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Electoral Bonds खरीदने वाली 1300 कंपनियां मुसीबत में, Infosys, Airtel और Torrent Pharma पर कसा टैक्स डिपार्टमेंट का शिकंजा

Electoral Bonds News: इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली 1300 कंपनियों की मुसीबत बढ़ सकती है। इन कंपनियों पर टैक्स डिपार्टमेंट का शिकंजा कस गया है।
Written by: बिजनेस डेस्क | Edited By: Naina Gupta
Updated: July 01, 2024 16:43 IST
electoral bonds खरीदने वाली 1300 कंपनियां मुसीबत में  infosys  airtel और torrent pharma पर कसा टैक्स डिपार्टमेंट का शिकंजा
Electoral Bonds: चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों पर टैक्स डिपार्टमेंट का शिकंजा कस गया है।
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Electoral Bonds News: 18वें लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी 2024 में इलेक्टोरल बॉन्ड्स को लेकर देशभर में जमकर बवाल मचा था। चुनाव आयोग द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने वाली कंपनियों का डेटा सार्वजनिक किया गया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड (चुनावी बॉन्ड) को असंवैधानिक करार दिया था और सभी आंकड़ों को चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड करने का आदेश दिया था। इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालीं 1300 कंपनियां अब टैक्स डिपार्टमेंट के राडार पर हैं।

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करीब 1300 ऐसी कंपनियां जिन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को चंदा दिया, उन्हें टैक्स अथॉरिटीज से नोटिस मिलना शुरू हो गया है। Economic Times की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ कंपनियों को चुनावी बॉन्ड के लिए क्लेम किए गए डिडक्शन को लेकर टैक्स अथॉरिटीज से नोटिस मिला है।

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बड़ी-बड़ी कंपनियों को इनकम टैक्स का नोटिस

इस लिस्ट में कई बड़ी और प्रतिष्ठित कंपनियां जैसे Infosys, Embassy Group, Megha Engineering, Aditya Birla Group, JSW Steel, Torrent Pharma, Lupin, Intas, Bharti Airtel और Alembic Pharmaceuticals शामिल हैं। इन सभी कंपनियों ने SBI से इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे।

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जवरी 2018 में शुरू हुई इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम के जरिए राजनीतिक पार्टियों को कुल 16,518 करोड़ रुपये की फंडिंग मिल चुकी है। 15 फरवरी को देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया और कॉरपोरेट कंपनियों द्वारा उनके योगदान पर टैक्स छूट को लेकर चिंता जाहिर की थी।

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बता दें कि टैक्स अथॉरिटीज से इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में मिले नोटिस के बाद कंपनियों ने वित्त मंत्रालय का रुख किया है। ET की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनियों ने वित्त मंत्रालय से इस मामले में हस्तक्षेप करने और आने वाले बजट में राहत देने की मांग उठाई है।

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