FD vs Debt Funds: एफडी और डेट फंड में क्या है बेहतर, अच्छे रिटर्न के लिए किसमें करें निवेश
FD vs Debt Funds: फिक्स्ड डिपॉजिट या एफडी देश के आम निवेशकों के बीच निवेश का सबसे लोकप्रिय जरिया माना जाता है। अधिकांश लोग अपने पैसे बैंकों या पोस्टऑफिस के फिक्स्ड डिपॉजिट में रखना पसंद करते हैं। आमतौर पर इसकी वजह ये है कि एफडी को निवेश का सबसे सुरक्षित और गारंटी के साथ रिटर्न देने वाला माध्यम माना जाता है। बहुत सारे लोगों की तो लगभग सारी पूंजी एफडी में ही जमा रहती है। लेकिन क्या एफडी का कोई और विकल्प भी है, जिसमें पैसे लगाकर आम निवेशक सुरक्षित और बेहतर रिटर्न हासिल कर सकते हैं? क्या डेट फंड को ऐसा ऑप्शन कहा जा सकता है?
FD से क्यों बेहतर हैं डेट फंड
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) के पक्ष में सबसे बड़ा तर्क यह है कि इनमें निवेश करना सुरक्षित है और उस पर गारंटीड रिटर्न भी मिलता है। लेकिन गहराई से देखने पर कुछ और बातें भी ध्यान में आएंगी, जो इतनी पॉजिटिव नहीं है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि एफडी पर मिलने वाला रिटर्न आम तौर पर कम रहता है। मिसाल के तौर पर अभी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के रिटेल डोमेस्टिक टर्म डिपॉजिट यानी एफडी पर 211 दिन से 1 साल तक की जमा राशि पर महज 6।25 प्रतिशत ब्याज दे रहा है। 5 साल से 10 साल तक के एफडी पर भी महज 6।5 फीसदी ब्याज ही दिया जा रहा है। इसकी तुलना में शॉर्ट ड्यूरेशन डेट फंड्स के डायरेक्ट प्लान का 1 और 5 साल का रिटर्न आम तौर पर 7 फीसदी से ऊपर है।
Also read : आईपीओ में 1 साल के अंदर भी डबल हो सकता है पैसा, कैसे मिलेगा कम समय में इतना मुनाफा
डेट फंड में निवेश के फायदे
डेट फंड्स में निवेश का एक लाभ यह भी है कि इनमें निवेश से हुई कमाई पर आपको फौरन टैक्स नहीं देना पड़ता। टैक्स देनदारी तभी बनती है, जब आप फंड को बेचकर अपनी पूंजी और उस पर हुआ लाभ निकालते हैं। वहीं, एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर आपको सालाना आधार पर टैक्स देना पड़ सकता है। इसके अलावा डेट फंड में लिक्विडिटी ज्यादा होती है। साथ ही पैसे निकालने पर कोई पेनाल्टी भी नहीं देनी पड़ती है।
ब्याज दरें घटने का फायदा
डेट फंड्स को ब्याज दरों में कमी से भी लाभ हो सकता है। कई डेट फंड एक्विट इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजी पर चलते हैं, जिसके जरिये वे ब्याज दरें घटने या बढ़ने के हिसाब से पोर्टफोलियो में बदलाव कर लेते हैं। मिसाल के तौर पर ब्याज दरों में कटौती की संभावना होती है, तो लॉन्ग टर्म डेट फंड आने वाले दिनों में लाभ की संभावना भांपकर उसका फायदा उठा सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्याज दरें घटने पर बॉन्ड प्राइस में इजाफा होता है। वहीं, जब ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो शॉर्ट ड्यूरेशन वाले डेट फंड बेहतर प्रदर्शन करते हैं। हालांकि रेट कट का सही अंदाजा लगाना आसान नहीं है। अगर रेट कटौती की उम्मीद में निवेशक लंबी अवधि वाले डेट फंड में पैसे लगा दें और दरों में कटौती न हो, तो उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है।
आपको क्या करना चाहिए
डेट फंड में निवेश करते समय ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान से बचने के लिए उन फंड्स में निवेश करना बेहतर है जो लॉन्ग ड्यूरेशन बॉन्ड में ज़्यादा इनवेस्ट न करते हों। इस लिहाज से शॉर्ट-ड्यूरेशन फंड या कॉरपोरेट बॉन्ड फंड एफडी का बेहतर विकल्प हो सकते हैं। हालांकि रणनीति के तौर पर आप लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स में भी कुछ न कुछ निवेश करने की सोच सकते हैं, लेकिन आपके डेट पोर्टफोलियो उनका हिस्सा कम ही रहना चाहिए, क्योंकि उन्हें कॉरपोरेट बॉन्ड और शॉर्ट-ड्यूरेशन फंड्स के मुकाबले ज़्यादा अस्थिर माना जाता है।
शॉर्ट डयूरेशन फंड और कॉरपोरेट बॉन्ड फंड में क्या है बेहतर?
कॉरपोरेट बॉन्ड फंड की तुलना में शॉर्ट डयूरेशन फंड में निवेश करना बेहतर है, क्योंकि शॉर्ट डयूरेशन फंड्स के पोर्टफोलियो में एक से तीन साल की अवधि वाले बॉन्ड ही रहते हैं। वहीं, कॉरपोरेट बॉन्ड फंड में ऐसी कोई मर्यादा नहीं है। इसकी वजह से शॉर्ट डयूरेशन फंड तुलनात्मक रूप से ज्यादा सुरक्षित रहते हैं। शॉर्ट डयूरेशन फंड के पोर्टफोलियो में कॉरपोरेट बॉन्ड और गवर्नमेंट बॉन्ड का संतुलन भी उनमें निवेश को तुलनात्मक रूप से कम जोखिम वाला बना देता है।