अमृतकाल में छात्रों को रोजगार पाने की जगह आज रोजगार दाता बनने की जरूरत : राज्यपाल
छात्रों को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि वह किस तरह से इसमें अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि देश में करीब 40 फीसदी आवादी युवाओं की है। राष्ट्र निर्माण के लिए छात्रों को आज आगे आना होगा। अगले 25 वर्ष बदलाव लाने और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए महत्वपूर्ण है।
राज्यपाल मंगलवार को भागलपुर के सबौर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने कहा राष्ट्र के लिए बेहतर काम का लक्ष्य निर्धारित करने की आवश्यकता है। मौजूदा समय में कृषि छात्रों को रोजगार पाने की जगह रोजगार निर्माता बनने की जरूरत है। तभी उनकी भागीदारी आधुनिक भारत के निर्माण में पूरी होगी।
राज्यपाल सह कुलाधिपति ने कहा कि ऐसे समारोह तभी सफल हो सकते हैं, जब छात्र अपने समाज, राज्य और राष्ट्र के लिए कार्य करने की ठान लें। हमें पूरी उम्मीद है कि यहां के छात्र पढ़ाई पूरी करने के बाद राष्ट्र की उन्नति में अहम भूमिका निभायेंगे।
इस मौके पर कुल 980 विद्यार्थियों को राज्यपाल के हाथों डिग्रियां प्रदान की गईं। इनमें यूजीसी के 688, पीजी के 243 और पीएचडी के 49 विद्यार्थी हैं। 12 छात्रों को स्वर्ण पदक भी प्रदान किया गया। बिहार सरकार के कृषि मंत्री सर्वजीत ने अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने वाले 14 लोगों को नियुक्ति पत्र भी दिया।
स्वर्ण पदक से सम्मानित छात्रों में शामिल हैं- मयंक कुमार, शालवी, रिया सोनी, इराम आरजू, श्रुति सिन्हा, साक्षी कुमारी, अंकिता दुवे, नवनीता दास, ऋत्विक साहू। बेस्ट टीचर अवार्ड के लिए चंदन पांडा और संतोष कुमार को गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया गया।
समारोह में केन्द्र सरकार के उप उद्यान महानिदेशक डॉ एके सिंह भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि प्रदेश और देश के सर्वांगीण विकास के लिए कृषि वैज्ञानिकों एवं छात्रों को मिलकर कार्य करना होगा, ताकि किसान ज्यादा लाभान्वित हो सकें।
इसके पहले बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ डीआर सिंह ने आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की चर्चा की। इसके पहले राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर के यहां पहुंचने पर जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन, वरीय पुलिस अधीक्षक आनंद कुमार और विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ डीआर सिंह ने तुलसी का पौधा एवं पुष्प गुच्छ देकर अभिनंदन किया।