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उथल-पुथल भरे बाजार में कैसे करें निवेश? लॉन्ग टर्म में वेल्थ क्रिएशन का क्या है मंत्र

How to invest in Volatile Market: वेल्थ क्रिएशन का कोई शॉर्ट-कट नहीं होता। लंबे समय तक नियमित निवेश बाजार से अच्छा रिटर्न हासिल करने के लिए जरूरी है।
Written by: Viplav Rahi
Updated: May 30, 2024 18:43 IST
उथल पुथल भरे बाजार में कैसे करें निवेश  लॉन्ग टर्म में वेल्थ क्रिएशन का क्या है मंत्र
Best Strategies for Long Term Investors: अगर आपको बाजार में निवेश करके अच्छा रिटर्न हासिल करना है, तो उथल-पुथल के बीच भी धैर्य बनाए रखना होगा। (Image : Pixabay)
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Best Strategies for Long Term Investors During Market Volatility: वेल्थ क्रिएशन का कोई शॉर्टकट नहीं होता। अगर आपको बाजार में निवेश करके अच्छा रिटर्न हासिल करना है, तो उथल-पुथल के बीच भी धैर्य बनाए रखना होगा। अपने इनवेस्टमेंट को बढ़ने के लिए पूरा समय देना जरूरी है। तभी आप कंपाउंडिंग का पूरा फायदा उठा पाएंगे। लेकिन सवाल ये है कि जिस वक्त बाजार हर दिन नया तेवर दिखा रहा हो, एक आम निवेशक अपना धैर्य कैसे बनाए रख सकता है? इस सवाल का जवाब शेयर बाजार के स्वभाव और उससे मुनाफा कमाने के बुनियादी उसूल को समझने में छिपा है। कुछ ऐसे बेसिक प्वाइंट्स हैं, जिन्हें जानने के बाद आप खुद ब खुद समझ जाएंगे कि हम ऐसा क्यों कर रहे हैं।

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उथल-पुथल से घबराएं नहीं

शेयर बाजार में निवेश करने वालों को अस्थिरता से घबराने की जगह इस बात को समझना चाहिए कि इस उतार-चढ़ाव की वजह से ही आपको बेहतर रिटर्न मिलता है। एक निवेशक व्यवस्थित तरीके से निवेश करके इस अस्थिरता से फायदा उठा सकता है। मार्केट साइकल (market cycles) से लाभ कमाने का एक शानदार तरीका सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए निवेश करना भी हो सकता है। इससे निवेशक को उस समय निवेश बढ़ाने का मौका मिलता है, जब बाजार मंदी के दौर से गुजर रहा हो। साथ ही उसके निवेश की एवरेजिंग भी होती है। नियमित रूप से SIP के जरिए पैसे लगाते रहकर आप समय के साथ साथ एक बड़ा कॉर्पस जमा कर सकते हैं।

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अपने निवेश का रोडमैप बनाएं

सफल निवेश की नींव एक साफ सुथरे इनवेस्टमेंट रोडमैप से शुरू होती है। इस इनवेस्टमेंट रोडमैप का मकसद यह पहचानना है कि आप फिलहाल अपनी निवेश यात्रा के किस पड़ाव पर खड़े हैं और बेहतर भविष्य के लिए आपको और क्या करना चाहिए। इस काम को बेहतर ढंग से करने के लिए अपनी आमदनी और खर्चों का घरेलू बजट बनाने और फिजूलखर्ची रोकने से लेकर अपने डेट-टू-इनकम रेशियो, सरप्लस रेशियो और इनवेस्टिंग रेशियो को कैलकुलेट करके दुरुस्त करने जैसे कई जरूरी काम शामिल हैं।

सिफारिशों के चक्कर में न फंसें 

आपको निवेश करते समय अपने लक्ष्य और प्राथमिकताओं को समझकर आगे बढ़ना चाहिए। जरूरी नहीं कि निवेश की जो सलाह किसी एक निवेशक के लिए फायदेमंद है, वह दूसरे के लिए भी उतनी ही बेहतर साबित हो। निवेश में कोई एक सलाह सभी के लिए सही नहीं होती। इसलिए निवेश के बारे में हर जगह मिलने वाली सिफारिशों के चक्कर में न फंसें, क्योंकि इनमें आम तौर पर आपकी जरूरत से ज्यादा अहमियत इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट्स को दी जाती है।

