MBBS डिग्री होल्डर देता था सर्जरी की सलाह, कैदियों को जेल से निकालने के लिए किया फर्जीवाड़ा, जानिए कैसे चढ़ा HC के हत्थे
गुजरात में एक अनूठा तरह का मामला सामने आया है। एक ऐसे चिकित्सक को गुजरात हाईकोर्ट ने सूरत पुलिस के हवाले किया है जिसके पास डिग्री तो MBBS की थी। लेकिन कैदियों को जेल से निकालने के लिए वो सर्जरी एडवाइज कर देता था। हाईकोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया है कि वो डॉक्टर के इतिहास भूगोल को जांचे और सारी रिपोर्ट उनके सामने पेश करे। अदालत का मानना है कि डॉक्टर संगीन अपराध में लिप्त रहा है।
दरअसल ये मामला तब सामने आया जब हाईकोर्ट के सिंगल जज एमके ठक्कर ने एक जमानत याचिका की सुनवाई की। दिलीप गौड़ा नामके शख्स ने ड्रीम्ज मल्टी स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल की तरफ से जारी एक मेडिकल सर्टिफिकेट के आधार पर जमानत देने की अपील की थी। ये डॉ. एमएल पटेल की तरफ से जारी किया गया था। जस्टिस ठक्कर ने सर्टिफिकेट को देखने के बाद कहा कि सेशन कोर्ट ने भी एक डॉक्टर की डिग्री को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने रिकार्ड चेक कराया तो पता चला कि जिस डॉक्टर के खिलाफ लोअर कोर्ट ने टिप्पणी की थी वो एमएल पटेल ही था।
लोअर कोर्ट के फैसले से खुली हाईकोर्ट की आंख
ट्रायल कोर्ट ने एमएल पटेल की डिग्री चेक की तो पता चला कि वो खुद को MBBS, MRSM बताता था। MRSM का मतलब मेंबर ऑफ रॉयल सोसायटी ऑफ मेडिसिन है। ये इंग्लैंड से जुड़ी है। लोअर कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि MRSM कोई डिग्री नहीं है। बल्कि डॉक्टर ने इस इंस्टीट्यूट की मेंबरशिप ले रखी थी। डॉक्टर के पास MBBS की डिग्री है। लेकिन वो किसी भी सूरत में सर्जरी एडवाइज नहीं कर सकता है। ट्रायल कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एमएल पटेल कई अस्पतालों के नाम पर जाली दस्तावेज जारी करता रहता था, जिससे कैदियों को जमानत मिल सके।
डॉक्टर खुद भी रेप और जालसाजी के कई मामलों में लिप्त
लोअर कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि डॉक्टर ने जो सर्टिफिकेट जारी किए उनमें अलग अलग पते दर्ज थे। वो कई तरह की आपराधिक वारदातों में भी लिप्ट रहा है। उसके खिलाफ रेप, जालसाजी और मोटर व्हीकल एक्ट के तहत केस दर्ज हैं। ट्रायल कोर्ट ने कहा कि वो आदतन अपराधी है।
हाईकोर्ट के जस्टिस एमके ठक्कर ने अपने आदेश में सूरत पुलिस से कहा कि डॉक्टर की सारी जन्म कुंडली निकाली जाए। उसने कितने कैदियों को मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किए हैं, सबका पता लगाया जाए। उसने विगत में कौन कौन सी वारदातें की वो भी निकाली जाए। सुनवाई 8 जून को होगी।