गुजरात सरकार को खटक रही आसाराम की पत्नी और बेटी समेत छह लोगों की रिहाई, फैसले को देने जा रही चुनौती
अपनी ही शिष्या से बलात्कार के मामले के सजायाफ्ता संत आसाराम के पत्नी और बेटी की रिहाई गुजरात सरकार को रास नहीं आ रही है। सरकार इस फैसले को चुनौती देने जा रही है। सरकार को कहना है कि कोर्ट के फैसले पर उनको एतराज है लिहाजा इसे ऊपरी अदालत में चुनौती देगी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात सरकार 2013 के एक बलात्कार मामले में आसाराम की पत्नी, उसकी बेटी और उसके चार शिष्यों को बरी किए जाने को हाईकोर्ट में चुनौती देगी। इस मामले में आसाराम को आजीवन कारावास की सजा दी गई है। अदालत ने आसाराम की पत्नी लक्ष्मीबेन, बेटी भारती और उसके चार शिष्यों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था, जिन पर अपराध को अंजाम देने में मदद का आरोप लगाया गया था।
गांधीनगर की अदालत ने 31 जनवरी को आसाराम को उसकी शिष्या द्वारा 2013 में दर्ज कराए गए बलात्कार के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। स्पेशल पब्लिक प्रासीक्यूटर आरसी कोडेकर ने बताया कि 6 मई को लीगल डिपार्टमेंट ने एक प्रस्ताव पास करके कहा था कि फैसले के खिलाफ अपील की जाए।
पब्लिक प्रासीक्यूटर बोले- सरकार की मंजूरी का इंतजार
प्रासीक्यूशन ने गांधीनगर अदालत के 31 जनवरी के उस आदेश को चुनौती देने के लिए भी सरकार की मंजूरी मांगी है, जिसमें उसने सुझाव दिया था कि जोधपुर और अहमदाबाद मामलों में आसाराम को आजीवन कारावास की सजा साथ-साथ चलनी चाहिए। कोडेकर ने कहा कि इसके लिए सरकार की मंजूरी मिलने का इंतजार है। उसके बाद वो इस मामले में हाईकोर्ट जाकर अगला कानूनी कदम उठाएंगे।
जोधपुर जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है आसाराम
गौरतलब है कि आसाराम 2013 में राजस्थान स्थित अपने आश्रम में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के अन्य मामले में वर्तमान में जोधपुर जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। अहमदाबाद के पास मोटेरा स्थित अपने आश्रम में 2001 से 2007 तक सूरत की रहने वाली एक शिष्या से कई बार बलात्कार करने के मामले में गांधीनगर की अदालत ने आसाराम को सजा सुनाई है।