Manipur violence: सैकड़ों की संख्या में दर्ज हैं ZERO FIR, इस वजह से नहीं हो पा रही आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई
मणिपुर में पिछले तीन महीने से जारी हिंसा है। अभी तक 160 से अधिक लोगों की साम्प्रदायिक हिंसा में मौत हो चुकी है। वहीं 50 हजार से अधिक लोग अपना घर छोड़कर रिलीफ कैंप में रहने को मजबूर हैं। पूरा राज्य हिंसा की चपेट में है, वहीं सैकड़ों ऐसे मामले है जिसमें लोगों ने पुलिस के सामने शिकायत तो दर्ज कराई लेकिन पुलिस कार्रवाई नहीं कर पा रही हैं। सोशल मीडिया पर 19 जुलाई को मणिपुर में हुई एक घटना का वीडियो वायरल हुआ। इस वीडियो में कुकी समुदाय की 3 महिलाओं को भीड़ ने निर्वस्त्र कर सड़क पर परेड कराई। एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार भी किया गया। वीडियो वायरल होने के बाद मणिपुर पुलिस ने अब तक 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। घटना 4 मई की बताई जा रही है। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ 18 मई को जीरो एफआईआर दर्ज की गई। एफआईआर दर्ज होने के एक महीने बाद केस को ट्रांसफर किया गया था।
क्या होती है जीरो एफआईआर?
जीरो एफआईआर के तहत आप किसी भी नजदीकी पुलिस स्टेशन में अपना केस दर्ज करा सकते है। चाहे घटना का क्षेत्र या आप की निवास स्थान कहीं का भी हो। बाद में इस एफआईआर को जांच के लिए संबंधित थाने में ट्रांसफर कर दिया जाता है। मणिपुर के एक अन्य मामले में इम्फाल में दो कुकी महिलाओं का बलात्कार कर उनकी हत्या कर दी गई। इस मामले में 16 मई को सैकुल पुलिस थाने में जीरो एफआईआर दर्ज कराई गई लेकिन केस दर्ज होने के एक महीने बाद एफआईआर को संबंधित थाने में ट्रांसफर किया गया। मणिपुर में सिर्फ यह दो मामले नहीं हैं जिनमें जीरो एफआईआर दर्ज की गई हो, कई मामले ऐसे भी हैं जहां पुलिस ने एफआईआर ही दर्ज नहीं की। वहीं कुछ पीड़ित डर के कारण शिकायत दर्ज कराने ही नहीं पहुंचे। अब मणिपुर पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती इन एफआईआर पर कार्रवाई कर आरोपियों को पकड़ने की है।
सैकड़ों की संख्या में दर्ज हैं जीरो एफआईआर
मणिपुर हिंसा शुरू होने के बाद से अब तक सिर्फ सैकुल पुलिस थाने में ही 202 जीरो एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। बता दें कि सैकुल कुकी और मैतेई समुदाय के बॉर्डर इलाके का जिला है। इसके 20 किमी के दायरे के लोगों ने जीरो एफआईआर दर्ज कराई हैं। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अधिकांश हिंसा की घटनाएं कुकी बहुल क्षेत्र में हुई हैं। कुकी समुदाय के लोग वैली में जाकर केस दर्ज नहीं करा सकते है और सैकुल पुलिस थाना नजदीक होने के कारण सभी केस सैकुल में ही दर्ज कराए गए हैं। सभी केस को उपयुक्त थाने में भेजा जा रहा है।
चुराचांदपुर पुलिस थाने में 1,700 से अधिक जीरो एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। वहीं कांगपोकपि पुलिस थाना में 800 से अधिक जीरो एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। एक अधिकारी ने बताया कि वैली में दर्ज हुई जीरो एफआईआर में से 83 को संबंधित थानों में ट्रांसफर किया जा चुका है। इसमें से अधिकांश केस कांगपोकपि में रहने वाले मैतेई समुदाय के लोगों द्वारा दर्ज कराया गया है। अधिकारी ने बताया कि मणिपुर में हिंसा के माहौल को देखते हुए एक समुदाय के पुलिस अधिकारी भी जांच करने दूसरे समुदाय के लोगों के पास नहीं जा सकते है। इसी कारण जांच अधिकारी भी पीड़ित के पास जा कर उनकी समस्या नहीं सुन पा रहे है। पीड़ितों सिर्फ फोन पर ही जानकारी ली जा रही है। आगजनी के केस में भी वह सिर्फ मौके पर जाकर निरीक्षण कर पाते है।
राहत शिविर के पास वाली पुलिस चौकी पर जीरो एफआईआर केस की संख्या अधिक है। मैतेई बहुल बिष्णुपुर से सटे मोइरांग पुलिस थाना पर 1,257 जीरो एफआईआर दर्ज की गई हैं। इन सभी केस को सम्बंधित पुलिस थाने में भेज दिया गया है। मणिपुर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सैकड़ों जीरो एफआईआर दर्ज हुई हैं लेकिन समाज दो हिस्सों में बटां हुआ है। पुलिस भी इसी का हिस्सा है। अभी राज्य में ऐसी परिस्थिति नहीं है कि केस की जांच की जा सके। आप पीड़ित से फोन पर बात कर सकते है लेकिन सिर्फ फ़ोन पर बात करने से जांच का हर पहलु सामने नहीं आ पाता है। पुलिस अभी दंगा रुकवाने और लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने में व्यस्त है।