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अपने फाइनेंशियल गोल को पहचानें 

अगर आप अपने फाइनेंशियल गोल यानी निवेश के लक्ष्य को पूरी तरह समझे बिना निवेश करेंगे, तो इससे आप अपना इनवेस्टमेंट रोडमैप सही ढंग से तैयार नहीं कर पाएंगे। सही लक्ष्य तय करने के बाद ही आप उन्हें पूरा करने के लिए सही रणनीति बना सकते हैं। अगर आपके सामने साफ होगा कि कौन सा निवेश आप किस मकसद से कर रहे हैं, तो लंबे समय तक इनवेस्टमेंट को बनाए रखने में दिक्कत नहीं होगी। इसके साथ ही आप गैर-जरूरी खर्चों से भी बचे रहेंगे। याद रखें, अपने किसी भी सपने को पूरा करने के लिए प्लानिंग जरूरी है, वरना आपका सपना महज एक ख्वाहिश बनकर रह जाएगा।

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फैसला लेने में संतुलन बनाएं 

निवेश का फैसला करते समय विशेषज्ञों या निवेश सलाहकार की मदद लेने से परहेज न करें। लेकिन यह भी ध्यान में रखें कि किसी एक्सपर्ट पर आंख मूंदकर भरोसा करना भी सही नहीं है। जिन पैसों को आप निवेश करने जा रहे हैं, वह आपकी मेहनत की कमाई है और आप ही समझते हैं कि कौन सा निवेश का लक्ष्य आपके लिए कितना जरूरी है और उसे कितने समय में हासिल करना है। इसलिए जरूरत पड़ने पर सेबी के पास रजिस्टर्ड वित्तीय सलाहकार से मदद लेने में हिचकिचाएं नहीं, लेकिन साथ उनकी सलाह को अपने स्तर पर भी जांच-परखकर देख लें और पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही उन पर अमल करें।

 जोखिम और रिटर्न के रिश्ते को समझें 

 कई बार निवेशक रिस्क और रिटर्न के आपसी रिश्ते को सही ढंग से समझ नहीं पाते और इसलिए गलती कर बैठते हैं। वे या तो किसी एसेट के शॉर्ट टर्म पिछले रिटर्न से उत्साहित होकर बहुत ज्यादा रिस्क उठा लेते हैं या फिर जरा भी रिस्क नहीं लेने के चक्कर में अपने पोर्टफोलियो का जरूरत से ज्यादा बड़ा हिस्सा एंडोमेंट प्लान जैसी बीमा पॉलिसियों, एफडी और पीपीएफ में डाल देते हैं। दोनों ही एक्सट्रीम सही नहीं हैं, क्योंकि रिस्क और रिटर्न में सही संतुलन नहीं हो, तो लंबी अवधि के दौरान निवेश पर काफी नुकसान हो सकता है। रिस्क और रिटर्न के बीच संतुलन बनाकर चलेंगे तो लंबी अवधि के निवेश से कंपाउंडिंग का पूरा लाभ उठा पाएंगे।

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'फिनफ्लुएंसर्स' से सतर्क रहें  

 आजकल आधी-अधूरी या गुमराह करने वाली सूचनाओं का जरूरत से ओवरलोड निवेशकों के लिए एक बड़ा जोखिम बन चुका है। खास तौर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नजर आने वाले फाइनेंशियल इनफ्लुएंसर्स या 'फिनफ्लुएंसर्स' (finfluencers) की भरमार गलत फैसलों की बड़ी वजह बन जाती है। इन तरीकों से मिलने वाली अधिकांश जानकारी शॉर्ट टर्म ट्रेंड और बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए गए या गलत अनुमानों पर आधारित होती है। अगर आपने इन पर भरोसा करके निवेश के फैसले किए तो आपकी लॉन्ग टर्म प्लानिंग बिगड़ सकती है। वेल्थ क्रिएशन के लिए इस तरह की सूचनाओं और सलाहों से बचकर रहें।

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