Bihar Politics: 'मैं सच्चा राम भक्त हूं और मैंने कभी भगवान राम के खिलाफ नहीं बोला', जीतन राम मांझी बोले- मैं कुछ प्रथाओं का विरोध करता हूं
Lok Sabha Elections: जीतन राम मांझी मुसहर समुदाय से बिहार के पहले मुख्यमंत्री होने का तमगा रखते हैं। मांझी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार के रूप में गया लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। महादलित नेता का आठ बार पाला बदलने का ट्रैक रिकॉर्ड है। इस बार उनका सीधा मुकाबला राजद उम्मीदवार कुमार सर्वजीत से है। राजनीति में 40 साल से अधिक समय बिताने और कांग्रेस के साथ राजनीतिक करियर शुरू करने के बाद हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के नेता एक बार फिर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
मांझी ने इस सीट से तीन बार - 1991, 2014 और 2019 - लोकसभा चुनाव लड़ा है और यह उनका चौथा लोकसभा चुनाव है। दिलचस्प बात यह है कि जब मांझी ने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा था तो कुमार सर्वजीत के पिता राजेश कुमार ने उन्हें हराया था।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने द हिंदू से कई मुद्दों पर बात की। इस दौरान मांझी ने कहा कि मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहता था, लेकिन गया के लोग चाहते हैं थे मैं चुनाव लड़ूं। वे चाहते हैं कि मैं उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाऊं। मुझे लगता है कि भगवान चाहते हैं कि मैं गया के लोगों के लिए कुछ करूं और यही वजह है कि भगवान ने मुझसे चुनाव लड़ने को कहा है।
मांझी कहते हैं कि बिहार में उत्तर बिहार बाढ़ का सामना करता है, जबकि दक्षिण बिहार सूखे का सामना करता है। इसलिए, गया में पानी की कमी की समस्या है और लोग यहां स्वच्छ पीने के पानी के लिए संघर्ष करते हैं। जल संकट के कारण गेहूं और चावल की खेती बुरी तरह प्रभावित हुई है। इसके लिए मेरी योजना सोन नदी का पानी गया की फल्गु नदी में लाने की है।
वो कहते हैं कि नदी को जोड़ना अटल बिहारी वाजपेई जी का सपना था और मैं उनसे बहुत प्रेरित हूं इसलिए मैंने सोचा कि अगर मैं सांसद बना तो सबसे पहला काम सोन नदी को फल्गु नदी से जोड़ना करूंगा, ताकि चारों ओर पूरी साली पानी उपलब्ध हो सके। गर्मियों में फल्गु नदी में पानी नहीं मिलता। नदी को जोड़ने से गया के लोगों को सूखे की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी। पानी का उपयोग सिंचाई और अन्य आवश्यक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
जीतन राम मांझी कहते हैं कि मैं कभी भी भगवान राम के खिलाफ नहीं हूं। यह मीडिया है जिसने हमेशा मुझे गलत पेश किया। मेरा उपनाम राम है जो स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि मैं भगवान राम का सच्चा भक्त हूं। शबरी मेरी पुश्तैनी मां थीं, जिन्होंने भगवान राम चखकर बेर खिलाए। लेकिन आज ऊंची जाति के लोग दलितों के साथ भोजन करना पसंद नहीं करते हैं और खुद को राम भक्त कहते हैं। वे नहीं हैं, हम राम भक्त हैं और यह मेरा तर्क है जो मैं लोगों को बताता हूं, लेकिन मीडिया हमेशा इस हिस्से को नजरअंदाज कर देता है।
मांझी कहते हैं कि मुख्यमंत्री रहते हुए जब मैंने बिहार में एक मंदिर का दौरा किया था, तो मेरे दौरे के बाद उसे शुद्ध किया गया था और देवी-देवताओं को धोया गया था। काशी के विश्वनाथ मंदिर को जगजीवन राम की यात्रा के बाद धोया गया था जब वह उप प्रधान मंत्री थे। तब राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द और उनकी पत्नी सविता कोविन्द को ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई थी। मेरी एकमात्र आपत्ति ऐसी प्रथाओं के खिलाफ है, राम के खिलाफ नहीं।
वो कहते हैं कि लोगों को मुझसे बहुत उम्मीदें हैं क्योंकि उन्होंने नौ महीने तक मुख्यमंत्री के रूप में मेरा काम देखा है। सीएम रहते हुए मैंने मगध प्रमंडल के लिए काफी काम किया, इसलिए लोग सोच रहे हैं कि अगर मैं सीएम के तौर पर इतना काम कर सकता हूं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सांसद रहते हुए इससे भी ज्यादा काम कर सकता हूं।
मांझी कहते हैं कि गया लोकसभा क्षेत्र में कोई जातिगत फैक्टर नहीं है, चाहे मुस्लिम-यादव हों, ईबीसी या ओबीसी, महिलाएं और गरीब, सभी मेरा समर्थन कर रहे हैं, महागठबंधन का नहीं। गया के लोग मेरे खिलाफ चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार सर्वजीत और राजद के बारे में अच्छे से जानते हैं। राजद ने अपने 15 साल के शासनकाल में क्या किया, यह सब जानते हैं। इसलिए, मुझे अपने प्रतिद्वंद्वी को हराने के लिए ज्यादा कोशिश करने की जरूरत नहीं है।