SC के आदेश पर रुका गुजरात के 40 जजों का प्रमोशन, हाईकोर्ट की नई लिस्ट में राहुल गांधी पर फैसला देने वाले जज वर्मा सहित केवल 21 नाम
गुजरात हाईकोर्ट ने 15 मई को दो नोटिफिकेशंस जारी किए। एक जजों के प्रमोशन से जुड़ा है तो दूसरा प्रमोट किए गए जजों की तरक्की का फैसला वापस लेने से है। दोनों नोटिफिकेशंस सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के चलते जारी करने पड़े हैं।
15 मई को जारी एक नोटिफिकेशन में डिस्ट्रिक्ट जज कैडर में प्रमोशन की लिस्ट दी गई है। इसमें 21 नाम हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 68 जजों की प्रमोशन वाली पुरानी लिस्ट से 40 जजों को बाहर कर दिया है। प्रमोशन पाने वाले जजों में राहुल गांधी को सजा देने वाले जज हरीश हसमुखभाई वर्मा सहित 21 जज शामिल हैं।
क्यों जारी करनी पड़ी नई लिस्ट?
12 मई को ही सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के डिस्ट्रिक्ट जज कैडर में सीनियॉरिटी कम मेरिट आधार पर हुए प्रमोशन पर रोक लगा दी थी और ऐसे जजों को उनके पुराने पद पर वापस भेजने का आदेश दिया था, जिनका चयन मेरिट कम सीनिययॉरिटी की जगह सीनियॉरिटी कम मेरिट आधार पर हुआ।
क्या है हाईकोर्ट का नया नोटिफिकेशन?
पहला नोटिफिकेशन: पहले नोटिफिकेशन में ऐसे 21 जजों के नाम हैं, जिन्हें मेरिट के आधार पर प्रमोशन दिया गया है। लिस्ट में इन जजों का नाम, वर्तमान तैनाती और नई तैनाती का विवरण है। मोदी सरनेम से जुड़े विवाद में राहुल गांधी को दो साल कैद की सजा देने वाले जज हरीश हसमुखभाई वर्मा को राजकोट जिले का 12वां एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज एंड एडिशनल सेशन जज नियुक्त किया गया है।
जज वर्मा ने जिला जज कैडर में 65% प्रमोशन कोटा के लिए हुई लिखित परीक्षा में 200 में से 127 अंक हासिल किये थे।
दूसरा नोटिफिकेशन: दूसरे नोटिफिकेशन में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में दायर रिट पिटिशन नंबर 432/2023 में 12 मई के जजमेंट के मुताबिक गुजरात हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस ने ज्यूडिशियल ऑफिसर्स की नई तैनाती को मंजूरी दी है। इसमें वे 40 जज भी शामिल हैं, जो डिस्ट्रिक्ट जज के रूप में प्रमोट हुए थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए उन्हें दोबारा सीनियर सिविल जज कैडर में भेज दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या आदेश दिया था?
68 जजों के प्रमोशन के खिलाफ दायर अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने 12 मई को फैसला सुनाया था। इनमें जस्टिस एमआर शाह भी शामिल थे। शाह 15 मई को रिटायर हो गए।रिटायरमेंट से पहले Bar&Bench को दिये एक इंटरव्यू में जस्टिस शाह ने कहा कि विवाद यह था कि जिला जज कैडर में सेलेक्शन मेरिट कम सीनियॉरिटी आधार पर होना चाहिए या सीनियॉरिटी कम मेरिट आधार पर।
बता दें कि याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि प्रोमोशन का आधार मेरिट और सीनियॉरिटी होना चाहिए था, लेकिन लिस्ट सीनियॉरिटी कम मेरिट के आधार पर बना दी गई। जस्टिस शाह ने इंटरव्यू में स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी 68 जजों के प्रमोशन पर स्टे नहीं लगाया था। केवल विवादित नामों पर ही रोक लगाने का आदेश दिया था।
जस्टिस शाह ने कहा कि सिर्फ ऐसे कैंडिडेट, जो मेरिट लिस्ट में नहीं थे उनका प्रमोशन रोका गया है। हमारे आदेश में साफ है कि लिस्ट में जिन जजों का चयन सिर्फ मेरिट के आधार पर हुआ है, उन पर स्टे लागू नहीं होगा। हाईकोर्ट ने मेरिट कम सीनियॉरिटी आधार पर प्रमोशन का जो मानक तय किया था, वह लागू हो तब भी मेरिट वाले जज पदोन्नति के योग्य होंगे।
जज वर्मा के बारे में क्या कहा?
जस्टिस एमआर शाह ने जज वर्मा के जिक्र पर कहा कि जिस जेंटलमैन ने राहुल गांधी के खिलाफ फैसला दिया था, उनका भी प्रमोशन हो रहा है, क्योंकि मेरिट लिस्ट में उनका नाम है। जस्टिस शाह ने कहा कि हमारे सामने जो दस्तावेज रखे गए थे, उससे पता चला कि किसी कैंडिडेट को 167 तो किसी को 147 अंक मिले, उसे प्रमोशन नहीं मिला और 101 अंक वाले को प्रमोशन मिल गया था।