Mutual Fund Investment: किस म्यूचुअल फंड में करें निवेश? बैलेंस्ड एडवांटेज और इक्विटी सेविंग फंड में आपके लिए क्या है सही
Mutual Fund Investment : Balanced Advantage vs Equity Savings funds: म्यूचुअल फंड्स को लंबी अवधि में नियमित निवेश के जरिए वेल्थ क्रिएशन का बेहतर तरीका माना जाता है। लेकिन निवेशकों के सामने इतने अलग-अलग तरह के फंड्स मौजूद हैं कि कई बार अपने के लिए सही स्कीम का चुनाव करना मुश्किल हो जाता है। बैलेंस्ड एडवांटेज फंड और इक्विटी सेविंग फंड भी ऐसे ही दो ऑप्शन हैं। सरसरी नज़र से देखने पर निवेशकों को लग सकता है ये दोनों फंड काफी एक जैसे हैं। ये दोनों ही हाइब्रिड फंड हैं, यानी इक्विटी और डेट दोनों में पैसे लगाते हैं। इसके अलावा दोनों ही फंड्स आर्बिट्रेज में भी निवेश करते हैं। दोनों ही तरह के फंड्स में निवेश पर इक्विटी फंड वाले टैक्स बेनिफिट भी लिए जा सकते हैं।
बैलेंस्ड एडवांटेज और इक्विटी सेविंग फंड का अंतर
पहली नजर में भले ही बैलेंस्ड एडवांटेज फंड और इक्विटी सेविंग फंड एक जैसे लगते हों, लेकिन गहराई से देखने पर इनमें कई अहम अंतर दिखाई देंगे:
इक्विटी-डेट एसेट एलोकेशन का फर्क
हालांकि दोनों ही फंड्स इक्विटी और डेट में निवेश करते हैं, लेकिन बैलेंस्ड एडवांटेज फंड, जिन्हें कई बार डायनैमिक एसेट एलोकेशन फंड भी कहा जाता है, ज़्यादा लचीले होते हैं। उनके निवेश का कितना हिस्सा इक्विटी, डेट या आर्बिट्रेज में होगा, इस पर कोई पाबंदी नहीं है। दूसरी तरफ, इक्विटी सेविंग फंड का कम से कम 65 फीसदी पैसा इक्विटी/इक्विटी-संबंधित (आर्बिट्रेज सहित) इंस्ट्रूमेंट्स में और 10 प्रतिशत डेट में होना चाहिए।
नेट इक्विटी एक्सपोजर का फर्क
बैलेंस्ड एडवांटेज फंड (BAF) में आमतौर पर इक्विटी सेविंग फंड की तुलना में नेट इक्विटी एक्सपोजर ज्यादा होता है और इसमें अधिक उतार-चढ़ाव भी आते रहते हैं। पिछले पांच साल के आंकड़ों को देखने पर अन-हेज्ड इक्विटी के लिए में BAF का औसत एक्सपोजर 37 से 72 प्रतिशत के बीच रहा है। दूसरी ओर, इक्विटी सेविंग फंड में यह अन-हेज्ड इक्विटी एक्सपोजर आमतौर पर 40 प्रतिशत के आसपास रहा है।
बाजार में तेजी के समय प्रदर्शन
इक्विटी सेविंग फंड के मुकाबले बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में इक्विटी इनवेस्टमेंट की गुंजाइश और लचीलापन ज्यादा होता है। यही वजह है कि आमतौर पर बाजार में तेजी के दौर में बैलेंस्ड एडवांटेज फंड का प्रदर्शन इक्विटी सेविंग फंड के मुकाबले बेहतर रहने की उम्मीद रहती है।
बाजार में कमजोरी के दौरान प्रदर्शन
बैलेंस्ड एडवांटेज फंड और इक्विटी सेविंग फंड, दोनों के पोर्टफोलियो में डेट और आर्बिट्रेज का हिस्सा रहता है, जिसकी वजह से प्योर इक्विटी फंड की तुलना में उनमें अस्थिरता कुछ कम रहती है। बाजार में बहुत ज्यादा उथल-पुथल होने के दौरान इन दोनों फंड्स में भी गिरावट तो आ सकती है, लेकिन डेट और आर्बिट्रेज में निवेश की वजह से यह गिरावट ब्रॉड मार्केट इंडेक्स की तुलना में कुछ कम रहने की उम्मीद की जा सकती है। ऐसे हालात में इक्विटी सेविंग फंड का प्रदर्शन BAF की तुलना में थोड़ा बेहतर प्रदर्शन रहता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे तुलनात्मक रूप से अधिक कंजर्वेटिव होते हैं।
टैक्स प्रावधान
इक्विटी सेविंग फंड में निवेश करने पर टैक्स बेनिफिट इक्विटी फंड के बराबर ही मिलते हैं, क्योंकि उनकी परिभाषा में ही कम से कम 65 फीसदी निवेश इक्विटी में रखना शामिल है। इक्विटी फंड में एक साल से ज्यादा के निवेश से होने वाले दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (LTCG) पर केवल 10 फीसदी टैक्स लगता है, जबकि एक साल से कम पुराने निवेश पर 15 प्रतिशत की दर से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) टैक्स लगता है। बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में भी आमतौर पर इक्विटी एक्सपोजर 65 प्रतिशत से कम नहीं होता है। लिहाजा उनमें निवेश पर भी इक्विटी फंड वाले टैक्स बेनिफिट मिल सकते हैं, लेकिन BAF की परिभाषा में ऐसा होना जरूरी नहीं है। अगर किसी BAF का इक्विटी और आर्बिट्रेज में एक्सपोजर 65 प्रतिशत से कम है, तो उस पर अलग ढंग से टैक्स लगाया जा सकता है। हालांकि आमतौर ऐसा होता नहीं है।
आपके लिए कौन सा फंड है सही
दोनों में से है सा फंड आपके लिए सही है, यह आपके निवेश के लक्ष्य और रिस्क उठाने की क्षमता पर निर्भर है। अगर आप ज्यादा इक्विटी में ज्यादा एक्सपोजर और उससे जुड़े उतार-चढ़ाव का रिस्क उठाने को तैयार हैं, तो बैंलेड्स एडवांटेज फंड में निवेश पर विचार कर सकते हैं। लेकिन अगर आप एक कंजर्वेटिव इनवेस्टर हैं, जो ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहते और इक्विटी एक्सपोजर को मॉडरेट और लिमिटेड रखना चाहते हैं, तो इक्विटी सेविंग फंड आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। अगर आप रिटायर्ड व्यक्ति हैं या जल्द ही रिटायर होने वाले हैं और रेगुलर इनकम के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो भी इक्विटी सेविंग फंड आपके लिए बेहतर है। दोनों ही स्थितियों में यह हमेशा याद रखें कि इक्विटी में निवेश सीधे किया जाए या म्यूचुअल फंड के जरिए, उसमें बाजार से जुड़ा रिस्क हमेशा शामिल रहता है और पिछले रिटर्न को भविष्य के प्रदर्शन की गारंटी नहीं माना जा सकता। यह भी ध्यान में रखें कि म्यूचुअल फंड में निवेश लंबी अवधि के लिए करना ही सही रहता है।