 65 परसेंट से कम है उनकी कैटेगरी अलग है। ऐसे फंड को 36 महीने से ज्यादा समय तक रखने के बाद बेचा जाए, तो उससे हुए मुनाफे पर 20 परसेंट लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स देना होगा। ऐसे निवेश पर इंडेक्सेशन बेनिफिट भी मिलेगा। लेकिन ऐसे फंड को अगर 36 महीने के भीतर बेच दिया जाए, तो उस पर कोई टैक्स बेनिफिट या इंडेक्सेशन बेनिफिट नहीं मिलेगा। यानी ऐसे मुनाफे पर स्लैब के हिसाब से इनकम टैक्स देना होगा।
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इक्विटी फंड पर कैसे लगता है इनकम टैक्स
कॉर्पस का 65 फीसदी से ज्यादा हिस्सा इक्विटी यानी शेयर में निवेश करने वाले इक्विटी ओरिएंटेड फंड्स (EOF) या इक्विटी फंड्स का जिक्र हम ऊपर कर चुके हैं। ऐसे फंड्स में किए गए निवेश से हुए मुनाफे या कैपिटल गेन पर इनकम टैक्स की देनदारी इस आधार पर तय होती है कि आपने उस निवेश को कितने समय तक होल्ड किया है।
- - अगर आप इक्विटी फंड की यूनिट को इनवेस्टमेंट के एक साल के अंदर बेचते हैं और उस पर आपको मुनाफा होता है, तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा। ऐसे मुनाफे पर 15 परसेंट के हिसाब से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है।
- - इक्विटी फंड का होल्डिंग पीरियड अगर एक साल से ज्यादा है, तो उसे बेचने पर हुए प्रॉफिट को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) कहा जाता है, जिस पर 10 प्रतिशत लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है।
- - खास बात ये है कि इक्विटी फंड की एक साल से ज्यादा होल्ड की गई यूनिट को बेचने पर हुआ मुनाफा अगर एक वित्त वर्ष के दौरान 1 लाख रुपये तक या उससे कम है, तो उस पर इनकम टैक्स नहीं लगता है। यानी इनकम टैक्स कभी देना होगा जब एक वित्त वर्ष के दौरान लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन 1 लाख रुपये से अधिक होगा।
इन पर लागू नहीं होते नए नियम
अगर आपने कोई निवेश 31 मार्च 2023 या उससे पहले किया है, तो उस पर नए नियम लागू नहीं होंगे। उन पर पुराने नियमों के तहत टैक्स लाभ मिलेगा। इन पुराने रूल्स में इक्विटी में 35 प्रतिशत से कम इनवेस्टमेंट करने वाले डेट फंड्स पर भी होल्डिंग पीरियड के हिसाब से टैक्स लगता है। 36 महीने के अंदर यूनिट बेचने पर स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है, जबकि 36 महीने या उससे ज्यादा समय तक रखने के बाद यूनिट बेची जाए, तो 20 परसेंट के रेट से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ता है। साथ ही इसमें इंडेक्सेशन का लाभ भी मिलता है। ये सभी फायदे 31 मार्च 2023 तक किए जा चुके निवेश पर अब भी मिलते रहेंगे। लेकिन 1 अप्रैल 2023 या उसके बाद के किसी भी इनवेस्टमेंट पर वे नए नियम लागू होंगे, जिनकी चर्चा हमने पहले की है।